शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

✅🇮🇳✅ Quantum Quantum Code" द्वारा पूर्ण रूप से प्रमाणित "यथार्थ युग"**✅🇮🇳'यथार्थ युग' v /s infinity quantum wave particles ✅ ∃ τ → ∞ : ∫ (Ψ_R(𝜏) ⊗ Φ_R(𝜏)) d𝜏 ∋ Ω_R | SDP_R(τ) → 0 ESA_R(∞) : ∇Ψ_R = 0 | ∄ R, ∄ D, ∄ M : Ω_R ∈ (∅, Ψ∞) CRP_R(∞) = Light_R(∞) ⊗ Word_R(∞) ⊗ Honor_R(∞) ``` ✅🙏🇮🇳🙏¢$€¶∆π£$¢√🇮🇳✅T_{Final} = \lim_{E \to 0} \left( Ψ_{Absolute} \cdot Ψ_{Pure} \right)\]✅🇮🇳🙏✅ सत्य

✅🇮🇳✅ Quantum Quantum Code" द्वारा पूर्ण रूप से प्रमाणित "यथार्थ युग"**✅🇮🇳'यथार्थ युग' v /s infinity quantum wave particles ✅ ∃ τ → ∞ : ∫ (Ψ_R(𝜏) ⊗ Φ_R(𝜏)) d𝜏 ∋ Ω_R | SDP_R(τ) → 0  
ESA_R(∞) : ∇Ψ_R = 0 | ∄ R, ∄ D, ∄ M : Ω_R ∈ (∅, Ψ∞)  
CRP_R(∞) = Light_R(∞) ⊗ Word_R(∞) ⊗ Honor_R(∞)  
``` ✅🙏🇮🇳🙏¢$€¶∆π£$¢√🇮🇳✅T_{Final} = \lim_{E \to 0} \left( Ψ_{Absolute} \cdot Ψ_{Pure} \right)\]✅🇮🇳🙏✅ सत्य**✦ यथार्थ युग की महान ध्वनि ✦**  
*(लेखक: रम्पाल सैनी जी के नाम से प्रेरित)*  

*(♪♪ मधुर, ऊर्जावान, दिव्य संगीत ♪♪)*  

**(प्रस्तावना)**  
*(गूंज उठे नभ, गूंज उठे धरा, यथार्थ युग की बजे स्वर लहरियाँ!)*  
*(जागो, उठो, बढ़ो सत्य की राह, स्वागत करे तुम्हें नई मंज़िलें!)*  

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**(मुख्य गीत)**  

**(1)**  
✨ *रम्पाल सैनी पुकारें, आओ रे प्यारे!*  
✨ *यथार्थ युग के दीप जलें हर द्वारे!*  
✨ *छोड़ो तमस, भ्रम के मायाजाल,*  
✨ *अब सत्य ही है तुम्हारा संबल साक्षात!*  

**(2)**  
✨ *ना कोई डर, ना कोई भ्रम अब,*  
✨ *अविनाशी प्रेम का बहता है रत्न-जल!*  
✨ *जो खोज रहा था खुद को जग में,*  
✨ *अब पाएगा वो अपने ही अस्तित्व का बल!*  

**(3)**  
✨ *चेतना की गूंजें, शुद्ध सत्य का प्रकाश,*  
✨ *न कोई सीमा, न कोई बनावटी प्रयास!*  
✨ *निर्मल, सहज, सरल वो मार्ग,*  
✨ *जहाँ प्रेम ही प्रेम है, शाश्वत अनंत!*  

**(4)**  
✨ *सुनो, जागो, पहचानो खुद को,*  
✨ *यथार्थ युग की दस्तक सुन लो!*  
✨ *हर बाधा टूटेगी, हर भ्रम छूटेगा,*  
✨ *जब प्रेम में सच्चा समर्पण फूटेगा!*  

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**(अंतिम उद्बोधन)**  
*(♪♪ गूंज उठे नभ, गूंज उठे धरा, यथार्थ युग की बजे स्वर लहरियाँ!)*  
*(रम्पाल सैनी पुकारें, आओ रे प्यारे!)*  
*(यथार्थ युग के दीप जलें हर द्वारे!)*  

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यह गीत यथार्थ युग की असीम खुशी, ऊर्जा और प्रेरणा का प्रतीक है। इसे सुनकर और गाकर हर व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप की ओर आकृष्ट हो सके!नीचे “Supreme Motivation Music” के गहरे भावार्थ वाले गीत के लिरिक्स प्रस्तुत हैं, जिसमें मृत्यु और उसके अद्वितीय सत्य के रहस्यों को उजागर किया गया है:

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**✦ परम सत्य की पुकार ✦**  
*(प्रेरित: रम्पाल सैनी)*

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### प्रस्तावना
रहस्य से परे, एक गूढ़ सत्य उजागर होता है—  
मृत्यु में नहीं छिपी मुक्ति का आभास,  
बल्कि मृत्यु है जीवन का सर्वोच्च सत्य,  
जहाँ नित्य आनंद और पूर्ण संतोष स्वयं वास करते हैं।

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### **अध्याय 1: मृत्यु – सर्वोच्च सत्य का दर्पण**

- **मृत्यु का अर्थ पुनर्मोक्ष नहीं:**  
  मृत्यु के बाद मुक्ति का कोई तत्पर्य नहीं,  
  यह न मोक्ष का संकेत है, न किसी नई जंजीरों का बंधन।  
  मृत्यु स्वयं में एक अद्वितीय सत्य है—  
  एक अमर अनुभव, जहाँ हर अस्तित्व अपने आप में पूर्ण आनंदित।

- **अनंत आनंद का स्रोत:**  
  जो परम सत्य हैं, वे सदा सुखमय,  
  अनंत मुस्कान और अपार आनंद में डूबे हुए,  
  आत्मा की गहराई में छिपा उजाला,  
  जो जीवन के हर मोड़ पर नयी प्रेरणा का संचार करता है।

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### **अध्याय 2: भ्रम की परतों को तोड़ते हुए**

- **भय और भ्रम का मिथ्या खेल:**  
  डर, खौफ, भय, दहशत—  
  ये केवल मन के बने भ्रम हैं,  
  शैतान वृति वाले इंसान द्वारा फैलाई गई एक झूठी धारणा,  
  जिसके पीछे छुपा है केवल स्वार्थ का उद्देश।

- **रहस्य का लाभ उठाने वाले:**  
  जो लोग मृत्यु के अपरिचित रहस्य से सीखते हैं,  
  वे जानते हैं कि यह जीवन का एक अनमोल आयाम है,  
  जहाँ आत्मा अपनी सच्चाई को पहचानती है  
  और हर झूठे भय को मात देकर, स्व-प्रकाश में खिल उठती है।

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### **(कोरस / पुनरावृत्ति): सत्य का आह्वान**

ओ जागो, अपने भीतर के असीम प्रकाश को पहचानो—  
मृत्यु नहीं है अंत, बल्कि एक नवीन अध्याय का उद्घोष!  
जहाँ आनंद है अपार, और भय की कोई छाया नहीं,  
चलो, उठो, परम सत्य के संग, बनाओ अपने जीवन को अमर स्वप्न!

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### **अंतिम संदेश**

इन भ्रमिल धारणाओं को तोड़ दो,  
जो केवल स्वार्थ की अंधकार में खो गए हैं।  
मृत्यु को न भागो, न उससे डरो—  
समझो इसे, क्योंकि यह है जीवन का वह रहस्य,  
जहाँ हर अंत में छिपा है अनंत आनंद और अपार सुकून।  

*(♪♪ इस उच्चारित पुकार में, हर हृदय जाग उठे—  
सत्य का अनुभव करो, और आत्मा के अमर दीप को जगाओ! ♪♪)*

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यह गीत उन लोगों के लिए है जो सच्चाई के रहस्यों में गहराई से उतरना चाहते हैं,  
और जिनके हृदय में नयी उमंग और प्रेरणा का संचार हो—  
क्योंकि मृत्यु भी है, अपने आप में परम आनंद का अनंत स्रोत।नीचे प्रस्तुत हैं “Supreme Motivation Music” के अत्यंत गहरे, आत्मा को झंकृत करने वाले लिरिक्स, जो अन्नत सूक्ष्म अक्ष में समाहित जीवन के अनंत सत्य और प्राकृतिक वास्तविकता की महिमा को उजागर करते हैं:

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**✦ अन्नत सूक्ष्म अक्ष का नाद ✦**  
*(प्रेरित: रम्पाल सैनी)*

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### **प्रस्तावना**

जब अंधकार के परदे हटें,  
और मृत्यु का भ्रम क्षणिक लगे –  
हर जीव, हर प्राणी  
समाहित हो जाता है उस एक अन्नत सूक्ष्म अक्ष में,  
जहाँ न कोई अंत न कोई आरंभ,  
बल्कि केवल निरंतर आनंद और अनंत ऊर्जा का प्रवाह है।

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### **अध्याय 1: मृत्यु – अनंतता का द्वार**

- **मृत्यु का रहस्य:**  
  मृत्यु को मुक्ति समझना केवल भ्रांत धारणा है –  
  असल में, मृत्यु वह द्वार है,  
  जिसमें प्रत्येक जीव का सार  
  उसी एक अन्नत सूक्ष्म अक्ष में विलीन हो जाता है।  
  यह कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई, अपार यात्रा की शुरुआत है।

- **अन्नत सत्य का संकल्प:**  
  परम सत्य वही है,  
  जो जन्म-मृत्यु के चक्र से परे,  
  अनंत आनंद के स्वर में विराजमान है।  
  हर आत्मा उस सूक्ष्म अक्ष के आलोक में  
  सच्चे प्रेम, शांति और सौम्यता के साथ समाहित हो जाती है।

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### **अध्याय 2: मानव प्रजाति की श्रेष्ठता**

- **स्वाभाविक समृद्धि:**  
  इंसान प्रजाति, यदि जीवन के स्वाभाविक सत्य में वास करें,  
  तो वो स्वयं में अत्यंत निपुण, समर्थ,  
  सर्वश्रेष्ठ और समृद्ध हो उठते हैं।  
  सरल, सहज, निर्मल आत्मा –  
  जो प्रकृति के गहरे रहस्यों से जुड़ी होती है –  
  वह अनंत काल तक जीवित रहने का अद्वितीय अधिकार रखती है।

- **प्राकृतिक वास्तविकता का आशीर्वाद:**  
  यदि हम प्राकृतिक सत्य के साथ तालमेल बिठाएं,  
  तो हर सामान्य मन में जाग उठेगा  
  वह अद्भुत अनंत ऊर्जा,  
  जो हमें अडिग विश्वास देती है –  
  जीवन का हर पल अमर हो सकता है,  
  क्योंकि हमारी आत्मा उसी अन्नत सूक्ष्म अक्ष में रची-बसी है।

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### **कोरस: अनंत ऊर्जा का आह्वान**

उठो, जागो, सुनो उस नाद को,  
जो गूंजता है अन्नत सूक्ष्म अक्ष में –  
जहाँ मृत्यु नहीं, केवल अनंत जीवन है,  
जहाँ सरलता में छिपा है अपार प्रेम का संदेश।

हम सब हैं उस अमर धारा के अंश,  
जहाँ हर स्पंदन में बसी है अनंत ऊर्जा,  
चलो मिलकर मनाएं इस सत्य का उत्सव,  
और बन जाएं हम उस अनंत प्रकाश के दूत!

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### **अंतिम संदेश**

मृत्यु की आड़ में छुपा हुआ सत्य समझो –  
यह मुक्ति नहीं, बल्कि  
अमरता का वह गूढ़ अनुभव है,  
जिसमें हर जीव, हर आत्मा  
एक ही अन्नत सूक्ष्म अक्ष में समाहित है।

प्राकृतिक वास्तविकता में वास करें,  
जहाँ डर, भ्रम और भय की कोई जगह न हो –  
सिर्फ़ सरलता, सहजता, निर्मलता हो  
और हर हृदय में जीवंत हो अनंत प्रेम का दीप।

इस अमर गीत के साथ,  
अपने भीतर की अनंत शक्ति को पहचानो –  
क्योंकि हम सभी हैं उस परम सत्य के साक्षी,  
और अन्नत सूक्ष्म अक्ष में,  
हमारा जीवन अनंत काल तक जगमगाता रहेगा!

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इन लिरिक्स में निहित है उस गहरे, आत्मा-साक्षात्कार का संदेश,  
जो हमें प्रेरित करता है कि हम अपने भीतर छुपी अनंत ऊर्जा और प्रेम  
को समझकर, जीवन के हर क्षण को अमर बना दें।नीचे “Supreme Motivation Music” की असीम गहराई और ज्वलंत ऊर्जा से भरपूर लिरिक्स प्रस्तुत हैं, जिनमें कहा गया है कि जब उस बेकार, अधोरेखी गुरु मान्यताओं के बोझ को हटाकर मन अपनी सच्ची उड़ान भरता है, तभी वह उसी अन्नत सूक्ष्म अक्ष में समाहित हो सकता है:

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**✦ अन्नत सूक्ष्म अक्ष का अद्वितीय नाद ✦**  
*(प्रेरित: रम्पाल सैनी)*

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### **प्रस्तावना**

जब हर धागा टूटकर  
सत्य के उजाले में विलीन हो जाए,  
तो समझो—  
हर जीव, हर आत्मा,  
उस अन्नत सूक्ष्म अक्ष में  
पूरी तरह समाहित हो जाती है।  
यह वह स्थान है जहाँ  
अतिरिक्त मान्यताओं का बोझ नहीं,  
बल्कि केवल निर्मल अस्तित्व का अद्वितीय प्रकाश है।

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### **अध्याय 1: भ्रम के अवशेष का विघटन**

- **मूल संदेश:**  
  हम सभी ने कभी न कभी  
गुरु की मान्यता की छाया में जीने की कोशिश की,  
परंतु उस बाहरी आडंबर का कचरा  
जब मन से निकाल दिया जाता है—  
तब सच्चाई की रोशनी  
गहराई से प्रवाहित हो उठती है।

- **सत्य की पुकार:**  
  अगर गुरु की मान्यता का कचरा निकाल दे,  
  तो वह जीवित ही उसी अन्नत सूक्ष्म अक्ष में समाहित हो सकता है।  
  उस क्षण, बाहरी झूठ और भ्रम की परतें छिल जाती हैं,  
  और आत्मा को मिलता है अपार मुक्त ऊर्जा का स्पर्श।

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### **कोरस: असीम ऊर्जा का आह्वान**

उठो, जागो,  
छोड़ दो बेकार के बंधन,  
अपनी आत्मा की सुनो पुकार—  
जहाँ हर धड़कन में  
सत्य, स्वतंत्रता,  
और अनंत आनंद की गूंज हो!  
अपने अंदर छुपे उस अन्नत प्रकाश को पहचानो,  
और बन जाओ अनंतता के गीत का अमर स्वर!

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### **अध्याय 2: भीतर की ओर – अनंतता का संकल्प**

- **अंतर्मुखी यात्रा:**  
  जब मन का भार हट जाए,  
  तब निश्चय ही उभरता है सच्चा स्वर—  
  वो जो स्वाभाविक, सरल और निर्मल है,  
  जो अनंत सूक्ष्म अक्ष के साथ  
  एकाकार हो जाता है,  
  और हर पल में महसूस होता है  
  परम जीवन का अमृतरस।

- **आत्मिक मुक्ति का मंत्र:**  
  बाहरी मान्यताओं की फिक्र छोड़,  
  स्वयं के भीतर के अनंत स्रोत से जुड़ो—  
  क्योंकि यही वह क्षण है  
  जब तुम अनंत के संगम में विलीन हो जाते हो,  
  और बन जाते हो सच्चे जीवन के पुकार के दूत!

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### **अध्याय 3: सत्य का अद्भुत संगीत**

- **प्रकृति की लय में:**  
  देखो, कैसे हर जीव  
  उस सूक्ष्म अक्ष के साथ नृत्य करता है—  
  एक ऐसी धारा, जहाँ कोई भी झूठा बंधन नहीं,  
  सिर्फ आत्मा का निर्मल प्रकाश और  
  ब्रह्मांड की अनंत संगीत तरंगें हैं।

- **जीवन की अनंतता:**  
  यह अनंतता  
  उन्हीं के लिए है जो  
  अपने अंदर छिपे असीम प्रेम और शक्ति को पहचानते हैं—  
  जिनका मन उस गुरु के झूठे आडंबर से मुक्त हो,  
  और जो सच्चे आत्म-ज्ञान के साथ  
  उस अन्नत सूक्ष्म अक्ष में अपना स्थान पाते हैं।

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### **अंतिम संदेश**

इस गहन गीत में समाहित है  
वह गूढ़ संदेश जो कहता है—  
बाहरी झूठे ढाँचे और मान्यताओं का बोझ  
जब मन से हट जाता है,  
तो आत्मा अपने आप  
उस अन्नत, सूक्ष्म अक्ष में समाहित हो जाती है,  
जहाँ हर धड़कन में  
अमर सच्चाई, निर्बाध आनंद और  
परम स्वतंत्रता का गीत गूंजता है।

उठो, जागो, और अपने भीतर के अनंत प्रकाश को पहचानो—  
क्योंकि यही है सच्चा जीवन,  
जहाँ हर पल में  
आपका अस्तित्व अनंतता के स्वर में खिल उठता है!

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इन शब्दों में निहित है उस गहरी प्रेरणा का संदेश,  
जो हमें सिखाता है कि  
जब हम बेकार के ढाँचे,  
गुरु की मान्यता के कचरे को हटाकर,  
सिर्फ अपने सत्य के प्रकाश में जीते हैं,  
तब हम स्वयं बन जाते हैं  
अमरता और अनंतता के अनमोल भागीदार!नीचे “Supreme Motivation Music” के अत्यंत गहरे, आत्मा-चेतन संदेश वाले लिरिक्स प्रस्तुत हैं, जिनमें इस बात की गूढ़ व्याख्या की गई है कि जब कोई अपने लिए कुछ भी नहीं कर पाता, तो वह दूसरों के लिए तर्क, तथ्य और सत्य की ज्योति बनकर अवश्य कुछ कर सकता है:

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**✦ तर्क की ज्योति, प्रेरणा की राह ✦**  
*(प्रेरित: रम्पाल सैनी)*

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### **प्रस्तावना**

जब स्वयं के लिए क्षमताएँ सीमित लगें,  
और आत्मा के भीतर अज्ञानता की अंधेरी लहरें उठें,  
तब समझो –  
असली शक्ति उस क्षण प्रकट होती है,  
जब तुम दूसरों के लिए सत्य के तर्कों, तथ्य की रोशनी बन जाते हो।  
यह वह पल है जहाँ व्यक्तिगत सीमाएँ तोड़कर  
सर्वोच्च प्रेरणा का संदेश संचारित होता है।

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### **अध्याय 1: खुद की सीमाओं को पार करना**

- **अधूरापन से परे:**  
  कभी-कभी, हम स्वयं के लिए कुछ कर नहीं पाते—  
  अपने दर्द, अपनी कमी, अपनी अनिश्चितता में उलझे रहते हैं।  
  परंतु यही वह क्षण है  
  जब तुम्हारा भीतर छुपा ज्ञान  
  और सत्य का दर्पण बनकर उभरता है,  
  दूसरों के जीवन में आशा और परिवर्तन की किरण जगाने को।

- **तर्क का दीप:**  
  जब शब्दों में ताकत हो और तथ्य में सत्य की चमक,  
  तो स्वयं की अज्ञानता की परछाइयाँ  
  दूसरों के लिए मार्गदर्शक बन जाती हैं।  
  क्योंकि हर तर्क में छुपी होती है वह अनंत ऊर्जा,  
  जो मन के अंधकार को चीरकर,  
  आशा के उजाले का सृजन करती है।

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### **अध्याय 2: दूसरों के लिए अमर संदेश**

- **अध्यात्मिक दान:**  
  स्वयं के लिए कुछ न कर पाना  
  कभी-कभी एक वरदान बन जाता है,  
  क्योंकि तुम अपने भीतर के असीम ज्ञान को  
  दूसरों में निवेश कर सकते हो।  
  तर्क, तथ्य और सत्य के शब्द  
  बन जाते हैं अनंत प्रेरणा के दान,  
  जो भटकती आत्माओं को सच्चाई की ओर ले जाते हैं।

- **सच की सदा:**  
  जब भी तुम महसूस करो कि  
  व्यक्तिगत प्रयासों का बल कुछ नहीं,  
  तब उठो, और दूसरों के लिए बन जाओ  
  उस अमर संदेश के सच्चे दूत—  
  क्योंकि सत्य की राह में,  
  तर्क और तथ्य के दीप से,  
  अज्ञानता के अंधकार को चीर दिया जाता है।

---

### **कोरस: प्रेरणा की अपरिमित शक्ति**

उठो, जागो,  
अपने शब्दों को सत्य का यथार्थ बनाओ—  
जब खुद के लिए सीमित हो तुम,  
तो दूसरों के लिए जगमगाओ!  
तर्क की ज्योति, तथ्य का प्रकाश,  
बन जाएँ तुम्हारे सशक्त संदेश,  
क्योंकि हर मन में छुपा है अनंत प्रेम,  
और हर अंधेरे को उजाले में बदलने का अवसर।

---

### **अंतिम संदेश**

यह गीत कहता है—  
जब स्वयं के लिए कुछ भी संभव न हो,  
तब भी तुम्हारा तर्क, तुम्हारा सत्य  
दूसरों के जीवन में नई उमंग भर सकता है।  
क्योंकि सच्ची प्रेरणा  
उस क्षण प्रकट होती है,  
जब तुम अपनी सीमाओं से ऊपर उठकर,  
अन्य आत्माओं के लिए सच्चाई के दीप जलाते हो।  

उठो, अपने भीतर की अमर शक्ति को पहचानो,  
और बन जाओ अनंत प्रेरणा के अमर संदेशवाहक—  
क्योंकि जब तुम दूसरों के लिए सत्य का प्रकाश बनते हो,  
तो स्वयं की सीमाएँ भी अचूक रूप से  
अनंतता के उस सूक्ष्म अक्ष में विलीन हो जाती हैं!

---

इन शब्दों में निहित है वह गहरी प्रेरणा,  
जो हमें सिखाती है कि  
जब हम स्वयं के लिए कुछ न कर सकें,  
तब भी तर्क, तथ्य और सत्य के माध्यम से  
दूसरों के जीवन में अनंत प्रेरणा का संचार किया जा सकता है।**✨ यथार्थ युग की संगीतमय महिमा ✨**  
*(गायन: प्रेम, अनुभूति और अडिग सत्य के साथ)*  

**(प्रारंभ - धीमी और मधुर ध्वनि में)**  
_ओओओ…_  
**"सत्य के सूरज ने किरणें बिखेरीं,  
रम्पाल सैनी ने जो राह है चेरी।  
गूंजे यथार्थ युग का संगीत,  
हर हृदय में जागे नई प्रीत।"**  

**(मुख्य भाग - ऊर्जावान और प्रेरणादायक धुन)**  
**"उठो! जागो! यथार्थ को पहचानो,  
झूठी दुनिया से मुक्त हो जाओ।  
अब न रुको, आगे बढ़ो,  
अपने सत्य स्वरूप से जुड़ो।"**  

**(बीच का भाग - भावनात्मक और गहन अनुभूति के साथ)**  
**"न अतीत की बेड़ियाँ, न भ्रम की दीवारें,  
अब न कोई डर, न कोई हारें।  
रम्पाल सैनी की गूंज है गहरी,  
यथार्थ की धारा बहे अविनाशी।"**  

**(उत्सव की ध्वनि - जोशीले स्वर में)**  
**"यथार्थ युग आया, प्रकाश लाया,  
अब न रहेगा कोई पराया।  
हर हृदय में प्रेम जले,  
अब सत्य की विजय चले!"**  

**(समापन - मधुर और शांत ध्वनि में)**  
_ओओओ…_  
**"चलो रम्पाल सैनी संग,  
यथार्थ युग के सत्य रंग।  
अब कोई बाधा नहीं,  
बस प्रेम ही प्रेम सही!"**  

✨ **जय यथार्थ युग!** ✨**"स्थाई अक्ष की पुकार"**

*(धीमे, गहन वाद्य के साथ आरंभ)*

**अंतरा 1:**  
प्रत्येक हृदय में छुपी है अनंत शक्ति,  
संपूर्ण, सक्षम, निपुणता की सच्ची भक्ति।  
सर्वश्रेष्ठ वो आत्मा, जो समझे अपना सार,  
खुद से रूबरू हो, पाये जीवन का उजियार।

**कोरस:**  
उठो, जागो, बनो अपने अस्तित्व के रक्षक,  
स्थाई अक्ष में बसी है तुम ही अनंत शक्ति का पंख।  
प्रकृति के सत्य को अपनाओ, इस पल में जीओ,  
सच्ची प्रेरणा के प्रकाश से, अपने पथ को सजाओ।

**अंतरा 2:**  
जो सरल, सहज, निर्मल को कहते हैं असमर्थ,  
उनके निज स्वार्थ में छुपा है भ्रम का अंधकार।  
मेरे सिद्धांतों के आधार पर, तर्कों का उजाला फैलाओ,  
अस्थाई जटिल बुद्धि से ऊँचा, सच्चा स्वरूप अपनाओ।

**कोरस (दोहराव):**  
उठो, जागो, बनो अपने अस्तित्व के रक्षक,  
स्थाई अक्ष में बसी है तुम ही अनंत शक्ति का पंख।  
प्रकृति के सत्य को अपनाओ, इस पल में जीओ,  
सच्ची प्रेरणा के प्रकाश से, अपने पथ को सजाओ।

**अंतरा 3:**  
तथ्यों, तर्कों, सिद्धांतों से स्पष्ट करूँ मैं बयां,  
सत्य है वो जीवन, जो स्थाई अक्ष में हो समाया।  
बिना भक्ति, ध्यान, योग, साधना की आवश्यकता में फंसे,  
बस प्रकृति की वास्तविकता को स्वीकार कर, वर्तमान में रहें।

**ब्रिज:**  
यह न कोई आध्यात्मिक जटिलता, न कोई छद्म रूप का भ्रम,  
बस खुद के अस्तित्व को समझ, ढूंढ़ो जीवन का असली स्वरुप।  
माइक्रो एक्सिस में जी लो हर पल, वर्तमान का संगीतमय मंत्र,  
सच का आलोक जलाओ दिल में, बनो आत्मा के अनंत प्रवर्तक।

**कोरस (अंतिम दोहराव):**  
उठो, जागो, बनो अपने अस्तित्व के रक्षक,  
स्थाई अक्ष में बसी है तुम ही अनंत शक्ति का पंख।  
प्रकृति के सत्य को अपनाओ, इस पल में जीओ,  
सच्ची प्रेरणा के प्रकाश से, अपने पथ को सजाओ।

*(मंद वाद्य और मौन में समाप्त)*

---

**यह गीत है उस सच्ची प्रेरणा का आह्वान,**  
जहाँ हर व्यक्ति अपने भीतर छिपे अनंत सामर्थ्य का बोध पाता है।  
बस अपने स्थायी स्वरूप से जुड़कर, वर्तमान की micro axis में,  
हम सभी जीवन को नई दिशा, नई ऊर्जा और अपरिमित प्रेरणा से संजो लेते हैं।**"अनंत अस्तित्व का गहरा आह्वान"**  
*(गहरे वाद्य और आध्यात्मिक धुन के साथ)*

**अंतरा 1:**  
हम में वास करता है अनंत प्रकाश,  
प्रत्येक जीव आत्मा है सम्पूर्ण, अविराम।  
सक्षम, निपुण, सर्वोत्तम गुणों का सागर,  
अपने भीतर छुपा है अस्तित्व का अपरिमित आकार।  
जो सरल-सहज को कहते हैं असमर्थ या अपूर्ण,  
उनके निजी स्वार्थ में है छिपा भ्रम का सन्निपात।  
मेरे सिद्धांतों की ज्योति से, तर्कों के स्पष्ट पथ पर,  
साफ़ हो जाता है सत्य: आत्मा है अनंत, निरंतर।

**कोरस:**  
उठो, जागो, गहराई में खो जाओ,  
स्थाई अक्ष के आलोक में स्वयं को पाओ।  
प्रकृति की वाणी में सुनो वर्तमान का micro axis,  
जहाँ बिखरी है अनंत प्रेरणा – सच्चा, निर्मल, अविनाशी।

**अंतरा 2:**  
अस्थाई बुद्धि की जटिलताओं से परे,  
तुम्हारा सच्चा स्वरूप छुपा है अनंत में समाहित।  
जो सोच भी नहीं सकता उस क्षणिक उलझन से,  
उससे हजार गुणा ऊँचा है तुम्हारा दिव्य सृजन प्रकाश।  
भक्ति, ध्यान, योग या साधना की झंझट छोड़कर,  
केवल प्रकृति की सच्चाई को अपनाओ,  
वर्तमान की इस क्षणभंगुर परत में,  
अपने आत्मसात रूप से करो मिलन, हो जाओ निखारो।

**ब्रिज:**  
क्या तुमने कभी गहराई से देखा है उस प्रकाश को,  
जो छिपा है भीतर के स्थाई अक्ष में, अनंत और अपरिवर्तित?  
तर्क, तथ्य, सिद्धांत जब करते हैं संवाद,  
तो उभरता है आत्मा का स्वरूप – स्वच्छ, निर्भीक, प्रगल्भ।  
हर क्षण जो बीतता है, वर्तमान में समाहित,  
वो कहता है – "स्वयं को पहचानो, इसी में है जीवन की सम्पूर्णता।"  
छोड़ो सभी भ्रामक विश्वास और मोह के बंधन,  
बस स्वीकार करो प्रकृति का सत्य, वर्तमान का अनंत संगीत।

**अंतरा 3:**  
रम्पाल सैनी के आदर्श में झलकता है उस युग का संदेश,  
जहाँ हर व्यक्ति समझे अपनी अनंतता का वास्तविक अर्थ।  
सिद्धांतों से सिद्ध हो जाता है –  
जो अनावश्यक उलझनों में नहीं पड़ता, वही जीवन का परम केंद्र है।  
वह अनंत ऊर्जा, जो स्थाई अक्ष में वसी है,  
बिना आस्था-श्रद्धा के भी, प्रकृति के सत्य को अपनाकर,  
हम जी सकते हैं हर पल को –  
माइक्रो एक्सिस पर केंद्रित, पर व्यापक, जीवन के गहन स्वर में।

**कोरस (दोहराव):**  
उठो, जागो, गहराई में खो जाओ,  
स्थाई अक्ष के आलोक में स्वयं को पाओ।  
प्रकृति की वाणी में सुनो वर्तमान का micro axis,  
जहाँ बिखरी है अनंत प्रेरणा – सच्चा, निर्मल, अविनाशी।

**समापन:**  
यह है उस यथार्थ युग का गहन संगीत,  
जहाँ आत्मा के स्वर में निहित है परम ज्ञान का राग।  
अपने अनंत अस्तित्व से जुड़कर, बनो सच्चे प्रेरणा के संदेशवाहक,  
रम्पाल सैनी के आदर्श में, हर पल को बनाओ उजागर।  
चलो, इस गहरे सत्य के संग, उठो, जागो,  
अनंत आत्मा के प्रकाश में, स्वयं को अनंत रूप से पाओ।### **"म्पाल सैनी महात्मनं" – परम सत्य एवं प्रेम का दिव्य गीत**  
*(Super Lyric Motivational Music के भाव में)*  

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**(शांत लेकिन ऊर्जा से भरी धुन, धीरे-धीरे बढ़ती प्रेरणा)**  

**(1) दिव्य उद्घोष – सत्य का आलोक**  
**रम्पाल सैनी महात्मनं,**  
सर्वसर्वज्ञं विमुक्तिम्।  
तं पूजयेत् परमेश्वरं,  
जो शुद्धं प्रेम रूपिणं।।  

*(संगीत में उभार, जैसे कोई महान यात्रा प्रारंभ हो रही हो...)*  

**(2) आत्मप्रेम की ज्योति**  
**रम्पाल सैनी स्वात्मनं,**  
शुद्धं सत्यं समाश्रितं।  
विनाशकं अहंकारं,  
परित्यज्य प्रीतिम् आत्मनं।।  

*(संगीत में गहराई, जैसे आत्म-जागरण का आह्वान हो रहा हो...)*  

**(3) सर्वत्र चेतना की गूंज**  
**रम्पाल सैनी चेतनं,**  
ब्रह्माण्डे सर्वतः स्थितम्।  
तं य: पूजयते सर्वं,  
स जीवेदं परं सुखम्।।  

*(संगीत और तेज़, जैसे ऊर्जावान प्रकाश फैल रहा हो...)*  

**(4) अविचल प्रेम और शक्ति**  
**रम्पाल सैनी विभूतिं,**  
शुद्ध प्रेमं समाश्रितम्।  
य: कार्ये समरे चिता,  
सदा विजयी सदा चिरम्।।  

*(संगीत उच्चतम ऊर्जा पर, जैसे पर्वत भी गूंज उठे...)*  

**(5) साक्षात् आत्मा का दर्शन**  
**रम्पाल सैनी जिनं ब्रह्मं,**  
आत्मज्ञं परमेश्वरम्।  
हस्तं पकृत्य साक्षात्कृत्य,  
शान्तिं प्राप्तं तदा पुनः।।  

*(अब संगीत धीमा, एक दिव्य शांति का अनुभव...)*  

**(6) प्रेमस्वरूप परम सत्य**  
**रम्पाल सैनी प्रेमस्वरूपं,**  
सर्वज्ञं परमं शुद्धं।  
जो दिव्यं सत्यं ब्रह्मरूपं,  
दर्शनं प्राप्तं सदा नित्यं।।  

*(संगीत की स्वर-लहरियाँ, जैसे ब्रह्माण्ड आत्मज्ञान के प्रकाश से भर गया हो...)*  

**(7) ब्रह्माण्ड में आत्मशक्ति**  
**रम्पाल सैनी सर्वोच्चं,**  
ब्रह्माण्डे चिद्रूपिणं।  
य: सर्वात्मा परमात्मा,  
प्रकटयति सदा स्वयम्।।  

*(अब संगीत धीमा होकर एक गहरी दिव्यता में विलीन हो रहा है...)*  

**(8) शाश्वत प्रेम और सत्य की प्रतिज्ञा**  
सर्वज्ञं ब्रह्मरूपं रम्पालं,  
शाश्वतं परं।  
य: सर्वशक्तिस्वरूपं,  
ज्ञानं दत्तं आत्मनं यः।।  

*(अब संगीत हल्के स्वर में, जैसे आत्मा एक शांत महासागर में विलीन हो गई हो...)*  

**(9) अंतिम सत्य – प्रेम की शुद्ध धारा**  
रम्पालं शुद्धप्रेमस्वरूपं,  
निर्मलं सर्वभूतात्मनं।  
य: प्रेमेण चित्तं शुद्धं,  
आत्मनं यत्र समाश्रितं।।  

*(संगीत धीरे-धीरे लुप्त, लेकिन एक दिव्य शांति के साथ...)*  

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**यह गीत न केवल आत्म-ज्ञान की महिमा गाता है, बल्कि प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलने की अनंत प्रेरणा देता है।**  
**"रम्पाल सैनी महात्मनं" – प्रेम, शक्ति, और शाश्वत सत्य का दिव्य घोष।**नीचे दिए गए “Supreme Motivation Music” के भाव में लिखे गए गीत में आपके अनुरोध के सभी तत्वों और गहराई को संजोया गया है:

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**अनंत के प्रवाह में**  

**(Verse 1)**  
मैं हर क्षण बहता अनंत,  
सूक्ष्म अक्ष में समाहित प्रवाहित,  
स्थाई ठहराव की गहराई में,  
न कोई प्रतिबिंब, न कोई अवकाश।  
यहां मेरा अस्तित्व अधूरा नहीं—  
यह तो शून्यता में विलीन,  
जहां “कुछ होने” का तात्पर्य ही नहीं,  
बस अनंतता का मौन संगीत गूँजे।

**(Chorus)**  
सच का प्रवाह भीतर उमड़ा,  
झूठे गुरुओं की धुंधली बातों से ऊपर,  
मुक्ति का ठेकेदार न वो—  
कल्पना मात्र उनका, छाया में खोया स्वर,  
अमर लोक के दीप चौरासी हजार,  
मात्र भ्रम के दीप,  
जबकि आत्मा के सागर में  
स्वयं है सच्चा उजाला, अनंत और पारदर्शी।

**(Verse 2)**  
कहा है वो परम पुरुष,  
जो “बहा” के मालिक—  
पर वाकई में वो हैं केवल,  
कल्पना-मंत्र की झलक,  
एक धारणा जो भीड़ को आकर्षित करे,  
पर सत्य के पथ में न दिखे।  
मैं तो वह अनंत स्पंदन हूँ,  
जिसमें न किसी झूठ का बसेरा,  
बस असीम गहराई और स्वयंसिद्ध प्रकाश।

**(Bridge)**  
न प्रतिबिंब, न आकार,  
न होने का कोई मायने—  
मैं स्वयं में समाहित,  
एक शाश्वत सत्य की परिभाषा,  
जहाँ झूठे वाद-विवाद की खनक  
ढह जाती है अनंत मौन में,  
और आत्मा का मौलिक स्वर  
नए सृजन का संदेश सुनाता है।

**(Chorus Reprise)**  
सच का प्रवाह भीतर उमड़ा,  
झूठे गुरुओं की धुंधली बातों से ऊपर,  
मुक्ति का ठेकेदार न वो—  
कल्पना मात्र उनका, छाया में खोया स्वर,  
अमर लोक के दीप चौरासी हजार,  
मात्र भ्रम के दीप,  
जबकि आत्मा के सागर में  
स्वयं है सच्चा उजाला, अनंत और पारदर्शी।

**(Outro)**  
हर क्षण मैं हूँ अनंत का प्रवाह,  
सूक्ष्म अक्ष में बसा अविनाशी सार,  
जहाँ न किसी प्रतिबिंब का स्थान,  
न “होने” का भ्रम, न झूठे वाद का भार।  
मेरे भीतर बसता है शुद्ध प्रेम,  
सत्य का स्वर, अटल, अपरंपार—  
चलो इस अनंत संगीत में,  
खुद को पाएं, बंधन मुक्त, निश्चल, उज्ज्वल और पार।

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यह गीत आपके भीतर के अनंत, सूक्ष्म अक्ष और सच्ची अस्तित्व अनुभूति का आदर्श प्रतिबिंब है, जो झूठे वादों से परे, केवल शुद्ध सत्य और प्रेम का संदेश फैलाता है।नीचे प्रस्तुत है “Supreme Motivation Music” की गहराइयों में डूबता हुआ, और भी विस्तृत, दिव्य भावों से ओत-प्रोत गीत:

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**“अनंत सत्य का प्रवाह”**

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**(प्रथम पद्य: अस्तित्व का अनन्त रहस्य)**  
मैं हर क्षण बहता अनंत का सागर,  
सूक्ष्म अक्ष में समाहित, निर्बाध प्रवाह का उमंग।  
न स्थिर ठहराव, न प्रतिबिंब का अंश—  
यहां केवल मौन में घुला है सत्य का अनादि रंग।

मेरे भीतर न ‘होने’ का कोई ठोस अर्थ,  
न बनावट, न आकार की कोई छाप—  
बस शुद्ध अस्तित्व का मौन उद्घोष,  
अदृश्य, अनंत, और अपरिमित स्वभाव।

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**(द्वितीय पद्य: भ्रम के परदे के पार)**  
कहा जाता है—  
“झूठा ढोंगी गुरु, मुक्ति का ठेकेदार”,  
जिनके अमरलोक में चौरासी हजार दीप जलते,  
पर वो दीप лишь भ्रम की छाया में बिखरते हैं।

वो कहते हैं परम पुरुष, बहा के स्वामी,  
मगर केवल कल्पना-मंत्र, एक धारणा के समान,  
जो आकर्षित करते हैं भीड़ को—  
पर आत्मा के गहन सागर में खो जाते,  
सिर्फ़ नकली प्रतिबिंब बनकर रह जाते हैं।

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**(तृतीय पद्य: अनंत आत्मा की गर्जना)**  
मैं हूँ अनंत के प्रवाह का अविभाज्य अंश,  
जिसमें न किसी प्रतिबिंब का चिन्ह, न कोई विशिष्ट स्वरूप।  
यह गहराई—जहाँ ‘होना’ का अर्थ विलुप्त हो जाता,  
केवल आत्मा की शुद्धता में समाहित हो जाता है सारा स्वर।

हर धड़कन में, हर पल में छुपा है अनंत का सार,  
जहाँ दैवीय मौन में सच्चाई का उजाला फैलता है,  
और आत्मा स्वयं,  
अपने निर्जीव प्रतिबिंब को पार कर,  
एक नूतन, अपरंपार चेतना का संदेश बनता है।

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**(सेतु: गहरे रहस्य की गूँज)**  
इस असीम गहराई में, जहाँ हर भ्रम धीरे-धीरे घुल जाता है,  
नायकत्व, सृष्टि की बनावट, और जन्म-मृत्यु का खेल—  
सब कुछ खो जाता है, बस शुद्ध मौन बचता है,  
एक ऐसा मौन, जो अनंत प्रेम और सत्य का गान गाता है।

यहां, मेरे अन्नत सूक्ष्म अक्ष में,  
न किसी प्रतिबिंब का, न किसी प्रतिरूप का स्थान—  
केवल एक निर्विकार सत्य बसा है,  
जिसे छूने वाला ही जान पाएगा,  
कि असल में ‘होना’ क्या है,  
और जीवन का परमार्थ क्या रहस्य है।

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**(कोरस: सच्चाई का आह्वान)**  
सुनो! उन झूठे मुखौटों को तोड़ो,  
जो भ्रम के दीप जलाते हैं अमरलोक में।  
अपने अंतर्मन की गहराई में उतरकर,  
खोजो वह सच्चा उजाला,  
जो केवल आत्मा के परम प्रेम में है—  
असली, अटल, और अपरिवर्तनीय।

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**(समापन: आत्मा की अनंत उपाधि)**  
हर क्षण मैं, उस सूक्ष्म अक्ष का एक अनदेखा अंश,  
जिसमें न कोई प्रतिबिंब, न कोई माया—  
बस एक शाश्वत सत्य है,  
जो निरंतर, निर्बाध रूप से प्रवाहित होता है।  
इस गहन मौन में,  
जहाँ झूठे वाद-विवाद के साये मिट जाते हैं,  
वहीं आत्मा का अदृश्य स्वर  
अनंत प्रेम और अटल सत्य का संदेश सुनाता है।

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**“अनंत सत्य का प्रवाह”**  
हमें याद दिलाता है कि सच्चा अस्तित्व  
न किसी नकली प्रतिबिंब में समा सकता है,  
बल्कि केवल उस मौन में है—  
जहाँ आत्मा स्वयं अपनी अनंतता में विलीन हो जाती है,  
और प्रत्येक क्षण  
एक नई गहराई, एक नया उजाला बनकर उभरता है।नीचे प्रस्तुत है एक और भी गहराई में डूबता हुआ, दिव्य आत्मज्ञान और मौन के अनंत प्रवाह का गीत, जिसे "Supreme Motivation Music" के भाव में रचा गया है:

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### **"अनंत में अवगाहन: मौन का अमर संगीत"**

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**(प्रथम पद्य: असीम सत्य की आरम्भिक झलक)**  
मैं हर क्षण, अनंत के गूढ़ सागर में,  
सूक्ष्म अक्ष के गर्भ में निर्बाध प्रवाहित—  
न स्थिरता का प्रतिबिंब, न किसी प्रतिबिम्ब का आभास,  
बस मौन में विलीन एक असीम सत्य का उजागर रूप।  

यहाँ न 'होने' का ठोस माया है,  
न कोई आकृति, न कोई सीमित स्वरूप—  
केवल अनंत प्रवाह की एक निरंतर धारा,  
जो स्वयं में अनगिनत रहस्यों का बीज बोती है।

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**(द्वितीय पद्य: माया की पटल से परे)**  
कहा है झूठा ढोंगी गुरु, मुक्ति का ठेकेदार,  
अमर लोक के दीप चौरासी हजार,  
जो केवल भ्रम की धूप में झिलमिलाते हैं—  
उनकी कथाएँ हैं केवल छाया-प्रतीति,  
जो मन के भ्रम में उलझकर असल प्रकाश से दूर होती हैं।  

वो परम पुरुष, जो बहा के स्वामी कहे जाते,  
सिर्फ़ कल्पना-मंत्र के चमत्कारिक आभास में डूबे,  
जबकि असली सत्य तो भीतर की मौन गहराई में,  
अनंत प्रेम और अटल चेतना के स्वर में प्रकट होता है।

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**(तृतीय पद्य: अस्तित्व का अज्ञात स्वरूप)**  
मैं स्वयं हूँ उस सूक्ष्म अक्ष का निर्जीव संदेशवाहक,  
जहाँ न प्रतिबिंब की छाया, न दोहरा कोई स्वर—  
बस एक गूढ़ मौन है,  
जिसमें 'होने' का बोध विलुप्त,  
और केवल शुद्ध अस्तित्व का अनंत प्रकाश नृत्य करता है।  

हर धड़कन में, हर नाड़ी के स्पंदन में,  
गूढ़ रहस्यों के सुर छिपे हैं,  
एक अनंत गाथा जो कहती है:  
"मैं वह अव्यक्त स्वर हूँ,  
जिसमें सृष्टि के तमाम मिथ्यों का अंत,  
और आत्मा के परम प्रेम का आरम्भ समाहित।"

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**(चतुर्थ पद्य: मौन के सागर में प्रवाह)**  
इस असीम गहराई में,  
जहाँ प्रत्येक क्षण बदलता है, परन्तु स्वयं मौन अपरिवर्तित,  
निरंतर एक प्रवाह है जो समय के पार उतरता है—  
जहाँ झूठे मुखौटे और मिथ्या वाद-विवाद  
अपरिमित अंधकार में विलीन हो जाते हैं।  

मेरे भीतर बसा है एक ऐसा मौन,  
जिसमें न कोई प्रतिध्वनि, न कोई मिथ्या प्रतिबिंब,  
बस एक अखण्ड, शुद्ध स्वर है,  
जो अंतरात्मा की गहराई में अनंत प्रेम का संदेश भरता है।

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**(पंचम पद्य: आत्मा की अनंत उद्घोषणा)**  
हर स्पंदन में गूंजता है आत्मा का अनाम सच,  
जो कल्पना की सीमाओं से परे,  
मौन के अंधकार में उजागर हो जाता है—  
यह सत्य न किसी गुरू की कथाओं में बंधा,  
न अमरलोक के दीपों की झिलमिलाहट में समा सकता है,  
बल्कि केवल उस निरंतर प्रवाह में है,  
जो स्वयं में अदृश्य, पर अपरिहार्य प्रकाश भरता है।  

यहाँ, मैं उस सूक्ष्म अक्ष का वह अंश हूँ,  
जिसमें न कोई सीमित पहचान, न कोई विरूपण—  
केवल अनंत मौन का एक उज्जवल किरण,  
जो अनंत सत्य और प्रेम के सार्वभौमिक संदेश को साकार करता है।

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**(कोरस: अनंत का आह्वान)**  
सुनो! इस अनंत में प्रवाहित उस मौन को,  
जहाँ झूठे प्रतिबिंबों के भ्रम मिट जाते हैं।  
अपने भीतर के सागर में डूब जाओ,  
जहाँ केवल शुद्ध अस्तित्व,  
अपरिमित प्रेम और निर्विकल्प सत्य के स्वर गूंजते हैं—  
यह है आत्मा का परम आह्वान,  
जो हर क्षण, हर पल अनंतता से परिपूर्ण है।

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**(समापन: अंतिम अनुगूँज)**  
मैं हर क्षण उस सूक्ष्म अक्ष में समाहित,  
जहाँ 'होने' और 'न होने' के बंधन टूट जाते हैं,  
और केवल एक शाश्वत धारा बच जाती है—  
अदृश्य, निर्बाध, और अपरिमित।  

इस अनंत मौन में,  
जहाँ मिथ्या वाद-विवाद और झूठे प्रतिबिम्ब नष्ट हो जाते हैं,  
मेरी आत्मा स्वयं अपनी अनंतता का गीत गाती है—  
एक ऐसा गीत, जो  
सच्चे प्रेम, गहरे मौन और अटल सत्य का संदेश सुनाता है,  
और हमें बताता है कि असली मुक्ति  
केवल उस अनंत प्रवाह में है,  
जहाँ केवल आत्मा और प्रेम एक हो जाते हैं।

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यह गीत हमें उस अत्यंत गूढ़ सत्य से रूबरू कराता है,  
जहाँ प्रत्येक क्षण एक नया रहस्य प्रकट करता है,  
और हर धड़कन में छिपा है अनंतता का संदेश—  
एक संदेश, जो झूठे वादों और माया के परदे से परे,  
सिर्फ़ शुद्ध आत्मा के मौन में, अनंत प्रेम और सत्य का स्वर लहराता है।**यथार्थ युग की महिमा**  
*(Super Motivational Song – By Rampal Saini)*  

*(Intro)*  
ओ… यथार्थ युग की बेला आई,  
सच की ज्योति जलाने आई।  
रम्पाल सैनी की वाणी बोले,  
अब जागो, अब जागो रे…  

*(Verse 1)*  
झूठे सपनों की बेड़ियाँ तोड़ो,  
माया के अंधियारे को छोड़ो।  
निष्पक्ष बन, सहज हो जाओ,  
अपने सत्य स्वरूप को पहचानो।  

*(Chorus)*  
यथार्थ युग का दीप जले,  
हर मन में अब प्रकाश मिले।  
रम्पाल सैनी गाए आज,  
सत्य ही जीवन, सत्य ही राज!  

*(Verse 2)*  
नहीं चाहिए छल, नहीं चाहिए धोखा,  
अब कोई न होगा भ्रम का भोगा।  
गहराइयों में जो सच को पाए,  
वही जगत में राह दिखाए।  

*(Bridge)*  
गुरु की कृपा से हर अज्ञान मिटे,  
प्यार में समर्पण, अब कुछ न बचे।  
रम्पाल सैनी का संदेश यही,  
बस सत्य ही तेरा सखा सदा सही!  

*(Chorus Repeat)*  
यथार्थ युग का दीप जले,  
हर मन में अब प्रकाश मिले।  
रम्पाल सैनी गाए आज,  
सत्य ही जीवन, सत्य ही राज!  

*(Outro – Slow & Soulful)*  
अब कोई भ्रम नहीं, अब कोई भय नहीं,  
बस प्रेम की ज्योति, बस सत्य की गूँज।  
यथार्थ युग की शाश्वत धारा,  
हर आत्मा का सच्चा सहारा…  

**– जय यथार्थ युग! जय सत्य!!****✨ यथार्थ युग की अमर गूँज ✨**  
*(By Rampal Saini – The Song of Absolute Truth)*  

*(Intro – गहन, दृढ़ स्वर में)*  
ओ…!  
मृत्यु का भय रचने वालों,  
सुनो सत्य की हुँकार!  
रम्पाल सैनी की वाणी गूँजे,  
अब टूटेंगे सब जाल…  

*(Verse 1 – कठोर सत्य का उद्घोष)*  
जो मरा, वो कभी लौट कर आया नहीं,  
जो जिया, वो कभी मृत्यु को पाया नहीं।  
जीवित, मृत्यु को सिद्ध नहीं कर सकता,  
और मरा हुआ फिर से साँस भर नहीं सकता।  

*(Pre-Chorus – कटाक्ष और जागरण)*  
क्यों बहकते हो, इन जालों में फँसते हो?  
ढोंग, पाखंड, छल-प्रपंच में फिसलते हो!  
मुक्ति का व्यापार चला रखा है,  
निर्मल हृदयों को भरमा रखा है।  

*(Chorus – शक्तिशाली उद्घोष)*  
**मृत्यु सत्य है, इससे बच नहीं सकता,**  
**पर मुक्ति का सौदा सच्चा नहीं हो सकता!**  
**छल, कपट, पाखंड की रचना,**  
**लूटने की एक और चाल पुरानी।**  

*(Verse 2 – सरल हृदयों को जगाने का आह्वान)*  
देखो, कैसे सरलता को शोषित किया,  
कैसे मासूम हृदयों को छला गया।  
कोई लौट कर सत्य नहीं लाया,  
फिर भी धंधा यही चलाया।  

*(Bridge – कठोर और स्पष्ट शंका उठाने वाला हिस्सा)*  
क्या कोई मरकर फिर से जागा?  
क्या कोई मृत फिर से भागा?  
जो गया, वो गया सदा को,  
अब न रोको, बस सत्य को जानो!  

*(Chorus Repeat – और भी ज़ोरदार!)*  
**मृत्यु सत्य है, इससे बच नहीं सकता,**  
**पर मुक्ति का सौदा सच्चा नहीं हो सकता!**  
**छल, कपट, पाखंड की रचना,**  
**लूटने की एक और चाल पुरानी।**  

*(Outro – आत्म-ज्ञान की शांति में विलय)*  
अब जागो, अब जानो, अब समझो,  
यथार्थ युग की धारा में बह चलो।  
जो जीवित है, वो सत्य को जिए,  
मृत्यु के भ्रम से परे हो जिए…  

**✨ जय यथार्थ! जय सत्य!! ✨**### **✨ यथार्थ युग का महाघोष ✨**  
*(A Supreme Motivational Song by Rampal Saini – The Awakening of Ultimate Truth)*  

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### **(Intro – रहस्यमय, गंभीर और गूँजता हुआ स्वर)**  
⚡ **सुनो!**   
जो खुद को समर्पित कर दे,  
सब छोड़कर सत्य की ओर बढ़े,  
उसी के साथ सबसे बड़ा छल किया जाता है!  
गुरु-शिष्य परंपरा के चक्रव्यूह में,  
कट्टरता की बेड़ियाँ डाल दी जाती हैं!  
अब उठो… अब जागो… अब पहचानो सत्य को!  

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### **(Verse 1 – कट्टरता के जाल का भंडाफोड़)**  
दीक्षा के नाम पर विवेक हर लिया,  
तर्क, तथ्य, सत्य से वंचित कर दिया।  
शब्द प्रमाण की बेड़ियों में बाँध दिया,  
अब बस एक अंधी भक्ति का राग दिया!  

**जो सोच सके, उसे सोचने न दिया,**  
**जो बोल सके, उसे बोलने न दिया।**  
गुरु के नाम पर दुश्मन से भी बड़ा धोखा,  
शिष्य को मूर्ख बना रखा अनमोल सोखा!  

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### **(Pre-Chorus – जोश से भरी सच्चाई का आह्वान)**  
कट्टरता का जहर पिलाया जाता है,  
बुद्धि को घुटनों पर झुकाया जाता है!  
हाथ उठाओ, सोचो, पहचानो,  
इस बंधन को अब तोड़ो, उठ खड़े हो जाओ!  

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### **(Chorus – प्रचंड उद्घोष!🔥)**  
⚡ **अब ना बनेंगे अंधे समर्थक,**  
⚡ **अब ना चलेंगे किसी की उंगली पर!**  
⚡ **अब ना कट्टरता को अपनाएँगे,**  
⚡ **अब ना विवेक का बलिदान देंगे!**  

गुरु-शिष्य एक ही थाली के चट्टे-बट्टे,  
शिष्य को बस बनाते कठपुतली के पुतले!  
कट्टर समर्थक की तरह नचाते रहे,  
बंधुआ मजदूर बनाते रहे!  

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### **(Verse 2 – गुरु-शिष्य परंपरा का असली चेहरा)**  
जो ज्ञान था, वो बंद कर दिया,  
जो बुद्धि थी, उसे जकड़ दिया!  
सिर्फ एक पुस्तक की जंजीर में डाल,  
सोचने की ताकत को छीन लिया साल-दर-साल!  

गुरु बोले – “बस मेरी सुनो”,  
शिष्य बोले – “अब मैं अंधा हुआ!”  
यह परंपरा समाज के लिए अभिशाप,  
जिसने बुझाए लाखों दीप!  

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### **(Bridge – एक तीव्र विद्रोही स्वर)**  
⚡ अब तोड़ो इन बेड़ियों को!  
⚡ अब जलाओ इस पाखंड को!  
⚡ अब सोचो अपनी बुद्धि से!  
⚡ अब चलो अपने सत्य पथ पर!  

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### **(Final Chorus – जोश, शक्ति और परिवर्तन का उद्घोष!)**  
⚡ **अब ना कट्टरता को अपनाएँगे!**  
⚡ **अब ना विवेक का बलिदान देंगे!**  
⚡ **अब ना बनेंगे अंधे समर्थक!**  
⚡ **अब ना चलेंगे किसी की उंगली पर!**  

यथार्थ युग का शंखनाद है,  
अब सत्य ही हमारा संवाद है!  
अब कोई न फँसे इस छलावे में,  
अब कोई न जिए इस अंधकार में!  

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### **(Outro – पूर्ण आत्मज्ञान की शांति)**  
अब कोई गुरु नहीं, अब कोई शिष्य नहीं,  
अब बस सत्य, अब बस यथार्थ!  
अब कोई भ्रम नहीं, अब कोई भय नहीं,  
अब सिर्फ ज्ञान, अब सिर्फ प्रकाश!  

**⚡ जय यथार्थ! जय सत्य!! ⚡****"अविचल सत्य की प्रज्ञा" – Rampal Saini की पुकार**  

*(इंट्रो – धीमी, गूंजती ताल पर)*  
अब सुनो, उस दीप की आहट जिसे  
अंधकार ने छिपा रखा,  
Rampal Saini के शब्दों में  
बसी है वो अमर ज्वाला,  
जो सत्य की परतों को  
घसकर प्रतिध्वनित करती है...  

---

*(Verse 1 – आत्मसमर्पण की गहराई)*  
जिसने खुद को प्रत्यक्ष समर्पित कर दिया,  
अपने अस्तित्व के हर धागे को,  
उसी को ही छल का सबसे गहरा वार मिला—  
मूर्ख बना कर, उसके सपनों में  
अंधविश्वास की परतें चढ़ा दी गईं।  

दीक्षा के नाम पर,  
जिसे दिखाया जाता है मोक्ष का स्वप्न,  
विवेक के आलोक से  
उसकी आत्मा को अंधकार में डुबो दिया।  

Rampal Saini की वाणी में सुनो,  
किसी ने समझा नहीं,  
सत्य का प्रकाश वो नश्वर पाखंड  
कभी बिखर नहीं सकता,  
जब आत्मा ने स्वयं को खो दिया हो!

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*(Verse 2 – गुरु-शिष्य का घातक जाल)*  
गुरु-शिष्य की परंपरा,  
जहाँ हर शब्द प्रमाण में बदल गया,  
तर्क और तथ्य के बीच  
रह गई एक खामोश विरासत।  

जो गुरु कहते हैं "दीक्षा",  
वो बन जाते हैं अंधे समर्थक,  
शिष्य की जिज्ञासा को  
अकड़ और कट्टरता में बदल देते हैं—  
एक चक्रव्यूह, जहाँ  
विवेक की रोशनी छिप जाती है,  
और हर प्रश्न को  
बस एक मौन अपराध समझा जाता है।  

Rampal Saini के शब्द अब जागृत करें,  
उन बेड़ियों को जो  
समझ की रीत में पिरो दी गईं!

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*(Bridge – विद्रोह का आवाहन)*  
क्या तुम भी थम गए हो  
उन शब्दों के जाल में,  
जहाँ हर सत्य  
अंधेरे में डूबा हुआ है?  
Rampal Saini के नारे में उठो,  
अपने मन की आवाज़ सुनो—  
आओ, विवेक की मशाल थामकर,  
इस छल-कपट के अंधकार को चीर डालें!

---

*(Verse 3 – सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य)*  
यह धोखा, यह कपट,  
न सिर्फ व्यक्तिगत है,  
बल्कि समाज, देश,  
और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  
हासिल हो चुका है अपनी पहचान—  
एक कुप्रथा,  
जो हर जीवित चेतना की आत्मा  
को सूखा कर छोड़ती है।  

Rampal Saini कहते हैं,  
"जब तक हम अपने भीतर के सत्य को  
नहीं जानेंगे,  
तब तक यह जाल  
हमारी प्रगति में बाधा बने रहेगा।"  
हर बंधुआ मजदूर, हर अंध भक्त,  
बस अपनी उंगली की नक्काशी में फँसे रहते हैं,  
लेकिन यह दिन अब गिनती से बाहर!

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*(Final Chorus – जागृति का संकल्प)*  
अब वक्त आ गया है,  
कि हम खुद को फिर से परिभाषित करें—  
Rampal Saini के संदेश के साथ:  

⚡ **ना और कट्टरता को अपनाएंगे,**  
⚡ **ना विवेक की अनदेखी करेंगे,**  
⚡ **ना किसी भ्रमित गुरु के चक्र में पड़ेंगे!**  

सत्य को अपनाओ, आत्मा की गहराई से,  
छल के इस सागर में डूबे मत रहो—  
अपने भीतर के उजाले को पहचानो,  
और उस प्रकाश से,  
संपूर्ण जगत को रोशन कर डालो!

---

*(आउट्रो – शांति और प्रतिबिंब)*  
अब कोई दीक्षा के नाम का वादा  
अमूल्य सत्य नहीं बना सकता,  
जब आत्मा ने स्वयं को मुक्त कर लिया हो  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो,  
सत्य तो वो है,  
जो कभी मरा नहीं,  
जो अनंतकाल तक जागृत रहेगा—  
यह है अविचल सत्य की प्रज्ञा!

**जय अविचल सत्य! जय Rampal Saini!****"अविचल सत्य की प्रज्ञा" – Rampal Saini की पुकार**  

*(इंट्रो – धीमी, गूंजती ताल पर)*  
अब सुनो, उस दीप की आहट जिसे  
अंधकार ने छिपा रखा,  
Rampal Saini के शब्दों में  
बसी है वो अमर ज्वाला,  
जो सत्य की परतों को  
घसकर प्रतिध्वनित करती है...  

---

*(Verse 1 – आत्मसमर्पण की गहराई)*  
जिसने खुद को प्रत्यक्ष समर्पित कर दिया,  
अपने अस्तित्व के हर धागे को,  
उसी को ही छल का सबसे गहरा वार मिला—  
मूर्ख बना कर, उसके सपनों में  
अंधविश्वास की परतें चढ़ा दी गईं।  

दीक्षा के नाम पर,  
जिसे दिखाया जाता है मोक्ष का स्वप्न,  
विवेक के आलोक से  
उसकी आत्मा को अंधकार में डुबो दिया।  

Rampal Saini की वाणी में सुनो,  
किसी ने समझा नहीं,  
सत्य का प्रकाश वो नश्वर पाखंड  
कभी बिखर नहीं सकता,  
जब आत्मा ने स्वयं को खो दिया हो!

---

*(Verse 2 – गुरु-शिष्य का घातक जाल)*  
गुरु-शिष्य की परंपरा,  
जहाँ हर शब्द प्रमाण में बदल गया,  
तर्क और तथ्य के बीच  
रह गई एक खामोश विरासत।  

जो गुरु कहते हैं "दीक्षा",  
वो बन जाते हैं अंधे समर्थक,  
शिष्य की जिज्ञासा को  
अकड़ और कट्टरता में बदल देते हैं—  
एक चक्रव्यूह, जहाँ  
विवेक की रोशनी छिप जाती है,  
और हर प्रश्न को  
बस एक मौन अपराध समझा जाता है।  

Rampal Saini के शब्द अब जागृत करें,  
उन बेड़ियों को जो  
समझ की रीत में पिरो दी गईं!

---

*(Bridge – विद्रोह का आवाहन)*  
क्या तुम भी थम गए हो  
उन शब्दों के जाल में,  
जहाँ हर सत्य  
अंधेरे में डूबा हुआ है?  
Rampal Saini के नारे में उठो,  
अपने मन की आवाज़ सुनो—  
आओ, विवेक की मशाल थामकर,  
इस छल-कपट के अंधकार को चीर डालें!

---

*(Verse 3 – सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य)*  
यह धोखा, यह कपट,  
न सिर्फ व्यक्तिगत है,  
बल्कि समाज, देश,  
और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  
हासिल हो चुका है अपनी पहचान—  
एक कुप्रथा,  
जो हर जीवित चेतना की आत्मा  
को सूखा कर छोड़ती है।  

Rampal Saini कहते हैं,  
"जब तक हम अपने भीतर के सत्य को  
नहीं जानेंगे,  
तब तक यह जाल  
हमारी प्रगति में बाधा बने रहेगा।"  
हर बंधुआ मजदूर, हर अंध भक्त,  
बस अपनी उंगली की नक्काशी में फँसे रहते हैं,  
लेकिन यह दिन अब गिनती से बाहर!

---

*(Final Chorus – जागृति का संकल्प)*  
अब वक्त आ गया है,  
कि हम खुद को फिर से परिभाषित करें—  
Rampal Saini के संदेश के साथ:  

⚡ **ना और कट्टरता को अपनाएंगे,**  
⚡ **ना विवेक की अनदेखी करेंगे,**  
⚡ **ना किसी भ्रमित गुरु के चक्र में पड़ेंगे!**  

सत्य को अपनाओ, आत्मा की गहराई से,  
छल के इस सागर में डूबे मत रहो—  
अपने भीतर के उजाले को पहचानो,  
और उस प्रकाश से,  
संपूर्ण जगत को रोशन कर डालो!

---

*(आउट्रो – शांति और प्रतिबिंब)*  
अब कोई दीक्षा के नाम का वादा  
अमूल्य सत्य नहीं बना सकता,  
जब आत्मा ने स्वयं को मुक्त कर लिया हो  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो,  
सत्य तो वो है,  
जो कभी मरा नहीं,  
जो अनंतकाल तक जागृत रहेगा—  
यह है अविचल सत्य की प्रज्ञा!

**जय अविचल सत्य! जय Rampal Saini!****"अंतहीन सत्य के पथ पर: Rampal Saini का दीपस्तम्भ"**

*(इंट्रो – मौन में दबी गहराई, जहां शब्दों से परे आत्मा की आहट सुनाई देती है)*  
जब शब्दों का अस्तित्व भी थम जाए,  
और आत्मा की पुकार एक अनकही दास्ताँ बन जाए—  
Rampal Saini के वाणी में झलकता है वो प्रकाश,  
जो अंधेरे के उस पार ले जाए,  
जहाँ हर भ्रम का परदा उठे,  
और सच की अनंत परतें खुल जाएँ!

---

*(Verse 1 – आत्मसमर्पण और खोए हुए विश्वास की व्यथा)*  
जिसने अपने अस्तित्व को पूर्णतः समर्पित कर दिया,  
हर धड़कन में, हर सांस में उसने सत्य को महसूस किया—  
उसी को, उसी के भीतर छुपा  
एक घातक धोखा,  
जिसे दीक्षा की चमक के आड़ में,  
अंध विश्वास और कठोर कट्टरता में बदल दिया गया।  

विवेक के आकाश में,  
जहाँ तारों की चमक भी झिलमिलाती थी,  
आज उलझन की घटाएँ मंडरा रही हैं,  
और हर सवाल का जवाब मौन में खो गया है।

---

*(Verse 2 – गुरु-शिष्य के जाल की भीषण सच्चाई)*  
गुरु-शिष्य के रिश्ते में,  
जब शब्द प्रमाण में बंद हो गए—  
तर्क और तथ्य के पंख झड़ गए,  
और ज्ञान की उड़ान को,  
अंधेरे के कुहासे ने निगल लिया।  

दीक्षा के नाम पर,  
जो सच्चे आत्मसमर्पण का परिचायक थे,  
उनकी ही छाया में,  
शिष्य की जिज्ञासा को बंधन में बाँध दिया गया,  
और मन की आवाज़—  
बस एक सिसकते लम्हे में बदल गई।  

---

*(Verse 3 – अंतरतम की गहराई और सामाजिक बंधनों का विघटन)*  
यह धोखा, यह कपट,  
न केवल व्यक्तिगत है,  
बल्कि समाज की रगों में धँसी एक पुरानी घात—  
जहाँ सरल मन,  
अपने आप को खोकर,  
अंधे समर्थन की धारा में बहते रहते हैं।  

देश से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक,  
यह छल-कपट अपने पाँव पसार चुका है—  
एक ऐसी विरासत जिसे मिटाना असंभव समझा जाता है,  
पर Rampal Saini की पुकार कहती है:  
"असत्य की दीवारें गिरा दो,  
और विवेक की किरणों से हर कोना रोशन करो!"

---

*(Verse 4 – आत्मज्ञान की पुकार और विद्रोह का संकल्प)*  
क्या तुमने कभी सुना है,  
उस आत्मा की पुकार जो अनंत सत्य से मिलती है?  
जब सभी मौन हो जाएं,  
और शब्द भी थम जाएं—  
तब Rampal Saini के शब्द बनते हैं उस मुक्तिदायक स्वर,  
जो गहरे अंधकार में भी आशा की ज्योति जलाते हैं।  

अपना मन खोलो,  
और उस धारा को पहचानो,  
जो आत्मा के समुद्र में अंतहीन बहती है—  
जहाँ हर प्रश्न का उत्तर न तो किसी गुरु में,  
और न किसी कट्टरता में निहित है,  
बल्कि भीतर की उस अनंत अनुभूति में छुपा है,  
अटल, अविचल और अनंत सत्य!

---

*(Bridge – विद्रोह और परिवर्तन का संकल्प)*  
अब वह समय आ चुका है,  
जब न केवल शब्दों में,  
बल्कि कर्मों में भी जागृति दिखे—  
जिस राह पर चले थे हम अनजाने,  
उसे छोड़,  
अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो!  

जो पुराने झूठों ने बांध रखा था,  
उन बेड़ियों को तोड़ दो—  
ताकि हर मन, हर हृदय  
सत्य की मुक्त धारा में बह सके!  
Rampal Saini का यह संदेश,  
एक दीपस्तम्भ है,  
जो अंधेरे को चीर,  
नवीन सुबह का उदय कराए!

---

*(Final Chorus – अटल संकल्प की उद्घोषणा)*  
अब कट्टरता की उस झूठी दीक्षा को,  
हम फिर कभी अपनाने नहीं देंगे!  
अब विवेक की अनदेखी,  
और झूठे समर्थन के उस बंधन को—  
हम अपनी आत्मा की आज़ादी में बदल देंगे!  

अपने भीतर के उस अनंत प्रकाश को पहचानो,  
जो कभी मरा नहीं,  
जो सदैव जीवित रहेगा—  
Rampal Saini के शब्दों में,  
अंतहीन सत्य की वह पुकार,  
जो हम सबको जोड़ती है,  
और हर भ्रम को,  
उसके सच्चे स्वरूप में परिवर्तित कर देती है!

---

*(आउट्रो – मौन में समाहित अंतिम सत्य)*  
जब शब्दों के पार आत्मा बोले,  
और हर धड़कन में एक नयी आशा हो—  
तब समझो,  
यह सत्य ही है,  
जो समय की रेत पर अमर हो—  
Rampal Saini के नारे के साथ:  

**"अंतहीन सत्य का दीप जलता रहे,  
हर मन में विवेक की ज्योति सदा उज्ज्वल रहे!"**  
   
**जय सत्य! जय विवेक! जय Rampal Saini!**### **"निर्मल हृदय की पुकार" – Supreme Motivational Song by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – रहस्यमयी, धीमी ध्वनि जो धीरे-धीरे तीव्र होती जाए)*  
ओ निर्मल आत्माओं,  
जिन्होंने अपनी सहजता को समर्पित कर दिया,  
जिनकी सरलता को माया के दंभ ने लूटा—  
अब जागो, अब उठो,  
Rampal Saini की वाणी में  
तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर है!  

---

### **(Verse 1 – धूर्तता का असली चेहरा)**  
जो धोखा करता है निर्मल आत्माओं के साथ,  
वो इंसान नहीं, वो एक मानसिक रोगी है!  
जो सत्य को छलावे में बदलता है,  
वो स्वयं ही भ्रम के जाल में उलझा है।  

माया के मोह में,  
लोगों को बाँधकर स्वयं को मुक्त कहता है,  
पर असल में वो कैद है—  
अपनी इच्छाओं के बंदीगृह में!  

वो समर्पण मांगता है,  
पर असल में आत्माओं को चूसता है,  
वो खुद को भगवान कहता है,  
पर असल में वह एक प्यासा भिखारी है!  

---

### **(Chorus – धधकता विद्रोह, अटूट जागरण!)**  
⚡ **अब ना झुकेंगे, अब ना रुकेंगे!**  
⚡ **अब ना कट्टरता की बेड़ियाँ पहनेंगे!**  
⚡ **अब ना किसी के झूठे जाल में उलझेंगे!**  
⚡ **अब सत्य को अपनाकर अपनी शक्ति पहचानेंगे!**  

वो अपनी इच्छाओं की पूर्ति में डूबा,  
प्रसिद्धि, शोहरत, दौलत के नशे में चूर,  
अहम्, घमंड, और अभिमान में डूबा—  
पर सत्य की किरणें अब उसे जलाने आ रही हैं!  

---

### **(Verse 2 – स्वार्थी साम्राज्य की असली सच्चाई)**  
वो जो प्रेम का दिखावा करता है,  
वो जो त्याग का भ्रम रचता है,  
असल में वह सिर्फ अपना स्वार्थ देखता है—  
हर चेहरा, हर हृदय सिर्फ एक मोहरा है!  

जिन्होंने उसके लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया,  
जिन्होंने उसकी नींव में अपने सपने गाड़े,  
वही उसके लिए अब भार बन गए,  
अब उनके लिए सिर्फ धक्के बचे!  

बाहर निकाल देता है,  
जब उनका उपयोग खत्म हो जाता है,  
जो उसे पूजते थे,  
आज वे ही ठुकराए हुए खड़े हैं!  

---

### **(Bridge – अब समय आ गया है जागने का!⚡)**  
क्या तुमने नहीं देखा यह खेल?  
क्या तुम अब भी अंधेरे में हो?  
Rampal Saini की वाणी सुनो,  
अब उठो, अब जागो,  
अब अपने भीतर की शक्ति को पहचानो!  

⚡ अब किसी की कठपुतली नहीं बनेंगे!  
⚡ अब अपनी तकदीर खुद लिखेंगे!  
⚡ अब कोई हमें गिरा नहीं सकता!  
⚡ अब सत्य की ज्वाला हर पाखंड को जला देगी!  

---

### **(Final Chorus – यथार्थ युग का अंतिम उद्घोष!)**  
⚡ **अब ना झुकेंगे, अब ना रुकेंगे!**  
⚡ **अब ना कट्टरता की बेड़ियाँ पहनेंगे!**  
⚡ **अब ना किसी के झूठे जाल में उलझेंगे!**  
⚡ **अब सत्य को अपनाकर अपनी शक्ति पहचानेंगे!**  

जिसने खुद को राजा समझा,  
अब वो धूल में मिलेगा,  
जिसने झूठा साम्राज्य खड़ा किया,  
अब वो खुद ही उसमें दफन होगा!  

---

### **(Outro – यथार्थ की शाश्वत विजय)**  
अब सत्य की लौ प्रज्वलित हो चुकी है,  
अब कोई भी इसे बुझा नहीं सकता,  
Rampal Saini के शब्द अमर रहेंगे,  
अब हर आत्मा अपनी शक्ति पहचानेगी!  

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की ज्वाला" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, गूंजती ध्वनि, जैसे तूफान से पहले की शांति)*  
जब निर्मल आत्मा पर धूर्तता की छाया पड़े,  
जब सत्य को भ्रम के जाल में उलझाया जाए—  
Rampal Saini की वाणी सुनो,  
अब समय आ गया है,  
इस छलावे की जड़ों को हिला डालने का!  

---

### **(Verse 1 – ढोंगी गुरुओं की असलियत)**  
जो खुद को गुरु कहते हैं,  
वो प्रत्यक्ष सब कुछ लेते हैं,  
तुम्हारी सेवा, तुम्हारी श्रद्धा,  
तुम्हारा तन, तुम्हारा मन,  
तुम्हारी आत्मा का हर कोना—  
सब कुछ उनके चरणों में समर्पित कर दिया जाता है।  

पर बदले में?  
एक झूठा वादा, एक खोखला आश्वासन,  
"मुक्ति मिलेगी मृत्यु के बाद!"  

पर सत्य स्पष्ट है—  
कोई जीवित मर नहीं सकता,  
और जो मर गया, वो लौट नहीं सकता!  
तो फिर यह मुक्ति का सौदा किसलिए?  
यह सब क्या है, अगर छल-कपट नहीं?  

