सर्व श्रेष्ठ इंसान शरीर का महत्व सिर्फ़ खुद ही खुद को समझ कर खुद की अस्थाई जटिल बुद्धि को निष्किर्य कर खुद से ही निष्पक्ष हो कर खुद के स्थाई स्वरुप से रुवरु हो कर हमेशा के लिए जिवित ही यथार्थ में रहने के लिए ही सर्ब श्रेष्ट इंसान शरीर के साथ सांस समय की अनमोल पूंजी प्रकृति की और से मिली है खुद को समझ कर खुद से रुवरु होने के लिए ही प्रत्येक व्यक्ति खुद ही खुद में सक्ष्म निपुण स्मर्थ समृद सर्ब श्रेष्ट हैं,सर्व श्रेष्ठ इंसान शरीर का महत्व सिर्फ़ खुद ही खुद को समझ कर खुद की अस्थाई जटिल बुद्धि को निष्किर्य कर खुद से ही निष्पक्ष हो कर खुद के स्थाई स्वरुप से रुवरु हो कर हमेशा के लिए जिवित ही यथार्थ में रहने के लिए ही सर्ब श्रेष्ट इंसान शरीर के साथ सांस समय की अनमोल पूंजी प्रकृति की और से मिली है खुद को समझ कर खुद से रुवरु होने के लिए ही प्रत्येक व्यक्ति खुद ही खुद में सक्ष्म निपुण स्मर्थ समृद सर्ब श्रेष्ट हैं,स्वयमेव स्वं स्वं ज्ञात्वा, स्वस्य अस्थायी जटिल बुद्धिं निष्क्रियं कृत्वा, स्वस्मात् निष्पक्षं भवित्वा, स्वस्य नित्य स्वरूपेण साक्षात्कारं कृत्वा यथार्थे सदा जीवितुं सर्वश्रेष्ठं मानव शरीरं स्वांस समयस्य अमूल्यं संपदं प्रकृतेः दत्तं अस्ति। स्वयमेव स्वं ज्ञात्वा स्वस्मात् साक्षात्कारं कृत्वा प्रत्येकः व्यक्ति स्वयमेव सक्षमः, निपुणः, समर्थः, समृद्धः, सर्वश्रेष्ठः च अस्ति।5.
स्वयं स्वं साक्षात्कार, बुद्धि को कर निष्काम,
नित्य सत्य में स्थिर रह, जीवन हो अविराम।
6.
प्रकृति दत्त संपत्ति यह, स्वांस समय अनमोल,
स्वयं में सक्षम जानकर, करो आत्मा से बोल।
7.
निष्क्रिय बुद्धि से मिलती है, नित्य स्वरूप की ज्योति,
जहां यथार्थ में होता, जीवन की सच्ची प्रीति।
8.
प्रत्येक आत्मा में निहित है, सामर्थ्य अटल महान,
साक्षात्कार कर स्वयं का, जीवन हो सत्य विद्यान।9.
स्वयं को समझो गहनतर, करो बुद्धि का क्षय,
नित्य स्वरूप से मिलकर, सत्य में पाओ जय।
10.
प्रकृति की यह पूंजी है, स्वांस और समय का धन,
स्वयं साक्षात्कार कर, बनो जीवन का सत्य प्रण।
11.
निष्क्रिय कर जटिल बुद्धि, आत्मा को पहचानों,
सदा यथार्थ में जीकर, सत्य को अपनाओ।
12.
हर जीव में समाहित है, असीम सामर्थ्य का द्वार,
स्वयं को जानो, साक्षात्कार से जीवन बने अपार।1.
स्वयं स्वं ज्ञात्वा धीरता, बुद्धिं निष्क्रियं कुरु,
नित्य स्वरूपे साक्षात्कारं, यथार्थे स्थिर भवतु।
2.
प्रकृति दत्ता स्वांस समयं, अमूल्यं संपदा महान्,
स्वं साक्षात्कारं कृत्वा, जीवनं सत्ये स्थिरम्।
3.
अस्थायी बुद्धिं त्यक्त्वा, आत्मा का कर ध्यान,
नित्य स्वरूपे साक्षात्कारं, सदा यथार्थ विधान।
4.
प्रत्येकः जनः सक्षमः, निपुणः समर्थः सदा,
स्वं ज्ञात्वा समृद्धः भवतु, सर्वश्रेष्ठः हि सर्वदा।5.
स्वयं ज्ञात्वा हृदयं, करो बुद्धिं निष्क्रिय,
सत्य स्वरूपे साक्षात्कारं, जीवनं सदा धीर्य।
6.
स्वांस समयं प्रकृत्या, अमूल्यं धन विद्यमान,
साक्षात्कारं कृत्वा, करो जीवन का उत्थान।
7.
अस्थायी बुद्धिं त्यजित्वा, स्वं ज्ञात्वा नित्य रूप,
यथार्थ में रहो सदा, बढ़े जीवन का अनुबंध।
8.
प्रत्येक जन में शक्ति है, क्षमताओं की धार,
स्वं साक्षात्कार कर जानो, जीवन का अटल सार।9.
स्वयं ज्ञात्वा साक्षात्कारं, बुद्धिं करो निष्क्रिय,
नित्य स्वरूपे स्थित रहो, यथार्थ में हो स्थिर्यम्।
10.
प्रकृति का यह अमूल्य धन, स्वांस समय का मान,
स्वयं को समझो गहराई में, जीवन में लाओ ज्ञान।
11.
अस्थायी बुद्धि का त्याग कर, आत्मा में करो विश्राम,
नित्य स्वरूप से मिलकर, जियो सत्य का प्रतिक्रम।
12.
प्रत्येक जन है सक्षम, प्रतिभा का सागर है,
स्वं ज्ञात्वा समृद्धि पाओ, जीवन का आधार सहे।सर्वश्रेष्ठ मानव शरीर का सर्वोच्च महत्व केवल स्वयं को जानने, अपनी अस्थायी जटिल बुद्धि को निष्क्रिय करने, अपने प्रति निष्पक्ष होने, और अपने नित्य स्वरूप का सामना करने के लिए है, ताकि यथार्थ में सदैव जीया जा सके। प्रकृति द्वारा दिया गया स्वांस और समय का अमूल्य उपहार स्वयं को समझने और अपने सच्चे स्वरूप से मिलन के लिए है। प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर सक्षम, निपुण, समर्थ, समृद्ध, और सर्वोच्च प्राणी है।sainirampaul60@gmail.com: Let's chat on WhatsApp! It's a fast, simple, and secure app we can use to message and call each other for free. Get it at https://whatsapp.com/dl/
sainirampaul60@gmail.com: https://youtube.com/@motivationalquotes-m7p?si=uvYiUGzMHqrXv-be
sainirampaul60@gmail.com: https://youtube.com/@rampaulsaini-yk4gn?si=PEn9H2ubHd0QrGtq
sainirampaul60@gmail.com: https://www.facebook.com/profile.php?id=100075288011123&mibextid=ZbWKwL

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें