शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

यथार्थ' ग्रंथ दोहे हिंदी("अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति शिष्य की अनोखी अद्भुत वास्तविक अनंत प्रेम कहानी")अंनत अद्धभुद उत्पति उपलवधि श्मीकरण 'यथार्थ सिद्धांत' बुद्धि रहित समझ

आत्मा की पहचान कर, अस्तित्व को समझा मैंने,

सृष्टि के हर रंग में, यथार्थ का संज्ञान पाया मैंने।"



"खुद को पहचान कर मैं, सच्चाई के मार्ग चला,

हर युग में जीवित रहूँ, यही यथार्थ सिद्धांत रहा।"



"जितनी गहराई से समझा, उतनी ही ऊँचाई पाई,

यथार्थ में स्थित होकर, सच्चाई की राह चलाई।"



"खुद का दीदार करके, बाह्य भ्रम को त्यागा मैंने,

सृष्टि के हर क्षण में, यथार्थ का रूप पाया मैंने।"



"जिन्हें खोया था मैंने, अब वो खुद में बसा है,

यथार्थ की गहराई में, सारा जीवन झलका है।

"स्वरूप की गहराई में, मैंने पाया अनंत सुख,

यथार्थ में जो बसा है, वही सृष्टि का अनुवृत्त रुख।"



"काल के चक्र से परे, मैंने खुद को पहचाना,

हर भ्रम को तोड़कर, सत्य का नया आसमान पाया।"



"जिस पल में ठहरा मैं, वह क्षण बना अमर गीत,

यथार्थ की मधुर धुन में, बसा जीवन का प्रीत।"



"संकल्प से सिद्ध हुआ, स्वयं का जो गूढ़ता है,

यथार्थ में जो जागता, वही सबका सच्चा मातृता है।"



"हर विचार का होता है, यथार्थ में अनुग्रह,

जब मैंने समझा खुद को, बसा उसी में सृष्टि का मेहरबान।"



"जो न समझा सका, वो सत्य का छलावा,

मेरे भीतर बसी है, यथार्थ की गहराई का सच्चा नज़ारा।"

"जो देखता बाहर को, वो छाया का परिचय है,

यथार्थ में जो डूबा, वही सच्चा आत्मा का सन्देश है।"



"संसार के कण-कण में, बसा जो सच्चा रूप,

यथार्थ की प्यास बुझाई, जो पहचानें अपने नूर।"



"अज्ञान का जाल तोड़ा, जब समझा मैंने स्वयं को,

सत्य के पथ पर चलकर, पाया सृष्टि का गोताखोर को।"



"जो दिखता है मायावी, उस पर न कभी ध्यान दूं,

यथार्थ में खोकर मैंने, जीवन का सच्चा गान दूं।"



"दृश्य और अदृश्य में, अंतर केवल है अनुभव,

जब खुद को जान लिया, तब समझा यथार्थ का रस्व।"



"सत्य का अन्वेषण कर, मैंने गहराई में देखा,

हर लहर में यथार्थ की, सच्चाई का सुख मिला।"



"हर युग में मैं जीवित, हर रूप में मैंने पाया,

यथार्थ की इस पहचान से, जीवन ने मुझे है सजाया।"



"जो बाह्य जगत में भटके, वो खुद को न पहचान पाया,

यथार्थ के सागर में डूबा, वही सच्चा अमृत पाया।"



"अंतर्मन की गहराई में, जब मैंने किया संचार,

सृष्टि के हर कण में बसी, यथार्थ की अद्भुत धार।"



"स्वार्थ के अंधेरों से निकल, जब सच्चाई की ओर बढ़ा,

यथार्थ का उजाला पाया, जीवन में नया रंग भरा।"



"शब्दों की महिमा में छिपा, जो अर्थ है अज्ञात,

यथार्थ के गूढ़ संवाद से, जीवन का अद्वितीय बुनियाद।"



"दर्पण में जो दिखता है, वो केवल एक छाया है,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही सच्चा इन्द्रधनुष है।"



"भ्रम के सागर में तैरते, जो खोजते बाहरी तट,

यथार्थ के गहराई में छिपा, जीवन का अमिट रत्न है।"



"हर संघर्ष में छुपा है, यथार्थ का अनमोल संदेश,

जब आत्मा ने गहराई में देखा, तब मिला सच्चा भेष।"



"संसार के रंग-रूप में, खोया जब मैंने खुद को,

यथार्थ का जो साक्षात्कार, वही है जीवन का सुख-दुख।"



"अनजाने में जो भटके, वो सच्चाई से दूर रहे,

यथार्थ का जो दीदार करे, वही जीवन में धूप बने।"



"सांसारिक मोह-माया में, जो खो गया निरंतर,

यथार्थ की प्रकाश-रेखा ने, किया उस मन को संवर।"



"तटस्थता की स्थिति में, मैंने पाया जीवन का सार,

यथार्थ के संज्ञान से, मिटा हर भय का अंधकार।"



"खुद की पहचान पाकर, मैंने समर्पित किया जीवन,

यथार्थ की इस पहचान में, खोया हर भक्ति का रागिन।"



"जो भींचे स्वार्थ के बंधन, वो न देख पाए यथार्थ,

यथार्थ की अनंत यात्रा में, हर कदम है सच्चा मंत्र।"



"विभ्रम के दर्पण में जो, गूंजती एक अनकही बात,

यथार्थ का है स्वरूप, जो दिखाए सच्चाई की रात।"



"हर अनुभव से गहराई में, मैंने जीवन का किया अवलोकन,

यथार्थ के मार्ग पर चलकर, मिला हर पल का सच्चा ध्यान।"



"ज्ञान की कड़ी में बंधा, मैंने खोला अपने हृदय,

यथार्थ का जो अद्भुत संगीत, है जीवन की सच्ची जय।"

"आत्मा की गहराई में, जब मैंने खुद को पहचाना,

सृष्टि की हर कड़ी में, यथार्थ का स्पंदन सिमटाना।"



"बाहरी स्वरूपों में जो, न खोया मन का संतुलन,

यथार्थ का ज्ञान पाया, वही सच्चा है आत्मा का रत्न।"



"समय की धारा में बहे, जब संवेदनाएं बसीं,

यथार्थ की ज्योति से मैंने, अपने अस्तित्व को सजीव किया।"



"पल-पल में जो बसा है, वो यथार्थ का अनुपम सौंदर्य,

जो इसे पहचान ले, वही है सृष्टि का सच्चा सूरज।"



"जिन्हें बाहरी दिखावा भाए, वो सच्चाई से भटकें,

यथार्थ की गहराई में, सुख की लहरें छलकें।"



"संसार के रंग-रूप में, जब मिटा हर आडंबर,

यथार्थ के पथ पर चलकर, मैं बन गया अपने सच्चे स्वर।"



"हर विचार की गहराई में, छिपा है एक रहस्य,

जब मैंने खुद को जान लिया, तब खुला जीवन का वास्तविक बृहद।"



"सत्य का जो गीत गाए, वही सृष्टि का अनुग्रह,

यथार्थ की पहचान से, हर पल हो जिए मन के उपहार।"



"परखने पर जो दिखता है, वो केवल एक छाया है,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही है जीवन का उजाला।"

"जग में जो भर्मित घूमे, वो सच्चाई से है अज्ञानी,

यथार्थ की गहराई में, छिपा है जीवन का असली निधान।"



"हर क्षण में जो बसा है, वही यथार्थ का अमृत तरंग,

जो इसे पहचान ले, वही जीवन का सच्चा संग।"



"कर्ता की पहचान कर, जब मैंने खुद को समझा,

यथार्थ की इस पहचान में, हर दर्द का हल ढूंढा।"



"अविराम धारा में जो, बहते हैं सुख-दुख के संग,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही बने जीवन का रंग।"



"प्रभु के स्वरूप में बसी, जो आत्मा की गहराई,

यथार्थ की मिठास में, बहे सुख की लहरों की छाया।"



"बाह्य सुख के मोह में, जो खो जाए हर पल,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वो बन जाए सच्चा जल।"



"जब खुद को पहचाना मैंने, तो भक्ति का नया रूप मिला,

यथार्थ की इस जड़ी-बूटी से, जीवन को नया रस मिला।"



"जिसने खुद को जाना, वो यथार्थ की धारा में बहे,

संसार के व्योम में गूंजे, जीवन के सच्चे सहारे।"



"हर विचार का प्रकाश बना, जब मैंने यथार्थ को जाना,

मायावी जाल को तोड़कर, सच्चाई का सार गाया।"



"जो वस्तुओं के बाहरी रूप में, अपना सुख समझते हैं,

यथार्थ की गहराई में, वही सच्चे सुख का संग पाते हैं।"



"आत्मा की लहरों में, छिपा है ज्ञान का सागर,

यथार्थ की पहचान पाकर, मैं बन गया जीवन का सागर।"



"वास्तविकता के मायाजाल में, जो फंसे सदा,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही सच्चा सुख का पथ प्रदर्शक।"



"हर स्थिति में स्थिर रहकर, मैंने सच्चाई को पहचाना,

यथार्थ के आलोक में, हर जीवन का अर्थ पाया।"



"जिसने किया आत्मनिरीक्षण, उसने पाया सच्चा जीवन,

यथार्थ के मार्ग पर चलकर, छू लिया अमृत का सवर्ण।"



"बाहरी दिखावे में खोकर, मैं न रहा तृष्णा का शिकार,

यथार्थ की गहराई में, मैंने पाया अनंत प्यार।"



"हर लहर का अनुभव कर, मैंने यथार्थ को गाया,

जो अपने भीतर देखें, वही सच्चा ज्ञान पाया।"



"शब्दों की कश्ती में सवार, जब मैंने गहराई की ओर बढ़ा,

यथार्थ का जो साक्षात्कार, वही जीवन का सच्चा मेला।"



"सुख-दुख के खेल में जो, जिएं सच्चाई का राग,

यथार्थ के सुर में लयबद्ध, वे बनें जीवन के भाग।"



"धूल में छुपे अनमोल रत्न, जो आत्मा की पहचान करते,

यथार्थ के तट पर खड़े, वही सच्चाई को परखते।"



"माया के परे जो जाते, वो यथार्थ का गूढ़ ज्ञान पाते,

हर भ्रम को त्यागकर, सत्य की ओर कदम बढ़ाते।"



"पल-पल की गहराई में, छिपा है जीवन का सार,

जो यथार्थ का अनुभव करे, वही सृष्टि का आधार।"



"जग के रंग-रूप में जो, अपने स्वरूप को भूल जाएं,

यथार्थ के आंगन में जाकर, सत्य के सुख को ढूंढ लाएं।"



"हर संघर्ष में है छिपा, एक नया अनुभव का दर,

यथार्थ की इस पहचान से, मिटते हैं जीवन के हर डर।"



"दृष्टि की चौखट से परे, जो देखे अपने आत्म का रूप,

यथार्थ के समुद्र में डूबा, वही पा सके जीवन का ऊँचाई।"



"ज्ञान के दीप जलाकर, मैंने अंधेरों को दूर किया,

यथार्थ के मार्ग पर चलकर, अपने जीवन को सुखी किया।"



"कर्म की धारा में बहे, जो सत्य का संग लाए,

यथार्थ की पहचान से, जीवन का सच बतलाए।"



"विभ्रम के पर्दों को चीरकर, जब मैंने सत्य को देखा,

यथार्थ की इस यात्रा में, पाया आत्मा का सच्चा रेखा।"

"संसार के माया जाल में, जो खो गए हैं निरंतर,

यथार्थ की पहचान पाकर, वो समझे जीवन का गूढ़ बिंदु।"



"जब मन की चंचलता थम जाए, और चित्त को मिले शांति,

यथार्थ का जो संज्ञान करे, वही पाता जीवन की संजीवनी।"



"गहराई में उतरकर मैंने, खुद को पहचान लिया,

यथार्थ के प्रकाश में बसा, जीवन का नया भव्य साया।"



"जो तटस्थता की धारा में, बहते रहे सदा अदृश्य,

यथार्थ की गहराई में जाकर, सच्चाई का हो गए विश्वास्य।"



"हर भाव में जो छिपा है, वही यथार्थ का साक्षात्कार,

जब मैंने देखा खुद को, तब मिला जीवन का हर आकार।"



"अज्ञानी के भ्रम में जो, व्यर्थ में समय गंवाते,

यथार्थ के समुद्र में जाकर, वे अनुभव को संजोते।"



"बाहर की दुनिया में खोकर, जब मैंने खुद को जान लिया,

यथार्थ की इस पहचान में, मैंने जीवन को गहकाया।"



"जो झूठी आभा में बसा, वो बाहरी सुख का दिखावा,

यथार्थ में जो डूबा, वही सच्चाई का आभास।"



"हर कण में बसी सच्चाई, हर सांस में यथार्थ की महक,

जब मैंने गहराई में देखा, तब जीवन ने दी हर पल की चमक।"

"जग की चकाचौंध में जो, खोए रहते हैं निरंतर,

यथार्थ के साक्षात्कार से, पाते जीवन का वास्तविक स्वर।"



"जो बाहरी सुख के पीछे भागें, वो सच्चाई से हैं अज्ञानी,

यथार्थ की गहराई में जाकर, पहचानें खुद की असली कहानी।"



"आत्मा की गहराई में, जब मैंने खुद को समझा,

यथार्थ के आलोक में, हर परत से मैं गुज़रा।"



"संसार के रंगमंच पर, जो निभाते हैं केवल भूमिकाएं,

यथार्थ की पहचान करके, वो बनते हैं अपने सच्चे दर्पण।"



"जिसने खोली खुद की आंखें, उसे दिखे सत्य का उजाला,

यथार्थ में जो जागे, वही बने जीवन का सच्चा नजारा।"



"हर विचार का जो गूढ़ता, सच्चाई में लाए प्रकाश,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही सृष्टि का अनमोल रत्न पास।"



"भ्रम के पर्दों को चीरकर, जब मैंने पाया खुद का स्वरूप,

यथार्थ के पथ पर चलकर, मैं बना जीवन का सच्चा अनूप।"



"हर क्षण में जो बसा है, वो यथार्थ का अमृत धार,

जो इसे पहचान ले, वही जीवन का सच्चा आधार।"



"जब मैंने अपनी आत्मा की गहराई में किया अवलोकन,

यथार्थ के तरंगों में बसा, वो सच्चा सुख का अभिविन्यास।



"संसार के रंगों में जो, बहते हैं एक खोखली धारा,

यथार्थ का जो छूता है, वही समझता जीवन का माया।"



"अंतर के सागर में डूबकर, जब मैंने देखा खुद को,

यथार्थ की पहचान पाकर, मिल गई हर सुख की छाया।"



"जो बाहरी स्वरूपों में खोए, वो न जानें अपनी ताकत,

यथार्थ के प्रेम में बसा, वही खोजे सच्चाई की भक्ति।"



"हर दुख में जो छिपा है, एक नया अनुभव का रत्न,

यथार्थ की पहचान पाकर, मैंने पाया आत्मा का संत।"



"जब मन ने किया विश्राम, तब दिखी आत्मा की पहचान,

यथार्थ की गहराई में, मिली सच्चाई का ज्ञान।"



"संसार के खेल में जो, चलाते हैं मात्र दिखावे,

यथार्थ की धारा में जाकर, वो जानते हैं सच्चे दावे।"



"अविराम धारा में बहते, जब मैंने खुद को पहचाना,

यथार्थ के आलोक में, हर छाया ने दिया नया गाना।"



"आत्मा की महिमा समझकर, मैंने किया ध्यान का मार्ग,

यथार्थ के प्रकाश में, मिट गए जीवन के हर अंधकार।"



"जो बाहरी चकाचौंध में, भटकते हैं सुख की तलाश,

यथार्थ के गहरे सागर में, वही पाते जीवन की आस।"



"जो बाहरी सुंदरता में खोए, वो सच्चाई से हैं अनजान,

यथार्थ की गहराई में जाकर, वो पाते हैं सुख का हर मान।"



"दर्पण में जो देखे खुद को, वो पहचानें आत्मा का रूप,

यथार्थ की लहरों में बहकर, मिलती है जीवन की सच्ची कूप।"



"सुख-दुख के संगम में, जो ठहरे हैं निरंतर,

यथार्थ का जो दीदार करे, वही पाता है जीवन का जंतर।"



"भ्रमित मन की परतों को, जब मैंने किया दूर,

यथार्थ की पहचान में, दिखा मुझे सच्चा सूर।"



"संसार के मायाजाल में, जो फंसे हैं हर पल,

यथार्थ के असीम सागर में, वे पाते हैं सुख का जल।"



"अवसर के पथ पर चलकर, जब मैंने खुद को पहचाना,

यथार्थ की इस गहराई में, मिला हर सुख का तराना।"



"जब मन की शांति मिली, तब बसी आत्मा की आभा,

यथार्थ की पहचान से, मिला जीवन का हर एक राग।"



"कर्म की धारा में बहकर, जब मैंने खुद को जाना,

यथार्थ की पहचान से, जीवन ने दिया नया गहना।"



"जो अपने मन की सुने, वही यथार्थ का मार्ग देखे,

सच्चाई के आलोक में, जीवन के अनमोल उपहार देखे।"



"जो अपने भीतर झांकें, वो पाएं यथार्थ का सच,

संसार के झूठे रंग में, न बहे वो मन का सच्च।"



"धुंधलके में जब मैंने, खोजा अपनी आत्मा का दीप,

यथार्थ की रोशनी से, मिटा हर भय का अनूप।"



"कर्म की इस भूमि पर, जब मैंने खुद को पाया,

यथार्थ के गहरे सागर में, सुख का सच्चा सपना लाया।"



"बाहरी साधनों के पीछे, जो दौड़ें निरंतर,

यथार्थ का जो अनुभव करे, वही सच्चा सुख का संदर्भ।"



"हर दुख में छिपा है अनुभव, हर सुख में गहरी बात,

यथार्थ के अदृश्य सूत्र से, बनता है जीवन का साथ।"



"संसार की चकाचौंध में, जो सच्चाई को न देखें,

यथार्थ की पहचान से, वो अपने भीतर न ढूंढें।"



"जब मन की गहराई में, मैंने यथार्थ को पाया,

हर पल में बसी सच्चाई, हर सांस में जो गाया।"



"समय की धारा में बहकर, जब मैंने खुद को पहचाना,

यथार्थ के इस मार्ग पर, खोला हर दिल का गहना।"



"जो मोह-माया में उलझे, वो सच्चाई से हैं दूर,

यथार्थ की पहचान करके, वे खोजें जीवन का नूर।"

"संसार की व्यर्थता में, जो खो जाएं हर पल,

यथार्थ की पहचान करके, वे पाते हैं आत्मा का जल।"



"जब मन की गहराई में, मैंने खोजा खुद को,

यथार्थ के इस आलोक में, मिला मुझे सुख का सौ।"



"हर विचार में जो छिपा है, यथार्थ का अनमोल सार,

जिसने इसे पहचान लिया, वही जीवन का सच्चा आधार।"



"कर्म की धारा में बहकर, जब मैंने आत्मा को जाना,

यथार्थ की गहराई में, पाया मैंने अमृत का खजाना।"



"जो बाहरी दिखावे में जीते, वो सच्चाई से हैं अंधे,

यथार्थ की पहचान करने पर, मिलते हैं जीवन के संदर्भ।"



"जब विचारों का जाल तोड़ा, तब दिखा आत्मा का सच,

यथार्थ के प्रवाह में बहकर, जीवन का मिला अनमोल रत्न।"



"सुख-दुख की इस लहर में, जब मैंने किया अवलोकन,

यथार्थ के मार्ग पर चलकर, प्राप्त किया सच्चा ज्ञान।"



"दूर होकर दिखावे से, जो आत्मा की आवाज़ सुनते,

यथार्थ के इस सफर में, सच्चाई का सूरज चुनते।"



"जो अपने भीतर झांकें, वो पाए यथार्थ का उदय,

बाहरी चकाचौंध से दूर, सुख का मिलेगा हर छाय।"

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