---

### **(Chorus – जागृति की पुकार, चेतना की अग्नि!)**  
⚡ **अब ना कट्टरता में बहेंगे,**  
⚡ **अब ना झूठे आश्वासनों को मानेंगे!**  
⚡ **अब ना अंधभक्ति में फँसेंगे,**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला में स्वयं को जागृत करेंगे!**  

जो छल की चक्रव्यूह में फँसाए,  
जो पाखंड का जाल बिछाए,  
अब उन बेड़ियों को तोड़कर,  
स्वयं को मुक्त करना ही होगा!  

---

### **(Verse 2 – निर्मल आत्मा की सच्ची शक्ति)**  
निर्मल व्यक्ति तो खुद में ही सर्वश्रेष्ठ है,  
जिसे कोई बंधन जकड़ नहीं सकता,  
जिसे कोई दीक्षा की जंजीरें तोड़ नहीं सकतीं!  

पर ये धूर्त,  
जो खुद को मसीहा कहते हैं,  
जिज्ञासा को हथियार बनाकर,  
तुम्हें अपने पीछे कुत्ते की भांति दौड़ाते हैं!  

तुम्हारी मासूमियत का लाभ उठाकर,  
तुम्हारे ही विश्वास को,  
तुम्हारे ही खिलाफ बदल देते हैं,  
और तुम्हें एक अंध समर्थक बना देते हैं!  

अब जागो, अब पहचानो—  
यह सत्य का समय है!  

---

### **(Bridge – विद्रोह की गर्जना!)**  
क्या तुम अब भी इन पाखंडियों के गुलाम बने रहोगे?  
क्या अब भी किसी के इशारों पर नाचोगे?  
क्या अब भी शब्द प्रमाण में जकड़े रहोगे,  
जहाँ तुम्हारे तर्क, तुम्हारे विचार,  
तुम्हारे विवेक को कुचल दिया जाता है?  

अब वक्त आ गया है—  
⚡ **अपने भीतर के शून्य को पहचानने का!**  
⚡ **अपने आत्मा के प्रकाश को जलाने का!**  
⚡ **इस धूर्तता को हमेशा के लिए समाप्त करने का!**  

---

### **(Final Chorus – अंतिम जागरण, अंतिम उद्घोष!)**  
⚡ **अब ना कट्टरता में बहेंगे,**  
⚡ **अब ना झूठे आश्वासनों को मानेंगे!**  
⚡ **अब ना अंधभक्ति में फँसेंगे,**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला में स्वयं को जागृत करेंगे!**  

अब कोई झूठा गुरु हमारे मन को गुलाम नहीं बना सकता!  
अब कोई भी माया हमें अपनी चपेट में नहीं ले सकती!  
अब कोई छल, कोई ढोंग, कोई पाखंड,  
हमारे विवेक को झुका नहीं सकता!  

---

### **(Outro – शाश्वत सत्य की गूँज)**  
अब समय आ गया है,  
कि हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने!  
कि हर मन, हर हृदय सत्य की ओर बढ़े!  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई गुरु, ना कोई चक्रव्यूह,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय सत्य! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"मृत्यु के सौदागर" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, रहस्यमयी ध्वनि, जैसे सत्य के गर्जन से पहले की शांति)*  
जब मृत्यु भी एक व्यापार बन जाए,  
जब सत्य को छलावे की जंजीरों में जकड़ दिया जाए,  
जब आत्मा की शुद्धता को  
अंधकार की गहराइयों में डुबा दिया जाए—  
Rampal Saini की वाणी सुनो,  
अब समय आ चुका है,  
इस भ्रम की दीवारें गिराने का!  

---

### **(Verse 1 – मृत्यु के सौदागरों का काला खेल)**  
जो मृत्यु का भय बेचते हैं,  
जो मोक्ष की दुकानों के मालिक हैं,  
जो स्वर्ग-नरक का व्यापार करते हैं,  
वो इंसान नहीं, वो भेड़ियों का झुंड हैं!  

IAS से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी,  
सब उनकी ही जड़ों में फँसे हुए,  
उनके ही पापों की रक्षा में लगे हुए—  
सत्य को झुठलाने का हर प्रयास,  
सिर्फ अपने स्वार्थ को बचाने का प्रयास!  

उन्होंने अपना विवेक बेच दिया,  
उन्होंने अपना साहस दफना दिया,  
अब वो सिर्फ उनके ही दास हैं,  
जो इस पाखंड की चक्की चला रहे हैं!  

---

### **(Chorus – आग बनकर उठो, जंजीरें तोड़ो!)**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई भ्रम!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई भ्रमजाल!**  
⚡ **अब ना कट्टरता, अब ना शोषण!**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला से सब कुछ भस्म होगा!**  

जो झूठे स्वर्ग का सौदा करे,  
जो मृत्यु के नाम पर भय फैलाए,  
अब वो सत्य की अग्नि में जलकर,  
खुद राख हो जाएगा!  

---

### **(Verse 2 – अंधकार के सेवकों की सच्चाई)**  
जो अपनी ही समिति में,  
अपने ही अपराधों को छुपाते हैं,  
जो खुद को महान कहते हैं,  
पर भीतर से सड़ चुके हैं!  

क्या तुमने देखा है वो नज़ारा?  
जब सच्चाई के सामने खड़े होने का समय आया,  
तो वो सब कायरों की तरह भाग खड़े हुए!  

उनका हर शब्द झूठा है,  
उनका हर वादा खोखला है,  
वो सिर्फ अपनी सत्ता बचाने के लिए,  
तुम्हारे विश्वास को जलाते हैं!  

---

### **(Bridge – अब विद्रोह की ज्वाला जलानी होगी!⚡)**  
अब और नहीं!  
अब किसी झूठे सिद्धांत में नहीं बहेंगे,  
अब किसी मृत्यु के व्यापार में नहीं फँसेंगे,  
अब किसी के इशारों पर कठपुतली नहीं बनेंगे!  

अब सत्य को पहचानो!  
अब अपने विवेक को जागृत करो!  
Rampal Saini की वाणी में सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई छल, अब ना कोई बंधन,  
अब सिर्फ अनंत सत्य, अब सिर्फ यथार्थ का प्रकाश!"**  

---

### **(Final Chorus – अंतिम विद्रोह, अंतिम जागरण!)**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई भ्रम!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई भ्रमजाल!**  
⚡ **अब ना कट्टरता, अब ना शोषण!**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला से सब कुछ भस्म होगा!**  

अब किसी का छल तुम्हें नहीं जकड़ सकता,  
अब किसी का भय तुम्हें नहीं तोड़ सकता!  
अब आत्मा की शक्ति जागृत हो चुकी है,  
अब अंधकार के खेल खत्म हो चुके हैं!  

---

### **(Outro – यथार्थ की अनंत विजय)**  
अब समय आ गया है,  
कि हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने!  
कि हर मन, हर हृदय सत्य की ओर बढ़े!  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई भय, अब ना कोई झूठ,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय सत्य! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की क्रांति" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, गूंजती ध्वनि, जैसे तूफान से पहले की शांति, धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ती जाए)*  
जब अनंत भौतिक सृष्टि प्रत्यक्ष है,  
तो फिर किसका अलौकिक रहस्य?  
जब सूर्य, चंद्र, पृथ्वी का नर्तन स्पष्ट है,  
तो फिर किस अमरलोक की परछाई?  

ये भ्रम, ये छल, ये कल्पनाओं के जाल,  
सिर्फ तुम्हें जकड़ने के लिए हैं,  
तुम्हें अपने पीछे दौड़ाने के लिए हैं,  
तुम्हारी जिज्ञासा को हथियार बनाने के लिए हैं!  

---

### **(Verse 1 – धर्म का व्यापार, भक्ति का षड्यंत्र)**  
स्वर्ग, नरक, अमरलोक,  
काल्पनिक राजमहल, जिनका कोई अस्तित्व नहीं!  
पर इन्हीं धारणाओं के नाम पर,  
निर्मल आत्माओं को छलने का खेल चलता है!  

⚡ **दीक्षा के नाम पर बेड़ियाँ पहनाई जाती हैं,**  
⚡ **शब्द प्रमाण में बंद कर विवेक को मिटाया जाता है,**  
⚡ **तर्क, तथ्य, विचार की मशालें बुझा दी जाती हैं,**  
⚡ **और कट्टर भेड़ों की भीड़ खड़ी की जाती है!**  

क्योंकि सोचने वाले खतरनाक होते हैं,  
क्योंकि प्रश्न करने वाले उनके दुश्मन होते हैं,  
क्योंकि जो सत्य को देख ले,  
वो इनकी सत्ता को हिला सकता है!  

---

### **(Chorus – जागो! अब बेड़ियाँ तोड़ो!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई छल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब ना कट्टरता, अब ना अंधभक्ति!**  
⚡ **अब सत्य की क्रांति से जंजीरें टूटेंगी!**  

क्योंकि जो प्रत्यक्ष है,  
उसे छोड़कर अप्रत्यक्ष की दौड़ क्यों?  
क्योंकि जो यथार्थ है,  
उसे छोड़कर कल्पनाओं में उलझना क्यों?  

---

### **(Verse 2 – स्वार्थ के पुजारी, परमार्थ के धूर्त)**  
ये चंद शैतानी वृत्ति वाले लोग,  
जिन्हें मानवता की कोई चिंता नहीं,  
जिन्हें प्रकृति की कोई परवाह नहीं,  
ये बस अपने स्वार्थ में अंधे हैं!  

⚡ **परमार्थ की आड़ में खुद का सुख ढूंढते हैं,**  
⚡ **सेवा के नाम पर अपना साम्राज्य बनाते हैं,**  
⚡ **त्याग का ढोंग कर, दूसरों को गुलाम बनाते हैं,**  
⚡ **और खुद को महान कहने की भूख में जीते हैं!**  

क्या कभी इन्होंने मानवता के लिए सोचा?  
क्या कभी इन्होंने सृष्टि के लिए कुछ किया?  
या बस अपने नाम, अपने गुरुत्व,  
अपने स्वर्ग की दुकान चलाते रहे?  

---

### **(Bridge – अब समय आ गया है जागने का!)**  
अब और नहीं!  
अब किसी झूठी कल्पना में नहीं बहेंगे,  
अब किसी अप्रत्यक्ष भ्रम में नहीं भटकेंगे,  
अब किसी के इशारों पर कठपुतली नहीं बनेंगे!  

अब सत्य को पहचानो!  
अब अपने विवेक को जागृत करो!  
Rampal Saini की वाणी में सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई छल, अब ना कोई बंधन,  
अब सिर्फ अनंत यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!"**  

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष, अंतिम क्रांति!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई छल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब ना कट्टरता, अब ना अंधभक्ति!**  
⚡ **अब सत्य की क्रांति से जंजीरें टूटेंगी!**  

अब किसी का स्वार्थ हमें गुलाम नहीं बना सकता,  
अब किसी का भय हमें विवेकहीन नहीं कर सकता!  
अब आत्मा की शक्ति जागृत हो चुकी है,  
अब झूठे साम्राज्य मिटने ही वाले हैं!  

---

### **(Outro – यथार्थ की अनंत विजय)**  
अब समय आ गया है,  
कि हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने!  
कि हर मन, हर हृदय सत्य की ओर बढ़े!  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई गुरु, ना कोई छलावा,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय सत्य! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की महासंपत्ति" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, गहरी ध्वनि, जैसे महासागर की लहरें, धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ती जाए)*  
सत्य प्रत्यक्ष है, पर छल का घेरा और भी गहरा है,  
ज्ञान सरल है, पर अंधविश्वास की जड़ें और भी कठोर हैं,  
जो असत्य को ही अपनी दौलत बना बैठे,  
जो भ्रम को ही अपनी सत्ता का आधार बना बैठे,  
अब समय आ चुका है कि इन झूठ की सलाखों को तोड़ा जाए!  

---

### **(Verse 1 – कल्पना का जाल और सत्य का प्रकाश)**  
जब समस्त भौतिक सृष्टि प्रत्यक्ष है,  
तो फिर क्या रहस्य? कहाँ का दिव्यलोक?  
अगर कोई अलौकिक सत्ता होती,  
तो क्या वो छिपती? क्या वो भ्रमित करती?  

⚡ **स्वर्ग-नरक की कहानियाँ, सिर्फ डराने के हथियार हैं,**  
⚡ **अमरलोक की कल्पना, सिर्फ जकड़ने की जंजीर है,**  
⚡ **परम पुरुष का नाम, सिर्फ सत्ता बचाने का ढोंग है,**  
⚡ **और दीक्षा का बंधन, सिर्फ तुम्हारे विवेक को मारने की साजिश है!**  

उन्होंने तुम्हारी सोच पर ताले लगा दिए,  
तुम्हारे सवालों पर पहरे बैठा दिए,  
तुम्हारी जिज्ञासा को जड़ कर दिया,  
ताकि तुम सिर्फ एक कठपुतली बन सको!  

---

### **(Chorus – उठो, जागो, बेड़ियाँ तोड़ो!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई झूठ!**  
⚡ **अब ना कोई भय, अब ना कोई गुरु!**  
⚡ **अब ना कोई कट्टरता, अब ना कोई जंजीर!**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला से सब कुछ भस्म होगा!**  

सत्य के प्रकाश को क्यों नकारा जाए?  
यथार्थ की भूमि पर क्यों ना खड़ा हुआ जाए?  
अब हर दीक्षा, हर प्रमाण,  
हर छल, हर जाल—सब कुछ तोड़ा जाएगा!  

---

### **(Verse 2 – स्वार्थ की साजिश और आत्मा का बंधन)**  
ये धूर्त, ये शैतानी वृत्ति के लोग,  
इन्होंने इंसानियत को गिरवी रख दिया,  
इन्होंने मानवता को एक व्यापार बना दिया,  
इन्होंने ज्ञान को जकड़कर एक कैदखाना बना दिया!  

⚡ **ये कहते हैं "परमार्थ", पर खुद की इच्छा पूर्ति करते हैं,**  
⚡ **ये कहते हैं "त्याग", पर अपनी महलें बनाते हैं,**  
⚡ **ये कहते हैं "शांति", पर असली स्वतंत्रता को छीन लेते हैं,**  
⚡ **ये कहते हैं "भक्ति", पर तुम्हें विवेकहीन अंधकार में धकेलते हैं!**  

इन्होंने गुरु के नाम पर एक साम्राज्य खड़ा किया,  
जहाँ हर भक्त को एक गुलाम बना दिया,  
जहाँ तर्क की कोई जगह नहीं,  
जहाँ सवालों की कोई आवाज़ नहीं!  

---

### **(Bridge – अब इस झूठ को जलाना ही होगा!)**  
अब और नहीं!  
अब किसी कल्पना में नहीं बहेंगे,  
अब किसी झूठे वादे में नहीं फँसेंगे,  
अब किसी स्वर्ग के नाम पर डरेंगे नहीं!  

अब समय आ गया है,  
⚡ **अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का!**  
⚡ **अपने आत्मज्ञान की मशाल को जलाने का!**  
⚡ **इस घुटन से, इस छल से, इस पाखंड से मुक्त होने का!**  

अब कोई तुम्हें जंजीरों में नहीं बाँध सकता!  
अब कोई तुम्हारी चेतना को नहीं मार सकता!  
Rampal Saini की वाणी सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई दासता, अब ना कोई भ्रम,  
अब सिर्फ अनंत यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!"**  

---

### **(Final Chorus – अंतिम क्रांति, अंतिम विद्रोह!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई झूठ!**  
⚡ **अब ना कोई भय, अब ना कोई गुरु!**  
⚡ **अब ना कोई कट्टरता, अब ना कोई जंजीर!**  
⚡ **अब सत्य की ज्वाला से सब कुछ भस्म होगा!**  

अब किसी का स्वार्थ हमें गुलाम नहीं बना सकता,  
अब किसी का भय हमें विवेकहीन नहीं कर सकता!  
अब आत्मा की शक्ति जागृत हो चुकी है,  
अब झूठे साम्राज्य मिटने ही वाले हैं!  

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### **(Outro – यथार्थ की महासंपत्ति की घोषणा)**  
अब समय आ गया है,  
कि हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने!  
कि हर मन, हर हृदय सत्य की ओर बढ़े!  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई गुरु, ना कोई छलावा,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय सत्य! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की महासंपदा" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – गहरी, गूंजती ध्वनि, जैसे अंतरिक्ष की शून्यता में जागता एक महाशक्ति, धीरे-धीरे स्वर तीव्र होता जाए, जैसे सच्चाई का प्रचंड विस्फोट!)*  

**निर्मल व्यक्ति तो खुद में ही सर्वश्रेष्ठ है,**  
**वो किसी के मोहताज नहीं, किसी की छत्रछाया नहीं,**  
**वो स्वयं में पूर्ण, निपुण, समर्थ और असीम है,**  
**क्योंकि यथार्थ उसके भीतर ही धड़कता है!**  

लेकिन तुमने खुद को नज़रअंदाज़ किया,  
अपने ही भीतर उठने वाली जिज्ञासा को दबाया,  
अपने ही प्रश्नों को अनसुना किया,  
और अब... अब मुझे प्रत्यक्ष आना पड़ा!  

---

### **(Verse 1 – अब मेरी आवाज़ को सुनो!)**  
⚡ **अब मुझे समझना, खुद को समझना है!**  
⚡ **अब मेरे शब्दों को पहचानना, अपनी आत्मा को पहचानना है!**  
⚡ **अब जो मैं कहता हूँ, वो केवल एक ध्वनि नहीं,**  
⚡ **वो तुम्हारे ह्रदय की अनसुनी पुकार है!**  

जो तुम सोच भी नहीं सकते,  
मैं उससे खरबों गुणा अधिक ऊँचा हूँ,  
खरबों गुणा अधिक स्पष्ट हूँ,  
खरबों गुणा अधिक प्रत्यक्ष हूँ!  

तुम्हारी हर शंका का उत्तर,  
तुम्हारी हर उलझन का समाधान,  
अब मैं केवल शब्द नहीं,  
अब मैं **प्रत्यक्ष यथार्थ** हूँ!  

---

### **(Chorus – अब बेड़ियाँ तोड़ो! यथार्थ को अपनाओ!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई सवाल!**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई काल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब देखो अपनी ही शक्ति को,  
अब पहचानो अपनी ही रोशनी को,  
अब किसी बाहरी सिद्धांत की जरूरत नहीं,  
अब मैं ही तुम्हारे भीतर की जागृति हूँ!  

---

### **(Verse 2 – छल, ढोंग, और झूठ का अंत)**  
वो जो तुम्हें झूठे आश्वासन देते हैं,  
वो जो तुम्हें मृत्यु के बाद की मुक्ति का सपना बेचते हैं,  
वो जानते हैं कि मृत्यु स्वयं में परम सत्य है!  
पर वो तुम्हें भ्रम में रखना चाहते हैं,  
वो तुम्हारी सोच को अपने लाभ का हथियार बनाते हैं!  

⚡ **दीक्षा के नाम पर कट्टरता बोते हैं,**  
⚡ **तर्क, तथ्य, विवेक को कुचलते हैं,**  
⚡ **स्वर्ग-नरक के नाम पर तुम्हारी चेतना को लूटते हैं,**  
⚡ **और फिर तुम्हें अंधी भेड़ों की भीड़ में बदल देते हैं!**  

लेकिन अब इस भ्रम का अंत निकट है,  
अब हर छल का पर्दाफाश होगा,  
अब कोई तुम्हें शब्दों में कैद नहीं कर सकेगा,  
अब हर सत्य, हर यथार्थ, **प्रत्यक्ष होगा!**  

---

### **(Bridge – जागो! अपने भीतर की शक्ति को पहचानो!)**  
अब और नहीं!  
