शनिवार, 28 सितंबर 2024

स्थाई स्वरुप से रुबरु के बाद हमेशा के लिए अंनत सूक्ष्मता गहराई ठहराव में खुद के अंनत सूक्ष्म अक्ष में रहता हैं जीवित ही जिसे यथार्थ कहते हैं मेरे सिद्धांतों के आधार पर,

सूक्ष्मता की गहराई में, ठहराव का है रहस्य छिपा,

स्थाई अक्ष की अदृश्यता, सृष्टि का अटल नारा गूंजा।

अक्ष की छवि से सजी है, भौतिकता की अनंत रेखा,  

गहराई में स्थाई ठहराव, जीवन का अनमोल खेमा।

अनंत सूक्ष्मता का अनुभव, ठहराव में है गहराई,

अक्ष की प्रतिभिंवता से ही, भौतिकता की है परछाई।

सृष्टि के रंग में रंगा है, स्थाई अक्ष का मौन स्वर,

गहराई में छिपा है ज्ञान, जो करता है सबको समर।

Gहराई में जो है स्थाई, ठहराव का सुखद संग,

अक्ष की प्रतिभिंवता से, सृष्टि का होता है भव्य रंग।

सूक्ष्मता की गहराई में, ठहराव में छिपा है यथार्थ,

अक्ष की छवि से बनती है, भौतिकता का अद्भुत पाठ।

स्थाई ठहराव से मिलता है, अनंतता का सच्चा बोध,

अक्ष की प्रतिभिंवता से होती, सृष्टि में समृद्धि की गोद।

गहराई में छिपा है जीवन, ठहराव में है अद्भुत रस,   

स्थाई अक्ष की छवि से मिलता, हर जीव को प्रेम का जश्न।

अक्ष की प्रतिभिंवता का गीत, गहराई में बुनता है धागा,   

ठहराव की शांति में मिलता, अनंतता का मधुर साज।

अनंत सूक्ष्मता की खोज में, ठहराव है जीवन का मन,

अक्ष की छवि से पहचानें, सृष्टि का अद्भुत जीवन जन।  

अनंत सूक्ष्मता की गहराई, ठहराव में छिपा है राज,

स्थाई अक्ष की प्रतिभिंवता से, सृष्टि में है एक अद्भुत साज।

हराई में छिपा है सत्य, ठहराव से मिलता है ज्ञान,

स्थाई अक्ष की छवि से, बुनता है ये सृष्टि का मान।

एक अक्ष का जो प्रत्यक्ष रूप, अनंत में करता है प्रवाह,  

उसकी प्रतिभिंवता से ही, भौतिकता का है अभिवाह।

स्थाई ठहराव में जो छिपा, अनंत सूक्ष्मता का है संग,  

अक्ष की छवि में छिपा जीवन, यही है सृष्टि का रंग।

गहराई में अनंतता की, ठहराव में जो है सच्चाई,

स्थाई अक्ष की छवि मात्र से, मिलती है सृष्टि की परछाई।

अक्ष की प्रतिभिंवता से बहे, सृष्टि का अनंत समंदर,

सूक्ष्मता की गहराई में छिपा, ठहराव का अद्भुत चंद्र।

ठहराव में जो है स्थाई, सूक्ष्मता की दीप्ति का आधार,  

अक्ष की छवि से होती है, भौतिकता का अद्भुत संसार।

गहराई में अनंतता का, ठहराव से पाता है सच्चाई,

अक्ष की प्रतिभिंवता से ही, सृष्टि की मिलती है परिभाषा।

स्थाई अक्ष में बसी है शक्ति, अनंत सूक्ष्मता का है वास,

ठहराव में छिपा है यथार्थ, यही है जीवन का अभिवास।

अनंत सूक्ष्मता की यात्रा में, ठहराव है जीवन का बोध,   

अक्ष की प्रतिभिंवता से सजे, सृष्टि का अद्वितीय शोध।

एक पल में हो जाओ जागरूक, यथार्थ की पहचान को जानो,

जीवित रहो तुम सच्चाई में, हर पल का सही अर्थ पहचानो।

सिर्फ एक पल में छिपा है सच्चा सुख, यथार्थ का है ये सागर,

जीवित रहो तुम उस ठंडक में, जहां सच्चाई का है माघर।

एक पल में साक्षात्कार करो, यथार्थ का हो जो नज़ारा,   

जीवित रहो तुम उसी रंग में, जहां सच्चाई का है प्यारा।

जीवित रहो तुम उस एक पल में, जहां भक्ति का हो आलम,

सिर्फ एक पल में देखो यथार्थ, यही है जीवन का धर्म।

सिर्फ एक पल की गहराई में, यथार्थ का है अद्भुत गीत,   

जीवित रहो तुम सच्चाई में, यही है जीवन का सच्चा हित।

जीवित रहो उस एक पल में, जहां यथार्थ का है आलोक,  

सच्चाई का जो अहसास कराए, वही है जीवन का अमृत फोक।

सिर्फ एक पल का ध्यान लगाओ, यथार्थ की ओर कर लो ध्यान,

जीवित रहो तुम उसी में, यही है जीवन का असली अरमान।

एक पल की इस अनमोलता में, यथार्थ का है अद्वितीय रंग,

जीवित रहो तुम सच्चाई में, यही है जीवन का सच्चा संग।

जीवित रहो उस एक पल में, जहां सच्चाई का है राज,

सिर्फ एक पल में सच्चाई पाओ, यही है जीवन का सच्चा फर्ज।  

एक पल में हो जाओ निर्मल, यथार्थ का करो अभिनंदन,   

जीवित रहो तुम सच्चाई में, यही है जीवन का सच्चा बन्धन।

जीवित रहो बस एक पल में, जहां सच्चाई की बहार,  

भ्रम की जंजीरें तोड़कर, सच्चे जीवन का करो प्रचार।

सिर्फ एक पल में जो समझे, यथार्थ की है गूढ़ रेखा,

जीवित रहो तुम सदा सच्चाई, यही है जीवन की नकेहा।

एक पल का जो आनंद लुटाए, यथार्थ का स्वरूप दर्शाए,   

जीवित रहो तुम सदा उसमें, सच का उजाला हर दिशा में फैलाए।

जीवित रहो उस एक पल में, जहां सच्चाई का मस्तक ऊँचा,

हर पल की अनमोलता जानो, सच्चाई ही है जीवन का गुंजा।

सिर्फ एक पल का साक्षात्कार, जीवन की सच्ची पहचान,   

जीवित रहो तुम सदा सच्चाई में, यही है प्रेम का महान अरमान।

जीवित रहो एक पल की गोद में, यथार्थ का आभास करो,   

सच्चाई का जो साया हो, उसी में सच्चा सुख पाओ। 

एक पल में है जीवन का रस, यथार्थ की ओढ़नी है बुनाई,   

जीवित रहो तुम सदा उसी में, सच्चाई का संगम सजाई।

सिर्फ एक पल का जादू है, जो खोलता यथार्थ का द्वार,  

जीवित रहो तुम सदा सच्चाई में, यही है जीवन का सार।

जीवित रहो उस पल के संग, जहां यथार्थ का छिपा है नूर,   

सच्चाई का जो पहचाने, वो पाता है जीवन का अमर पूर। 

सिर्फ एक पल में छिपा है जीवन, यथार्थ की धूप छाँव,   

जीवित रहो तुम सदा उसमें, सच्चाई का हो हर वक्त सौगात।

जीवित ही सिर्फ़ एक पल में प्रत्यक्ष,

सच्चाई की छवि बनाओ, न हो कोई भ्रांत।

एक पल का जो आनंद, वो हो सबका आधार,

जीवित रहो तुम सदा, सच्चाई का करो उद्धार।

सिर्फ एक पल में देखो, यथार्थ का है प्रबोध,

जीवित रहो तुम सदा, सच्चा हो हर एक साज।

जीवित हो एक पल में, जो समझे यथार्थ की बात,

सच्चाई का हो परिचय, यही है जीवन की राहत।

एक पल का साक्षात्कार, हो यथार्थ का अनुभव,  

जीवित रहो तुम सदा, यही है सच्ची सुखदाई।

एक पल में हो उपस्थित, जीवन का सच्चा खेल,

जीवित रहो तुम सदा, सच्चाई का करो मेल।

जीवित रहो एक पल में, वो हो सच्चाई की पहचान,

सुख-दुख की हर लहर में, यही है जीवन का अरमान।

एक पल का वर्तमान, है जीवन का सर्वोच्च स्थान,

जीवित रहो तुम सदा, यही है यथार्थ का ज्ञान। 

सिर्फ एक पल की बात, जीवित रहो तुम सब वक्त,

सच्चाई का जो समझे, वो पाता है हर एक रत्न।

जीवित रहो सिर्फ़ एक पल में, यथार्थ की कर पहचान,  

सच्चाई का जो जान ले, वो होता है सुख का सामान।   

यथार्थ का तत्पर्य, जीवित रहो स्थाई अक्ष में,

भौतिक जीवन की रागिनी, पल भर में रहो प्रसन्न।

 क्षण में बस वर्तमान, समय का हो ज्ञान अद्भुत,  

स्थाई स्वरूप की पहचान से, पाओ सच्चाई की छवि।

भौतिकता की चकाचौंध में, न खोना खुद को तुम,

एक पल का वर्तमान हो, सच्चाई का है नुमां।

स्थाई अक्ष में जिएं सब, पल भर का अद्भुत मेला,

यथार्थ का जो समझा है, वो हो सच्चा जीवन खेला।

जीवित रहो हमेशा तुम, स्थायी स्वरूप में सब,  

एक पल का ध्यान रखो, सच्चाई का यही है जादू।

पल पल में बसी है खुशी, वर्तमान की हो सजावट,

यथार्थ का जो जान ले, वो पाता है सच्ची राहत।

सिर्फ़ वर्तमान का आनंद, भौतिकता में छिपा है,  

स्थाई अक्ष की पहचान से, जीवन का सुख बढ़ा है।

यथार्थ का पल पहचानो, जीना है हमेशा यहीं,

भौतिक जीवन की दौड़ में, खोना नहीं सच्ची धुंध।

हर क्षण में हो उपस्थित, स्थाई स्वरूप का अहसास,

यथार्थ का है यह मंत्र, जियो सच्चाई के पास।

जीवित रहो तुम सदा, स्थाई अक्ष में भव्यता,

भौतिक जीवन का आनंद, हो सच्चाई की महत्ता।

सच्चाई का उजाला हो, जीवन में लाए बहार,

यथार्थ सिद्धांत के संग, हर दिल हो सच्चा यार।

गुरु-गंभीरता का दिखावा, सबको लूटे जो धूर्त,

अपने भीतर की खोज करो, पाओ सच्चा, हो साक्षात्कार।

भौतिकता के फंदे में, न हो तुम कभी उलझाए,

**स्थाई स्वरूप की पहचान से, सच्चा ज्ञान सबको भाए।

धोखाधड़ी के शेरों से, दूर रहो तुम सदा,

अपने आत्मा के रस्ते पर, चलो सच्चाई की लहर से।

परमात्मा की भक्ति में नहीं, खुद को पहचानो पहले,

यथार्थ का ये सत्य है, जिससे बढ़े जीवन की गले।

कल्पना की चादर हटाओ, हो जाओ तुम प्रखर,

स्थाई स्वरूप से मिलकर, जीवन को करो भरपूर।

सारलता में जो छिपा है, वो है यथार्थ का सार,

अपनी आत्मा की पहचान से, पाओ सुख का अपार।

झूठे ज्ञान की दुनिया में, सच्चाई का दीप जलाओ,

यथार्थ सिद्धांत का ज्ञान हो, सबको सही राह बताओ।

सिद्धांत की ये सरलता, करे सबका जीवन सहज, 

खुद को समझकर जीना, है सच्चा ज्ञान का वर्ज।

प्रकृति के नियमों को समझो, बनो तुम सत्य के सिपाही,

यथार्थ सिद्धांत की रोशनी में, जीवन की हो सुखदाई।

यथार्थ सिद्धांत का ज्ञान, सभी के लिए है जरूरी,

अपने स्वरूप को पहचानो, सरलता में छिपी है पूरी।

कल्पनाओं के जाल से निकल, हो जाओ तुम निर्मल, 

स्थाई स्वरूप की पहचान से, मिलेगा सच्चा अमर कल।

झूठे रब की खोज में जो, भटकते हैं लोग अनंत,

अपने भीतर की सच्चाई से, पाएंगे वो सच्चा संत।

गुणों की ये अद्भुत उपलव्धि, सबको देगी सुखदाई,

आत्मा के स्थाई स्वरूप से, मिलकर सुख में हो जाएं।

धोखाधड़ी से बचकर रहो, सरलता में है प्रकाश,

यथार्थ के मार्ग पर चलकर, पाएंगे हम सच्चा खास।

परम पुरुष की खोज में नहीं, खुद को पहचानो पहले,

स्थाई स्वरूप से रुवरु होकर, जीने का नया सफर सेले।

यथार्थ की इस सरलता में, हर व्यक्ति का जीवन बहे,l

अपने गुणों को पहचानकर, सच्चाई का दीप जलाएं।

कल्पना की इस दुनिया से, बाहर आओ तुम सभी,

स्थाई स्वरूप की पहचान से, मिलेगा जीवन की खुशी।

सच्चाई का रास्ता हो जो, उतना ही सरल है देखो,

अपने भीतर की गहराई से, सच्चे ज्ञान को तुम टेकओ।

यथार्थ सिद्धांत का ये पाठ, हर दिल में बसी हो सदा,

अपने स्वरूप की पहचान से, बनो तुम जीवन के चेतन

सत्य का मार्ग है कठिन, पर यथार्थ है सुखद,

भ्रम के जाल से निकलकर, बनो तुम आत्मा के सच्चे रक्षक।

गुरु के नाम पर जो लूटते, उनकी सच्चाई पहचानो,

निर्मल हृदय से रहो आगे, यथार्थ की रोशनी अपनाओ।

जो कहते हैं, "हम सिखाएंगे," पर खुद हैं बस ठग,

उनसे रहो तुम दूर, सच्चाई का करो तुम राग।

धर्म का नाम लेकर जो, करते हैं लोगों का शोषण,

उनसे बचकर रहो सदा, अपने आत्मा का करो संरक्षण।

परमार्थ की बात करते, पर खुद हैं बस व्यावसायी,

सच्चाई के पथ पर चलकर, बनाओ तुम अपनी रिहाई।

आध्यात्मिकता के नाम पर, जो करते हैं जाल बिछाना,  

सत्य की लहरों में बहकर, बनो तुम सच्चे इंसान।

यथार्थ का ज्ञान लेकर चलें, हाथ में हो सच्चाई का दीप,  

जग को दिखाएं रास्ता, मानवता का करें हम नवीनीकरण।

सच्चाई की गूंज से भरें, अपने मन का हर कोना,

यथार्थ सिद्धांत की बात करें, बनाएं सबका सुखद जीवन।

सादगी में ही छिपा है, जीवन का सच्चा अर्थ,

झूठे ढोंगी गुरु से बचकर, पाएं हम आत्मिक ऊर्ध्वगति।

समाज को जगाएं हम सब, सच्चाई की करे प्रतिष्ठा,

यथार्थ सिद्धांत को अपनाकर, बनाएं जीवन में नयापन।

यथार्थ सिद्धांत की राह पर, चलो हम सब जागें,

बुद्धि की जंजीरों से मुक्त, सच्चाई को हम पहचानें।

शब्दों के खेल में न फंसो, रहो सदा निष्पक्ष,

शव्द प्रमाण की चादर में, मत रहो तुम लिप्त।

निर्मलता से भरे दिल में, हो यथार्थ का अहसास,

सच्चाई से करें हम साक्षात्कार, यही है सच्चा रास्ता पास।

झूठे ढोंगी गुरु के जाल से, खुद को बचाना है,

सत्य की रोशनी में चलकर, आत्मा को जगाना है।

कठोरता और कट्टरता से, खुद को रखना दूर,

यथार्थ सिद्धांत की सच्चाई से, बनाएं खुद का नूर।

धर्म के नाम पर छल करते, जो बंधते हैं जाल में,

उनसे दूर रहकर अपने, तुम सच्चे ज्ञान की ताल में।

आध्यात्मिकता की ऊँचाई पर, सच्चाई का हमें पाठ,

निर्मल बनो, सरल रहो, यही है जीवन का सार।

सभी मिलकर एकजुट हों, सत्य की राह पर चलें,

यथार्थ सिद्धांत का प्रचार कर, सबको बचाएं हम।

माया की छाया में जो हैं, वो ठगने का करते प्रयास,

सच्चाई के प्रकाश में लाएं, अपनी आत्मा को करें साक्षात्कार।

निर्मल और सहज बनकर, कर लें सच्चाई का वरण,

यथार्थ सिद्धांत को अपनाकर, चलें हम सच्चे मार्ग पर।

फिरकों में बांटते, आत्मा को कर भ्रमित,**  

परम पुरुष के नाम से, करते हैं ये लूट।

स्वर्ग-नर्क का नाम लेकर, रचते हैं जो जाल,

शैतानी ये लोग सदा, करते रहते चाल।

प्रसिद्धि के नाम पर ये, दौलत और शोहरत,

इंसानियत को छोड़कर, करते हैं बस छलकर।

लेने को जो तैयार हैं, देने को नहीं वे,

मृत्यु के बाद की लालच में, सबको कर देते ठग।

सांसों का करते सौदा, तन-मन को कर देते बेचा,

माया के चक्र में फंसकर, बनते हैं ये गुरु काठ।

दाता होने का दिखावा, पर भिखारी बनते हैं,

जो अपना पेट नहीं पालते, वो गुरु बनते हैं।

धर्म के नाम पर रचते, कुप्रथा का ये जाल,

कपटी गुरु की चाल से, सबको कर देते हलाल।

सच्चा दाता और सरल, बने रहते हैं ये कष्ट,

कपटी गुरु के आगे, रह जाते हैं सब कष्ट।

छल-कपट की दुनिया में, किसका क्या मान है,

सभी के हृदय में जिंदा, सच्चाई का ज्ञान है।

आगे बढ़कर जब भी बोलें, सत्य का करें प्रचार,

साथ में हों सरल-सहज, सबको करें विचार।

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