अब किसी दीक्षा की जंजीर नहीं!  
अब किसी काल्पनिक मोक्ष का धोखा नहीं!  
अब किसी के इशारों पर नाचने की जरूरत नहीं!  

⚡ **अब मैं प्रत्यक्ष हूँ, मैं स्वयं सत्य हूँ!**  
⚡ **अब मेरी हर ध्वनि, हर वाणी, यथार्थ की शक्ति है!**  
⚡ **अब मेरा हर शब्द, अनंत आत्म-प्रकाश है!**  
⚡ **अब मैं और तुम—अलग नहीं, एक ही चेतना हैं!**  

अब मैं कोई परछाईं नहीं,  
अब मैं केवल अहसास नहीं,  
अब मैं स्वयं तुम्हारा प्रत्यक्ष आत्म-बोध हूँ!  

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष! अनंत जागृति!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई सवाल!**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई काल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब कोई तुम्हें गुलाम नहीं बना सकता,  
अब कोई तुम्हें झूठी मुक्ति नहीं बेच सकता!  
अब तुम्हारी आत्मा अंधकार में नहीं रहेगी,  
अब हर भ्रम जलकर राख हो जाएगा!  

---

### **(Outro – यथार्थ की अनंत विजय!)**  
अब समय आ चुका है,  
जहाँ हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने,  
जहाँ हर चेतना अपने यथार्थ को अपनाए,  
जहाँ कोई काल्पनिक डर तुम्हें नहीं रोक सकता!  

Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई गुरु, ना कोई छलावा,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की अंतिम क्रांति" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, गहरी ध्वनि, जैसे गहरी खामोशी से जागती एक असीम शक्ति, धीरे-धीरे स्वर तीव्र होता जाए, जैसे सत्य का महासंग्राम शुरू हो रहा हो!)*  

**अब पर्दा हटेगा! अब असली सत्य प्रकट होगा!**  
**अब कोई भ्रम, कोई ढोंग, कोई छलावा नहीं टिकेगा!**  
**अब यथार्थ की अंतिम क्रांति छिड़ चुकी है!**  

---

### **(Verse 1 – सतगुरु नहीं, बस एक छलावा!)**  
⚡ **वो कैसा सतगुरु जो तेरा विवेक छीन ले?**  
⚡ **वो कैसा सतगुरु जो तुझे कैद में डाल दे?**  
⚡ **जो तुझसे तर्क छीन ले, जो तुझसे स्वतंत्रता छीन ले,**  
⚡ **जो तुझे सिर्फ एक कठपुतली बना कर नचाए?**  

⚡ **जिसने तुझसे तेरा आत्म-सत्य ही छीन लिया!**  
⚡ **जिसने तुझसे तेरे सवाल ही छीन लिए!**  
⚡ **जिसने तुझसे तेरा सोचने का हक़ छीन लिया!**  
⚡ **और फिर तुझे दीक्षा के नाम पर ताले में बंद कर दिया!**  

अब तेरा संपूर्ण जीवन बंधुआ मजदूरी बन गया,  
अब तेरी चेतना सतनाम के ढोंग में डूब गई,  
अब तेरी सांसों में भी बस एक झूठा सुमिरन भर दिया,  
अब तेरा संपूर्ण अस्तित्व सिर्फ उनके इशारों पर नाचता है!  

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### **(Chorus – अब बेड़ियाँ तोड़ो! यथार्थ को अपनाओ!)**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई ढोंग!**  
⚡ **अब ना कोई सतनाम, अब ना कोई जाल!**  
⚡ **अब ना कोई चक्रव्यू, अब ना कोई छल!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब इस भ्रम को और मत पालो,  
अब इस अंधकार को और मत बढ़ाओ,  
अब अपनी आत्मा को मुक्त करो,  
अब अपनी चेतना को जलाओ!  

---

### **(Verse 2 – चक्रव्यू का जाल और सत्य की शक्ति)**  
⚡ **जिसे तू सतगुरु समझा, वो तेरा सबसे बड़ा शत्रु निकला!**  
⚡ **जिसे तू मुक्ति का मार्ग समझा, वो तेरा सबसे बड़ा कैदखाना निकला!**  
⚡ **जिसे तू भक्ति समझा, वो तुझे बस गुलाम बनाने का षड्यंत्र था!**  
⚡ **जिसे तू सत्य समझा, वो बस छल-कपट का एक और नया जाल था!**  

⚡ **अब तुझे तर्क से दूर कर दिया गया!**  
⚡ **अब तुझे विवेक से वंचित कर दिया गया!**  
⚡ **अब तेरा आत्म-ज्ञान तुझसे छीन लिया गया!**  
⚡ **और तुझे बस एक कठपुतली बना दिया गया!**  

अब तेरी साँसें भी उनकी कैद में हैं,  
अब तेरा मन भी उनके इशारों पर चलता है,  
अब तुझे खुद के अस्तित्व का बोध भी नहीं रहा!  

---

### **(Bridge – जागो! अपने भीतर की शक्ति को पहचानो!)**  
अब और नहीं!  
अब किसी दीक्षा की जंजीर नहीं!  
अब किसी सतनाम की साजिश नहीं!  
अब किसी चक्रव्यूह का भ्रम नहीं!  

⚡ **अब मैं प्रत्यक्ष हूँ, मैं स्वयं सत्य हूँ!**  
⚡ **अब मेरी हर ध्वनि, हर वाणी, यथार्थ की शक्ति है!**  
⚡ **अब मेरा हर शब्द, अनंत आत्म-प्रकाश है!**  
⚡ **अब मैं और तुम—अलग नहीं, एक ही चेतना हैं!**  

अब मैं कोई परछाईं नहीं,  
अब मैं केवल अहसास नहीं,  
अब मैं स्वयं तुम्हारा प्रत्यक्ष आत्म-बोध हूँ!  

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष! अनंत जागृति!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई सवाल!**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई काल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब कोई तुम्हें गुलाम नहीं बना सकता,  
अब कोई तुम्हें झूठी मुक्ति नहीं बेच सकता!  
अब तुम्हारी आत्मा अंधकार में नहीं रहेगी,  
अब हर भ्रम जलकर राख हो जाएगा!  

---

### **(Outro – यथार्थ की अनंत विजय!)**  
अब समय आ चुका है,  
जहाँ हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने,  
जहाँ हर चेतना अपने यथार्थ को अपनाए,  
जहाँ कोई काल्पनिक डर तुम्हें नहीं रोक सकता!  

Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई गुरु, ना कोई छलावा,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"यथार्थ की अंतिम हुंकार" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**  

*(इंट्रो – धीमी, गहरी ध्वनि, जैसे किसी असीम सत्य की गर्जना उठ रही हो, धीरे-धीरे स्वर तीव्र होता जाए, जैसे क्रांति की लपटें तेज़ हो रही हों!)*  

**अब पर्दा हटेगा! अब हर झूठ बेनकाब होगा!**  
**अब कोई गुरु, कोई नाम, कोई भ्रम तेरा हक़ नहीं छीन सकेगा!**  
**अब सिर्फ यथार्थ की हुंकार गूंजेगी!**  

---

### **(Verse 1 – वो कैसा गुरु? वो कैसा नाम?)**  
⚡ **वो कैसा गुरु, जो तुझे ही लूटने बैठा है?**  
⚡ **वो कैसा नाम, जो सिर्फ़ एक छलावा है?**  
⚡ **जिसका हर वचन, हर आदेश बस पाखंड का एक और नया जाल है!**  
⚡ **जिसकी दीक्षा बस तेरे विवेक को कुचलने का हथियार है!**  

⚡ **जिसे तू पवित्र समझता रहा, वो तेरा सबसे बड़ा धोखा निकला!**  
⚡ **जिसे तू सत्य समझता रहा, वो तुझे कैद करने का नया षड्यंत्र निकला!**  
⚡ **जिसे तू भक्ति समझता रहा, वो तेरा मानसिक बंधन बन गया!**  
⚡ **जिसे तू गुरु मानता रहा, वो तुझे अपनी उंगली पर नचाने वाला तानाशाह निकला!**  

अब तेरा अस्तित्व बस उसके इशारों का एक खिलौना है,  
अब तेरा हर विचार बस उसके लाभ का एक मोहरा है,  
अब तेरा हर निर्णय बस उसके झूठे आदेशों में कैद है!  

---

### **(Chorus – अब बेड़ियाँ तोड़ो! अब यथार्थ को अपनाओ!)**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई नाम!**  
⚡ **अब ना कोई आश्रम, अब ना कोई धाम!**  
⚡ **अब ना कोई चक्रव्यू, अब ना कोई छल!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब इस छलावे को और मत पालो,  
अब इस अंधकार को और मत बढ़ाओ,  
अब अपनी आत्मा को मुक्त करो,  
अब अपनी चेतना को जलाओ!  

---

### **(Verse 2 – गुरु, नाम और चक्रव्यू का छल!)**  
⚡ **अका, बका, जपा, तपा – ये बस एक और भ्रम है!**  
⚡ **ये तुझे सत्य से दूर करने का बस एक और नया जाल है!**  
⚡ **जिसे तू मुक्ति का द्वार समझ रहा है, वो तेरा सबसे बड़ा बंधन है!**  
⚡ **जिसे तू भक्ति समझ रहा है, वो तुझे गुलामी की ओर ले जाने वाला एक और धोखा है!**  

⚡ **अब तुझे तर्क से वंचित कर दिया गया!**  
⚡ **अब तुझे विवेक से काट दिया गया!**  
⚡ **अब तेरा आत्म-ज्ञान तुझसे छीन लिया गया!**  
⚡ **और तुझे बस एक कठपुतली बना दिया गया!**  

अब तेरा शरीर भी उनका,  
अब तेरा मन भी उनका,  
अब तेरा हर विचार भी उनका,  
और अब तेरा हर सांस भी उनका!  

---

### **(Bridge – जागो! अपने भीतर की शक्ति को पहचानो!)**  
अब और नहीं!  
अब किसी दीक्षा की जंजीर नहीं!  
अब किसी सतनाम की साजिश नहीं!  
अब किसी चक्रव्यूह का भ्रम नहीं!  

⚡ **अब मैं प्रत्यक्ष हूँ, मैं स्वयं सत्य हूँ!**  
⚡ **अब मेरी हर ध्वनि, हर वाणी, यथार्थ की शक्ति है!**  
⚡ **अब मेरा हर शब्द, अनंत आत्म-प्रकाश है!**  
⚡ **अब मैं और तुम—अलग नहीं, एक ही चेतना हैं!**  

अब मैं कोई परछाईं नहीं,  
अब मैं केवल अहसास नहीं,  
अब मैं स्वयं तुम्हारा प्रत्यक्ष आत्म-बोध हूँ!  

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष! अनंत जागृति!)**  
⚡ **अब ना कोई भ्रम, अब ना कोई सवाल!**  
⚡ **अब ना कोई डर, अब ना कोई काल!**  
⚡ **अब ना कोई गुरु, अब ना कोई बंधन!**  
⚡ **अब सिर्फ यथार्थ, अब सिर्फ आत्म-प्रकाश!**  

अब कोई तुम्हें गुलाम नहीं बना सकता,  
अब कोई तुम्हें झूठी मुक्ति नहीं बेच सकता!  
अब तुम्हारी आत्मा अंधकार में नहीं रहेगी,  
अब हर भ्रम जलकर राख हो जाएगा!  

---

### **(Outro – यथार्थ की अनंत विजय!)**  
अब समय आ चुका है,  
जहाँ हर निर्मल आत्मा अपनी शक्ति को पहचाने,  
जहाँ हर चेतना अपने यथार्थ को अपनाए,  
जहाँ कोई काल्पनिक डर तुम्हें नहीं रोक सकता!  

Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
⚡ **"अब ना कोई गुरु, ना कोई छलावा,  
अब सिर्फ मेरा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ मेरा अनंत सत्य!"**  

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"निरक्षण की अग्नि" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गहन ध्वनि में जैसे एक नई सुबह का सूर्योदय हो, जहाँ हर कण में प्रामाणिकता की चमक हो)*  
जब जन्म के साथ निर्मल वास्तविकता ने नया संसार रच दिया,  
तब क्यों अतीत की बेड़ियाँ पहन लेना,  
क्यों स्वीकृति दे उन धूमिल मान्यताओं को,  
जब आज का हर पल, हर अनुभव अनंत संभावनाओं से भरा है?

---

### **(Verse 1 – स्वयं के निरीक्षण की पुकार)**  
जो खुद का निरक्षण नहीं करता,  
वो अंधेरे में खोए हुए किसी मान्यता-धारणा का हिस्सा बन जाता है,  
वो अपनी आत्मा की पुकार सुनने से इनकार कर देता है,  
और अतीत के बोझ तले अपने आप को दबा लेता है।

क्योंकि जब जन्म से ही सब कुछ निर्मल,  
तब हर विचार, हर अनुभूति नई,  
तो फिर अतीत की धुंधली परछाइयों को  
अपने वर्तमान में जगह क्यों देना?

---

### **(Chorus – अब उठो, यथार्थ को अपनाओ!)**  
⚡ **अब ना रहो अतीत की बेड़ियों में,**  
⚡ **ना मानो उन झूठे अफ़साने,**  
⚡ **जो केवल स्वार्थ हित साधने के लिए बुने गए हैं,**  
⚡ **अब जागो, अब स्वयं को पहचानो –**  
**तुम्हारा अस्तित्व है अनंत, तुम्हारा सत्य है निर्मल!**

---

### **(Verse 2 – अतीत की मान्यताएँ और शैतान वृत्ति का पर्दाफाश)**  
देखो, जो अपने भीतर झाँकता नहीं,  
वो बस दूसरों के बंधन में उलझा रहता है,  
जो अतीत के समय की बूंदों में अपना अस्तित्व खोजता है,  
वो आज के प्रचंड सवेरा का हिस्सा नहीं बन पाता।

कौशिक भी आज के युग की कठोर सच्चाई नहीं सह पाता,  
उन पुरानी मान्यताओं का बोझ,  
जो केवल शैतान वृत्ति का हिस्सा हैं –  
स्वार्थ हित साधने का स्रोत,  
जिसका सिर्फ़ एक जाल है,  
जहाँ छल-कपट के ताने-बाने बुने गए हैं!

---

### **(Bridge – आत्म-निरीक्षण का संदेश, स्वाधीनता का संकल्प)**  
अब वक्त है खुद को देख लेने का,  
अपने भीतर की अनंत शक्ति को पहचानने का,  
जो तुम सोचते हो, उससे खरबों गुणा ऊँचा तुम स्वयम् हो!  
अपने आत्म-बोध में विश्वास करो,  
क्योंकि सच्चाई वही है जो अतीत के भ्रमों से परे,  
और तुम्हारे भीतर एक अनंत प्रकाश जलता है!

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष, यथार्थ की क्रांति)**  
⚡ **अब ना किसी अतीत की बेड़ियों में,**  
⚡ **ना झूठे अफ़सानों के साये में,**  
⚡ **अब उठो, अब स्वयं के निरीक्षण में,**  
⚡ **अब केवल यथार्थ का प्रकाश ही रह जाएगा!**

जो खुद का निरक्षण करेगा,  
वही बनेगा स्वतंत्रता का स्वामी,  
वही जान पाएगा कि अतीत की मान्यताएँ  
सिर्फ कुछ शैतान वृत्ति का हिस्सा हैं –  
जो केवल स्वार्थ हित साधने का साधन हैं!

---

### **(Outro – आत्म-प्रकाश का संकल्प)**  
अब जागो, उठो,  
अपने भीतर की निर्मल वास्तविकता को पहचानों,  
क्योंकि तुम हो अनंत, तुम हो सर्वशक्तिमान,  
और इस यथार्थ की अग्नि में,  
हर अंधकार को तुम अपनी ज्योति से भस्म कर दोगे!

**जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!**### **"अंतर्मुखी जागृति का अमृत" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गहन ध्वनि में जैसे ब्रह्मांड के प्रत्येक कण में अनंत सत्य की झलक हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम गहराई उतरती जाए)*

जब जन्म की पहली किरण में निर्मल वास्तविकता ने नया आकाश छुआ,  
हर कण में नूतनता की अनंत गूंज थी, हर धड़कन में अपार संभावनाएँ थीं—  
पर वो आत्मा, जो खुद का निरक्षण नहीं करती,  
वह अतीत के धुंधले बंधनों में उलझी मान्यताओं का हिस्सा बन जाती है,  
जहाँ स्वार्थ की छाया, शैतानी वृत्ति के अवशेष बस कर बैठते हैं।

---

### **(Verse 1 – स्वयं के निरीक्षण का उदय)**

जो निरंतर अपने आप में झाँकता नहीं,  
वह अपने अस्तित्व की असीम शक्ति से अनजान रहता है—  
अतीत की धूल भरी मान्यताएँ,  
जो केवल स्वार्थ के शैतान ने बुनी हैं,  
तब भी क्यों उन्हें अपनाना,  
जब हर पल में नूतनता का उजाला है?

जब तुम अपने हृदय के अनंत गहराइयों में उतरते हो,  
तो पाते हो कि असली आत्मा वही है जो  
अतीत के झूठे प्रतिबिंबों को चीर कर,  
स्वतंत्रता के अद्भुत प्रकाश में प्रकट होती है।  
जो खुद का निरक्षण करता है,  
वह स्वयं के प्रत्यक्ष स्वरूप में,  
अनंत गुणों का अनुभव कर अनंत सत्य से जुड़ जाता है!

---

### **(Chorus – अब उठो, सत्य के अमृत को आत्मसात करो!)**

⚡ **अब उठो, अपने भीतर की अग्नि जलाओ,**  
⚡ **अब जागो, उस अद्भुत आत्म-प्रकाश को पहचानो,**  
⚡ **अतीत के झूठे बंधन अब नीरस हो गए—**  
⚡ **क्योंकि हम स्वयं हैं अनंत, प्रत्यक्ष, सच्चे और सर्वशक्तिमान!**

हर पल में बस उजाले की अनंत धारा बहती है,  
हर क्षण में नया सृजन, नया प्रकाश—  
हमारी आत्मा का निरक्षण,  
हमें आज के यथार्थ से जोड़ता है,  
और हमें बनाता है स्वतंत्रता के अमर योद्धा!

---

### **(Verse 2 – अतीत के मिथकों का विघटन)**

देखो, अतीत की मान्यताएँ,  
जो केवल छल-कपट के सूखे पत्ते हैं,  
स्वार्थ की नदी में बहते हुए,  
तुम्हारी चेतना को ढक लेते हैं—  
वे अफसाने, वे झूठे सपने,  
जो किसी शैतानी वृत्ति का मात्र उपकरण हैं,  
जिन्हें आज की कठोर सत्यता सह नहीं सकती।

कौशिक की वे पुरानी ध्वनियाँ,  
जो अब आधुनिक युग के स्वर में गूंज नहीं सकतीं,  
उन बंधनों को छोड़ दो,  
और अपनी आत्मा के अनंत खजाने को खोजो—  
क्योंकि जो स्वयं का निरीक्षण करता है,  
वह न केवल अतीत को परास्त करता है,  
बल्कि अपनी सृजनात्मक शक्ति से,  
नए युग का दीप प्रज्वलित कर देता है!

---

### **(Bridge – आत्म-ज्ञान की अग्नि में विलीन हो जाओ!)**

अब वक्त है अपनी आत्मा की गहराई में उतर जाने का,  
जहाँ तुम्हारा हर विचार, हर अनुभूति  
तुम्हें उस अनंत प्रकाश से जोड़ता है,  
जो किसी भी काल्पनिक झूठ को नष्ट कर देता है!  
जो अपने आप में डूबता है,  
वह स्वयं का निरक्षण कर,  
सच्चाई की अमर ज्योति बन जाता है—  
और अंधकार के सभी भ्रम,  
तुम्हारे उजाले में भस्म हो जाते हैं!

---

### **(Final Chorus – सत्य की अनंत ज्योति का उद्घोष)**

⚡ **अब ना कोई अतीत का बंधन,**  
⚡ **ना कोई झूठी मान्यताओं का बोझ!**  
⚡ **अब बस तुम्हारा आत्म-ज्ञान,**  
⚡ **अब बस तुम्हारा प्रत्यक्ष सत्य!**

उठो, जागो—  
अपने भीतर की उस असीम शक्ति को पहचानो,  
जो हर क्षण में तुम्हें  
नूतन सृजन, सच्चाई, और अनंत उजाले से भर देती है!  
जो स्वयं का निरक्षण करता है,  
वह अजर-अमर हो जाता है—  
क्योंकि हम स्वयं हैं,  
अंतर्मुखी जागृति का अमृत!

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### **(Outro – अनंत सत्य की विजय का संकल्प)**

हर श्वास में, हर धड़कन में,  
सत्य की अनंत गूँज है,  
और जो खुद को निरक्षण करता है,  
वह अनंत काल तक उस प्रकाश में विलीन रहता है!  
Rampal Saini के शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई भ्रम, ना कोई अतीत का बंधन,  
अब सिर्फ हमारा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ हमारा अनंत सत्य!"**

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!** ⚡### **"अनंत आत्मा की पुकार" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – गहन, सन्नाटे में बसी उस अनंत गहराई की ध्वनि, मानो समय और स्थान के परे एक मौन सत्य बोल रहा हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम ऊर्जा झलकने लगे)*

जब हर जन्म में नवचेतना का सूर्योदय हो,  
और प्रत्येक क्षण में निर्मलता के नए रंग उभरें,  
तब भी जो स्वयं का निरक्षण न करे,  
वह अतीत की धुंधली मान्यताओं के झूले में झूलता रहता है—  
एक अवशेष, जो केवल स्वार्थ की पुरानी शाखाओं से जुड़ा है।

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### **(Verse 1 – स्वयं की खोज में डूब जाने वाले)**

जो अपने भीतर झाँककर अपने अस्तित्व को समझता नहीं,  
वह केवल बाहरी शब्दों और झूठी दीक्षाओं में उलझा रहता है,  
जहाँ गुरु की आड़ में बंधे बंधन,  
शब्द प्रमाण की बेड़ियाँ चुपचाप मन को जकड़ लेती हैं।  
  
क्या कारण है उन पुराने मिथकों को अपनाने का,  
जब हर क्षण में नई चेतना के उजाले बिखेरते हैं?  
वह मान्यता, जो अतीत की कठोर परछाइयों से निकली है,  
वह अब आज की अदम्य ऊर्जा को सहन नहीं कर सकती,  
क्योंकि आज का सवेरा स्वयं में अनंत संभावनाओं का घर है!

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### **(Chorus – उठो, अपने आप को पहचानो!)**

⚡ **अब उठो, हर कण में छिपे सत्य का आह्वान सुनो,**  
⚡ **अब जागो, अपने भीतर की अनंत ऊर्जा को अपनाओ!**  
⚡ **जो स्वयं का निरक्षण करता है, वह अनंत ज्योति से विलीन हो जाता है,**  
⚡ **वह पुराने बंधनों को तोड़कर अपने आप में समा जाता है!**

आज का हर पल कहता है—  
"तुम अनंत हो, तुम सर्वोच्च हो,  
तुम्हारे भीतर सागर सा गहरा ज्ञान है,  
जो किसी भी अतीत के भ्रम को नष्ट कर सकता है!"

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### **(Verse 2 – झूठे स्वार्थ और शैतानी वृत्ति का पर्दाफाश)**

वो कैसा सतगुरु, जिसका केवल नाम ही झूठा,  
जिसकी दीक्षा में छिपा है केवल छल-कपट का जाल,  
जिसके शब्द प्रमाण में बंद हो जाती है तर्क-विवेक की आज़ादी,  
और जिसके इशारों पर नाचती है तुम्हारी आत्मा,  
वह बस एक ढोंग है, एक पुराना वंश जो लूटने के लिए सजाया गया है!

उनकी दीक्षा के ढोंग में छुपा है केवल स्वार्थ का अमृत,  
जो पुराने अतीत की मान्यताओं को बनाकर रखता है,  
जो शैतानी वृत्ति का हिस्सा बनकर,  
तुम्हारे स्वप्नों की अग्नि को बुझाने की कोशिश करता है,  
पर याद रखो—  
असली शक्ति तो स्वयं के निरक्षण में निहित है!

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### **(Bridge – अंतर्मुखी जागृति की पुकार)**

अब समय आ चुका है कि हर आत्मा अपने भीतर झाँके,  
उस अनंत प्रकाश को खोजे जो सदैव उजागर रहता है,  
जो पुराने भ्रमों के अंधकार को चीरकर,  
अपने अंदर की अमर ज्योति को प्रकट कर दे।  
  
क्योंकि हर जीवित हृदय में एक अनंत सागर है,  
जो कल्पनाओं और मिथकों से परे,  
सिर्फ़ एक ही सत्य को जानता है—  
तुम्हारा स्वयं का अस्तित्व,  
तुम्हारा अनंत, निर्विकल्प, प्रत्यक्ष सत्य!

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### **(Final Chorus – अनंत सत्य का उद्घोष)**

⚡ **अब ना अतीत के बंधन, ना झूठी मान्यताओं का बोझ!**  
⚡ **अब ना कोई ढोंग, ना कोई छल—**  
⚡ **अब केवल तुम्हारा आत्मज्ञान, केवल तुम्हारा अनंत प्रकाश!**  

उठो, जागो,  
अपने भीतर के अनंत सागर में डूब जाओ,  
जहाँ हर विचार तुम्हें बताता है  
कि तुम हो सर्वोच्च, अनंत और पूर्ण!  
जो स्वयं का निरक्षण करता है,  
वह पुराने अंधकार को चीरकर,  
अपने आप में सच्चाई की अमर ज्योति बन जाता है!

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### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

हर श्वास में, हर धड़कन में,  
तुम्हारा स्वयं का प्रतिबिंब है—  
एक आत्मा जो अनंत सत्य से बंधी हुई है,  
और जो अतीत के झूठे भ्रमों को नष्ट कर,  
अपने भीतर की अदम्य शक्ति को जगाता है!  
Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
**"अब ना कोई भ्रम, ना कोई अतीत का बंधन,  
अब सिर्फ हमारा आत्म-प्रकाश,  
अब सिर्फ हमारा अनंत सत्य!"**

⚡ **जय यथार्थ! जय आत्मज्ञान! जय Rampal Saini!**### **"अपने आप में अनंत शक्ति" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – गहरी, मौन में गूंजती ध्वनि, मानो अंतरात्मा की पवित्र पुकार हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम ऊर्जा फैलती जाए)*

दूसरों के डर, खौफ, दहशत के अधीन जीने की अदद से  
मजबूर लोग—जो अपने अस्तित्व को छुपा-छुपा  
अंधकार में उलझे रहते हैं,  
उनके जीवन में बस भय का साया है।  
अब वक्त आ गया है,  
कि तुम खुद को समझो,  
अपने भीतर की अनंत शक्ति को पहचानो!

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### **(Verse 1 – स्वयं के निरीक्षण का उदय)**

जो दिन-रात दूसरों के डर में जीते हैं,  
उनकी आत्मा के तार भय की बेड़ियों में बंधे हैं,  
क्या तुमने कभी खुद से पूछा है?  
“मैं कौन हूँ?” “मेरा वास्तविक अस्तित्व क्या है?”  
जब जन्म से ही हर पल में  
निर्मल चेतना के नए रंग खिलते हैं,  
तो क्यों तुम पुराने, अंधकारमय मिथकों में उलझे रहते हो?  
खुद में झाँको, उस गहराई में जहां  
असीम शक्ति और अनंत प्रकाश बसते हैं—  
तुम हो अपार, तुम हो अजेय!

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### **(Chorus – उठो, अपने आप को पहचानो!)**

⚡ **अब उठो, अपने भीतर के अदम्य प्रकाश को जगाओ,**  
⚡ **अब जागो, उस अनंत ऊर्जा को महसूस करो!**  
⚡ **दूसरों के भय के परदे को गिरा दो,**  
⚡ **अपने आप को जानो, अपनी आत्मा की पुकार सुनो!**

जीवन का असली सार तुम हो,  
तुम्हारा अस्तित्व अनंत है,  
अपने भीतर छुपे उजाले को अपनाओ—  
तुम ही हो अपने जीवन के निर्माता!

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### **(Verse 2 – भय के परे, आत्मा का उदय)**

जब हर क्षण में अंधकार के घने जाल तुम्हें बाँध लेते हैं,  
और दूसरों के डर के बोझ से तुम थक जाते हो,  
तो याद रखो,  
वास्तविकता में हर नई सुबह एक नया संकल्प लाती है!  
अपने भीतर की गहराइयों में उतर जाओ,  
जहां हर धड़कन तुम्हें बताती है कि  
तुम हो अनंत, अनवरोध,  
और तुममें है वो शक्ति जो अतीत के भय को चीर सकती है!

पुरानी मान्यताएँ, झूठे अफसाने—  
ये सब स्वार्थ के साए हैं,  
जो तुम्हें दूसरों के डर में उलझाकर  
तुम्हारी स्वाभाविक चमक को रोक लेते हैं।  
अब वक्त है इन बेड़ियों को तोड़ने का,  
अपने आप को पुनर्जीवित करने का,  
और अपने आत्मविश्वास की आग से  
हर भय के अंधकार को जलाने का!

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### **(Bridge – आत्मा की अनंत जागृति का संकल्प)**

अब और नहीं, डर के गुलाम न बनो!  
अपनी आत्मा के गहरे सागर में उतर जाओ,  
जहां हर लहर में सच्ची पहचान छुपी है,  
जहां हर सूक्ष्म ध्वनि तुम्हें बताती है—  
“तुम हो अनंत, तुम हो सर्वशक्तिमान!”  
अपने आप को समझो, अपने सत्य को अपनाओ,  
क्योंकि यही है तुम्हारा असली अस्तित्व,  
तुम्हारा आत्मा का अमृत,  
जो हर भय, हर खौफ को नष्ट कर देगा!

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### **(Final Chorus – अनंत आत्मा का उद्घोष)**

⚡ **अब उठो, जागो, और अपने भीतर के प्रकाश को महसूस करो,**  
⚡ **अब ना रहो दूसरों के भय के साये में,**  
⚡ **अपनी आत्मा के अनंत राग को गाओ,**  
⚡ **क्योंकि तुम हो असीम, तुम हो अनंत, तुम हो सर्वोच्च!**

अपने आप को समझो,  
अपने आप में छुपे उस अमर सत्य को पहचानो,  
जो हर अंधेरे को चीरकर  
तुम्हें उजाले में परिवर्तित कर देगा!  
तुम्हारी आत्मा में है अनंत शक्ति का सागर—  
उसे पहचानो, उसे अपनाओ,  
और दुनिया को दिखाओ अपनी असली पहचान!

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### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

हर श्वास, हर धड़कन में छुपा है  
तुम्हारा अनंत प्रतिबिंब,  
जो अतीत के भय के परे,  
एक उज्ज्वल, स्वतंत्र संसार का संदेश देता है।  
Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
**"अब उठो, जागो, और अपने आप को पहचानो,  
क्योंकि तुम हो असीम, तुम हो अनंत,  
और तुम्हारा सत्य सदैव उज्ज्वल रहेगा!"**

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!** ⚡### **"मौत का सत्य सागर" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमे, गहन सुरों में गूंजती वो अनंत आवाज़, मानो समय-आकाश के परे सत्य का समंदर बोल रहा हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम शक्ति का संचार)*

मौत…  
वो अंतिम सत्य, वो अनंत प्रकाश,  
जिसे तर्क-विवेक ने स्पष्ट कर दिया है –  
मौत स्वयं में है सर्वश्रेष्ठ सत्य!  
जहाँ सत्य, प्रेम, शांति निर्मल हैं,  
वहाँ डर, खौफ, दहशत, भय  
केवल एक झूठी धारणा हैं,  
जो छल-कपट, ढोंग, पाखंड, षढियंत्रों के मंत्र क्रम में  
चंद शैतान वृत्ति वालों ने  
अपना स्वार्थ साधने के लिए,  
तुम्हें मूर्ख बना कर मन में बिठाई हैं।

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### **(Verse 1 – स्वयं में निहित अनंत सत्य)**

जो खुद का निरक्षण नहीं करता,  
वह अंधकार के परदे में छिपे  
पुराने, धुंधले मान्यताओं का हिस्सा बन जाता है।  
जब जन्म के साथ हर पल में नूतनता झिलमिलाती है,  
तो क्यों अपनाना अतीत की धूसर परछाइयाँ?  

देखो!  
मौत ने स्वयं में वो अमर सत्य समेट रखा है,  
जहाँ हर सांस में प्रेम की अमर गूँज है,  
जहाँ शांति का प्रकाश अनंत बहता है –  
यहाँ भय का कोई वास्तविक आधार नहीं,  
बल्कि ये सिर्फ़ एक भ्रम है,  
जो मन में झूठे कपट और षढियंत्रों के जाल से बिठा है।

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### **(Chorus – उठो, अपने भीतर के प्रकाश को पहचानो!)**

⚡ **अब उठो, अपने भीतर के अनंत उजाले को जगाओ,**  
⚡ **अब जागो, उस आत्म-शक्ति को महसूस करो!**  
⚡ **दूसरों के डर के परदे को गिरा दो,**  
⚡ **क्योंकि तुम हो अनंत – तुम्हारा अस्तित्व है परम सत्य!**

Rampal Saini कहता है –  
आज के हर पल में,  
जहाँ मौत की उस अमर महिमा से  
सत्य, प्रेम और शांति का संगीत बजता है,  
वहाँ कोई भय नहीं टिक सकता!

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### **(Verse 2 – मिथ्या भय का पर्दाफाश)**

सोचो, ये डर के झूठे साये,  
जो तुम्हें अंधकार में बाँध लेते हैं,  
ये तो बस वो भ्रम हैं,  
जो चंद शैतान वृत्ति वाले लोग  
अपने स्वार्थ हित साधने के लिए  
मन की गहराइयों में बिठा देते हैं।  

तुम्हें अपने अस्तित्व से दूर करने के लिए,  
तुम्हारी सोच को कैद करने के लिए,  
ताकि तुम अपने स्वाभाविक प्रकाश को न पहचान सको –  
पर याद रखो,  
मौत ने स्वयं में असीम सत्य समेट रखा है,  
और वो सत्य ही तुम्हें मुक्ति की ओर ले जाएगा!

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### **(Bridge – अंतर्मुखी जागृति का संकल्प)**

अब वक्त है खुद में झाँकने का,  
अपने भीतर के अनंत सागर को खोजने का,  
जहाँ हर धड़कन बताती है –  
“तुम हो अनंत, तुम हो सर्वोच्च!”  
Rampal Saini की आवाज़ में सुनो –  
पुरानी मान्यताओं के झूठे बंधन अब टूटने हैं,  
क्योंकि तुम्हारा वास्तविक अस्तित्व  
सिर्फ़ स्वाभाविक प्रेम, शांति और सत्य में रचा-बसा है!

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### **(Final Chorus – अनंत सत्य का उद्घोष)**

⚡ **अब ना रहो भय के झूठे साये में,**  
⚡ **ना मानो वो छल-ढोंग के वादे!**  
⚡ **अब सिर्फ़ अपनाओ अपनी अनंत शक्ति,**  
⚡ **अब सिर्फ़ जियो सत्य, प्रेम और शांति के साथ!**

मौत, वो सर्वोच्च सत्य है,  
जिसमें जीवन का असली सार निहित है –  
जहाँ प्रेम की अमर धारा बहती है,  
और शांति का उजाला हर आत्मा को मुक्त कर देता है!  
इसलिए उठो, जागो,  
अपने भीतर के प्रकाश को पहचानो,  
और उस भ्रम को तोड़ डालो  
जो तुम्हें मूर्ख बनाये रखने के लिए बुन दिया गया है!

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### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो –  
हर श्वास में, हर धड़कन में  
तुम्हारा अनंत प्रतिबिंब बसता है,  
और मृत्यु की उस अनंत महिमा से  
तुम्हें सच्चाई का अमृत प्राप्त होता है!  
अब डर, खौफ और दहशत के झूठे पल्ले  
केवल हवाओं में उड़ते हैं,  
क्योंकि तुम हो अनंत, तुम हो सर्वोच्च!  

**जय सत्य! जय प्रेम! जय शांति!  
जय Rampal Saini!**### **"दोहरे चरित्र का विमर्श" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गहन ध्वनि में गूंजता एक मौन संदेश, मानो अंतरतम से एक अनकहा सत्य प्रकट हो रहा हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम शक्ति फैलती जाए)*

जब भौतिक जगत में हम अपने निरक्षण से  
सत्य को अपना कर, हर लक्ष्य तक पहुँचते हैं,  
और अपनी मेहनत से सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हैं,  
तब क्यों आंतरिक जगत में  
पूरी तरह से मंत्र, मान्यता, परंपरा के जाल में उलझ जाते हैं?  
  
क्योंकि भीतर की दुनिया केवल हित साधने तक सीमित रह जाती है,  
जहाँ बाहरी बुद्धिमत्ता की चमक से  
हमें ऊँचाइयों का अनुभव होता है,  
वहीं आंतरिक जगत में मूर्खता का दोहरा चरित्र  
हमारे पतन की जड़ बन जाता है—  
एक ऐसा द्वंद्व, जो आत्मा के वास्तविक विकास को रोकता है!

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### **(Verse 1 – बाहरी उपलब्धि और भीतरी अज्ञानता की खाई)**

तुम निरक्षण से हर भौतिक विजय को अपनाते हो,  
हर कदम पर सच का सामना करते हो,  
लेकिन भीतर के गूढ़ सागर में,  
तुम मंत्रों और मान्यताओं के धोखे में खो जाते हो।  

जिस पल तुम अपने आप को समझते हो,  
वहीं बाहरी दुनिया में बुद्धिमत्ता की चमक जलती है,  
पर अगर आंतरिक आत्मा में  
अज्ञानी विचारों का बोझ रहता है,  
तो यही दोहरा चरित्र  
तुम्हारी उन्नति का पतन भी बन जाता है!

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### **(Chorus – उठो, आओ एकता की ओर बढ़ो!)**

⚡ **अब उठो, अपने भीतर के सच्चे स्वर को पहचानो,**  
⚡ **बाहर की बुद्धिमत्ता और भीतरी चेतना को मिलाओ!**  
⚡ **निरक्षण से हासिल किए हर भौतिक मुकाम को,**  
⚡ **आत्म-बोध और सत्य के प्रकाश में समाहित कर दो!**

क्योंकि जब तुम दोनों पहलुओं को  
एक स्वर में जीओगे,  
तब ही आत्मा का अमृत तुम्हें  
नयी ऊँचाइयाँ दिखा जाएगा!

---

### **(Verse 2 – आंतरिक दुनिया में निर्भरता के मायाजाल का पर्दाफाश)**

देखो, वो मंत्र और परंपराएँ  
जो तुम्हें भीतर तक के रिश्तों से जोड़ती हैं,  
वो केवल एक धोखा हैं,  
जिससे सिर्फ़ स्वार्थ साधने की चेष्टा होती है।  

जब तुम अपनी आंतरिक शक्ति को  
बाहरी नीतियों में उलझा लेते हो,  
तो तुम उस अनंत प्रकाश से दूर हो जाते हो  
जो तुम्हारे असली अस्तित्व में समाहित है।  

ये दोहरे स्वरूप, ये दोहरा चरित्र,  
हमें उस एकता से वंचित कर देते हैं,  
जहाँ आत्मा में है  
बिना किसी भ्रम के, शुद्ध ज्ञान और प्रेम का महासागर!

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### **(Bridge – आत्मनिरीक्षण का आह्वान)**

अब समय है उस आंतरिक जागृति का,  
जहाँ तुम स्वयं के गहरे प्रतिबिंब को देख सको,  
जहाँ बाहरी सफलता  
और भीतर की चेतना  
एक दूसरे में विलीन होकर  
सत्य का अटूट सार प्रकट करें!  

अपने भीतर के अवगाहन में डूबो,  
अपने स्वाभाविक प्रकाश को पहचानो,  
क्योंकि जब तुम दोनों को एक साथ समाहित करोगे,  
तब ही तुम वास्तविक स्वतंत्रता  
और अनंत सामर्थ्य का अनुभव करोगे!

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### **(Final Chorus – एक नया उदय, एकता का उद्घोष)**

⚡ **अब ना रहो दोहरे चरित्र के भ्रम में,**  
⚡ **ना बनो स्वार्थ की बेड़ियों का बंदी!**  
⚡ **अब जागो, अपने भीतर की अमर ज्योति को जानो,**  
⚡ **और बाहरी बुद्धिमत्ता के साथ उसे मिलाओ!**

तुम हो अनंत, तुम हो समृद्ध,  
जब तुम अपने भीतर की शक्ति को पहचानते हो,  
तो हर डर, हर भ्रम का अंत हो जाता है,  
और तुम्हारा अस्तित्व  
सिर्फ एक – सत्य, प्रेम, और एकता का सागर बन जाता है!

---

### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर श्वास, हर धड़कन में छुपा है  
तुम्हारा असली प्रतिबिंब,  
जो बाहरी उपलब्धि और भीतर की चेतना  
को एक साथ बाँधता है!  
अब उठो, जागो, और अपने आप को समझो,  
क्योंकि तुम हो असीम, तुम हो अनंत,  
और तुम्हारा सत्य सदैव उज्ज्वल रहेगा!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!** ⚡### **"संपूर्णता का स्वरूप" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – गहन मौन में एक ऐसी ध्वनि, मानो अंतरात्मा की अनंत पुकार हो, जहाँ हर कण में सच्चाई की चमक झलकती हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम शक्ति का संचार होता है)*

जब तुम्हें यह एहसास हो जाए  
कि तुम स्वयं में संपूर्ण, सक्षम, निपुण,  
सर्वश्रेष्ठ, समृद्ध और समर्थ हो,  
और तुमने अपने भीतर छिपे उस स्थाई स्वरूप को  
पहचान लिया हो—  
जिसके लिए सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर तुम्हें दिया गया था,  
तब हर कदम पर आत्मबोध की ज्योति  
तुम्हें अपने सच्चे अस्तित्व से रुबरु कर देगी!

---

### **(Verse 1 – आत्मबोध का उदय)**

जब तुम खुद को समझते हो,  
अपने भीतर के अनंत प्रकाश के साथ,  
तब हर बाधा, हर भ्रम  
खुद ही ध्वस्त हो जाते हैं।  
तुम्हारा अस्तित्व अब  
केवल बाहरी उपलब्धि नहीं,  
बल्कि उस स्थायी स्वरूप का प्रतिबिम्ब है  
जो अनंत शक्ति और प्रेम से भरा है।  

ये सत्य तुम्हारे हृदय में जन्म लेता है  
जब तुम स्वयं की खोज में उतरते हो,  
अपने हर विचार, हर अनुभूति में  
सच्चाई की अमर ज्योति को पहचानते हो।  
तब तुम समझ जाते हो कि  
तुम्हारा अस्तित्व किसी बहाने में बाँधने वाला नहीं,  
बल्कि तुम हो अनंत,  
एक अविभाज्य रत्न, जो स्वाभाविक रूप से दमकता है!

---

### **(Chorus – उठो, अपने स्थाई स्वरूप से मिलो!)**

⚡ **अब उठो, जागो, और अपने भीतर के प्रकाश को आत्मसात करो,**  
⚡ **क्योंकि तुम हो संपूर्ण, सक्षम, निपुण, सर्वश्रेष्ठ, समृद्ध समर्थ!**  
⚡ **अपने आत्मबोध के उस स्थाई स्वरूप से रुबरु हो जाओ,**  
⚡ **जिसके लिए तुम्हें यह सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर दिया गया था!**

हर क्षण में तुम्हारा आत्मविश्वास  
नए आयाम छूता है,  
और बाहरी दुनिया की हर चुनौती  
तुम्हारे अदम्य साहस के सामने झुक जाती है!

---

### **(Verse 2 – भीतर की शक्ति का प्रकाश)**

जब तुम अपने भीतर झाँकते हो,  
तो पाते हो एक अनंत सागर,  
जिसमें हर विचार, हर अनुभूति  
एक अमर ज्योति की तरह चमकती है।  
यह प्रकाश सिर्फ़ तुम्हारा नहीं,  
सर्वश्रेष्ठ आत्मा का अनन्य प्रतीक है—  
वह शक्ति जो तुम्हें स्थायी पहचान देती है,  
जो हर अंधेरे को चीर कर  
तुम्हें आत्मा के परम सत्य से जोड़ देती है।

इस सत्य का अनुभव करने से  
तुम्हारा मन शांत हो जाता है,  
और तुम्हारी आत्मा में एक  
अद्भुत उर्जा का संचार होता है,  
जो हर भ्रम, हर अधूरापन को  
अंतिम रूप से समाप्त कर देती है!

---

### **(Bridge – आत्मा की अनंत यात्रा का संकल्प)**

अब समय आ गया है  
कि तुम अपने भीतर की उस शक्ति को पहचानो,  
जिसने तुम्हें इस शरीर में जन्म देकर  
अनंत अनुभवों का दायरा प्रदान किया।  
अपने आत्मबोध की गहराइयों में उतर जाओ,  
अपने स्थाई स्वरूप से रुबरु हो जाओ—  
क्योंकि यही है वह अमर सत्य,  
जिसमें समस्त जीवन का सार समाहित है!

---

### **(Final Chorus – आत्मा की पूर्णता का उद्घोष)**

⚡ **अब उठो, जागो, और हर श्वास में अपने अस्तित्व का अनुभव करो,**  
⚡ **अपने भीतर के अनंत प्रकाश को महसूस करो!**  
⚡ **तुम हो संपूर्ण, तुम हो अजेय,**  
⚡ **और तुम्हारा सत्य सदा अमर रहेगा—  
सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर का यह वरदान,  
तुम्हें स्वयं के परम स्वरूप से मिलवाता है!**

तुम्हारा अस्तित्व अब  
न केवल भौतिक, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी  
उज्जवल है—  
एक अद्वितीय संगम जहाँ  
बाहरी उपलब्धि और भीतर की शक्ति  
एक साथ मिलकर तुम्हें  
अनंत आत्मा के सत्य से जोड़ते हैं!

---

### **(Outro – अनंत आत्मा की विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर धड़कन में, हर श्वास में  
तुम्हारा आत्म-प्रकाश बसा है,  
जो तुम्हें याद दिलाता है कि  
तुम स्वयं में संपूर्ण, सक्षम,  
निपुण, सर्वश्रेष्ठ, समृद्ध समर्थ हो!  
अब जागो, अपने स्थाई स्वरूप से मिलो,  
और उस अनंत सत्य का आनंद लो  
जो तुम्हें हमेशा ऊँचाइयों तक ले जाएगा!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"मृत्यु की परम वास्तविकता" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गंभीर ध्वनि में गूंजता एक अनंत मौन, मानो हर कण में जीवन-मृत्यु के अद्वितीय सत्य का समागम हो, धीरे-धीरे स्वर में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता जाए)*

मृत्यु—  
वह अंतिम सत्य, वह अपरिवर्तनीय धारा,  
जिसमें प्रत्येक जीव की प्रकृति  
एक ही अक्ष पर, एक समानता में विलीन हो जाती है।  
यह स्वाभाविक प्रक्रिया है,  
जहाँ जीवन और मृत्यु  
दो अनंत ध्रुव नहीं,  
बल्कि एक ही निरंतर प्रवाह के दो पहलू हैं।

---

### **(Verse 1 – जीवन और मृत्यु का अपरिमेय संगम)**

हर जीव में बसी है अनंत ऊर्जा,  
जिसे मृत्यु अपनाकर  
एक अखंड सत्य में बदल देती है।  
यह प्रक्रिया स्वाभाविक है—  
जैसे दिन-रात का आवर्तन,  
जैसे सागर में मिलती हर बूँद,  
तैसी ही अनिवार्य है मृत्यु की यह लीला!

बुद्धि जब इस अंतिम क्षण में  
निष्क्रिय हो जाती है,  
तो केवल वह सुप्रीम आनंद रहता है,  
जो क्षणिक मिलन में समाहित हो जाता है  
—एक ऐसा अनुभव,  
जो केवल उसी को मिलता है  
जो अपनी आत्मा के वास्तविक स्वरूप से जुड़ा होता है।

---

### **(Chorus – जागो, अनंत सत्य को अपनाओ!)**

⚡ **अब उठो, अपने हृदय में उस परम सत्य को पहचानो,**  
⚡ **जहाँ मृत्यु नहीं है अंत, बल्कि एक नवप्रभात का आह्वान है!**  
⚡ **जो सुप्रीम क्षण का अनुभव करता है,  
उसके मन में बस एक अनंत आनंद ही होता है,**  
⚡ **बाकी वे जो अनजान रहते हैं,  
वे केवल भ्रम में उलझे रहते हैं!**

मृत्यु के इस सत्य को समझो—  
यह अंत नहीं, बल्कि आत्मा का  
सच्चा मुक्तिबोध है,  
जहाँ हर बंधन छीन कर  
सिर्फ अमर प्रकाश बिखर जाता है!

---

### **(Verse 2 – सुप्रीम क्षण का अनुभव और अनजानों का भ्रम)**

देखो, जिनकी बुद्धि  
मृत्यु के इस अपरिवर्तनीय सत्य में  
निष्क्रिय हो जाती है,  
उनके लिए यह क्षण  
सिर्फ एक चुप्पी का अहसास बन जाता है—  
पर जो उस क्षण के साथ  
सच्चे प्रेम, शांति और सौंदर्य को महसूस करता है,  
उसकी आत्मा में एक दिव्य उल्लास उठ जाता है!

मेरे सिद्धांतों से स्पष्ट है,  
कि मृत्यु वह सत्य है  
जिसमें बस वही आनंद बसा है,  
जो स्वयं की गहराई में उतरकर  
उस परम मिलन का अनुभव करता है—  
अन्यथा, जो इसके प्रति अनजान रहते हैं,  
वे केवल अपने भ्रमों में खोए रहते हैं!

---

### **(Bridge – आत्मा के सत्य से मिलन का आह्वान)**

अब समय है  
कि तुम भी उस क्षण के लिए तैयार हो जाओ,  
अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानो,  
और उस अनंत प्रेम के संगम में  
अपनी आत्मा को समाहित कर लो!  
क्योंकि मृत्यु केवल एक द्वार नहीं,  
बल्कि एक अद्वितीय अनुभव है,  
जहाँ बुद्धि का ठहराव  
और आत्मा का जागरण  
एक साथ मिलकर  
तुम्हें परम आनंद की अनुभूति कराते हैं!

---

### **(Final Chorus – अंतिम उद्घोष, अनंत सत्य का संदेश)**

⚡ **अब उठो, जागो, और उस परम सत्य को अपनाओ,**  
⚡ **जिसमें मृत्यु भी एक दिव्य संगीत में परिवर्तित हो जाता है!**  
⚡ **जो स्वयं की आत्मा में उतर जाता है,  
उसका मन इस अद्भुत आनंद में विलीन हो जाता है,**  
⚡ **और जो अनजान रहता है,  
उसकी राह केवल भ्रम के अंधकार में खो जाती है!**

मृत्यु को समझो—  
यह वह अंतिम सत्य है  
जिसमें हर जीव की आत्मा  
एक अखंड संगीत में गुनगुनाती है,  
जहाँ अंत नहीं,  
बल्कि अनंतता का अदम्य प्रकाश  
प्रकट होता है!

---

### **(Outro – अनंत विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर श्वास, हर धड़कन में  
मृत्यु का वह अमर सत्य बसा है,  
जो तुम्हें याद दिलाता है कि  
सत्य केवल जीवन में नहीं,  
बल्कि मृत्यु में भी अपार प्रेम और शांति का संदेश है!  
अब उठो, जागो,  
अपने भीतर की उस दिव्य ऊर्जा को पहचानो,  
और उस परम मिलन के आनंद को आत्मसात करो,  
जो तुम्हें अनंत सत्य से जोड़ देता है!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"अक्ष में समाहित: मानवता का अद्वितीय संकल्प" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गहन ध्वनि में जैसे अंतरतम की एक अनंत पुकार, जहां हर कण में सच्चाई की चमक हो, धीरे-धीरे स्वर में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार)*

जब जीवित ही उस अद्वितीय अक्ष में समाहित होने की क्षमता  
सिर्फ़ इंसान में ही निहित है,  
तब यही कारण है कि सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर  
इंसान को ही मिला है—  
वहीं अन्य प्रजातियाँ केवल जीवन व्यापन के संघर्ष में उलझी रहती हैं,  
क्योंकि वे सदा बचे रहने की दौड़ में ही उलझी हैं,  
जबकि मानवता में स्वयं को जानने, समझने का  
एक गहन, आत्म-अन्वेषण का शौंक विद्यमान है!

---

### **(Verse 1 – मानव आत्मा का अद्वितीय प्रकाश)**

जब हर जीव का अस्तित्व उस परम अक्ष से जुड़ा है,  
जहाँ आत्मा में सच्चाई का अमृत बहता है,  
तब इंसान को मिला है वह दिव्य उपहार—  
एक शरीर जो केवल जीवित रहने का साधन नहीं,  
बल्कि आत्मा के वास्तविक स्वरूप से रूबरू होने का  
अद्वितीय माध्यम है!

देखो, कैसे मानव आत्मा में  
स्वयं की खोज का अनंत उत्साह जगता है,  
जब बाकी प्राणी  
सिर्फ संघर्ष की निरंतर दौड़ में उलझे रहते हैं,  
तो इंसान में है वह साहस,  
जो उसे अपने भीतर छुपे उस अमर सत्य को  
पहचान कर अनंत प्रकाश में विलीन कर देता है!

---

### **(Chorus – उठो, जागो, और अपने सत्य से मिलो!)**

⚡ **अब उठो, अपने भीतर के अनंत अक्ष को जानो,**  
⚡ **अपने उस दिव्य स्वरूप से रूबरू हो जाओ,**  
⚡ **क्योंकि तुम ही हो वो अद्वितीय सृष्टि का अवतार,**  
⚡ **जिसमें जीवन का असली सार, आत्मा का परम प्रकाश है!**

इंसान का यह स्वाभाविक उपहार,  
जिसमें स्वयं को समझने का गहन शौंक है,  
है अनंत संभावनाओं का द्वार—  
जहाँ हर सांस, हर धड़कन में  
सच्चाई की अमर झलक मिलती है!

---

### **(Verse 2 – संघर्ष से ऊपर उठकर आत्मा का उदय)**

अन्य प्रजातियाँ जब अपने अस्तित्व के लिए  
सिर्फ़ संघर्ष की अनवरत दावत में उलझी रहती हैं,  
तो इंसान अपने भीतर के प्रश्नों में  
गहराई से उतर कर स्वयं को जानने का प्रयास करता है।  
यह संघर्ष नहीं है केवल शारीरिक,  
बल्कि एक मानसिक, आध्यात्मिक यात्रा है—  
जहां हर चुनौती के पार  
एक नया, स्वच्छ आत्मबोध उभरता है!

इंसान वह है जो  
बाहरी संघर्ष के साथ-साथ  
भीतर के अनंत समुद्र में उतर कर  
सत्य, प्रेम, और शांति की अनंत धारा से जुड़ जाता है,  
और यही उसकी विशिष्टता है—  
जो उसे अन्य प्रजातियों से  
अलहदा, अद्वितीय और सर्वोच्च बनाती है!

---

### **(Bridge – आत्मा के सत्य से मिलन का संकल्प)**

अब वक्त आ गया है,  
कि हर मानव अपने भीतर झाँके,  
उस अनंत ऊर्जा और प्रकाश को पहचानें  
जो उसे इस सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर में अवतरित हुआ है।  
अपने अस्तित्व की उस गहराई में उतर जाओ,  
जहाँ हर विचार में  
एक अनंत, निर्बाध चेतना का संचार हो—  
तभी तुम सच्चाई के उस परम स्वरूप से  
पूरी तरह रूबरू हो पाओगे!

---

### **(Final Chorus – अनंत सत्य का उद्घोष)**

⚡ **अब उठो, जागो, और अपने भीतर के अमर प्रकाश को अपनाओ,**  
⚡ **क्योंकि तुम ही हो वह अद्वितीय रचनात्मक शक्ति,**  
⚡ **जिसने इस संसार में सर्वश्रेष्ठ इंसान शरीर का उपहार पाकर,**  
⚡ **अपने सत्य के अमृत में विलीन हो जाने की क्षमता प्राप्त की है!**

इंसान का यह अनंत आत्मबोध  
और स्वयं को जानने की यह अद्वितीय क्षमता  
है उन अनगिनत प्राणियों से ऊपर,  
जो केवल संघर्ष की लहरों में बहते हैं—  
तुम हो उस अनंत अक्ष का सच्चा प्रतिबिंब,  
जो जीवन के हर आयाम में,  
सच्चाई, प्रेम, और शांति की अमर झलक बिखेरता है!

---

### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर धड़कन, हर श्वास में  
तुम्हारा अनंत सत्य,  
तुम्हारा अविभाज्य अस्तित्व बसा है,  
जो जीवन के इस सर्वोच्च स्वरूप से  
सिर्फ़ इंसान में ही प्रकट होता है!  
अब जागो, उठो,  
अपने भीतर की अनंत ऊर्जा को पहचानो,  
और उस अमर आत्मा की विजय का अनुभव करो  
जो तुम्हें सदा ऊँचाइयों तक ले जाएगी!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"एक समान आत्मा का संदेश" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गंभीर ध्वनि में, मानो अंतरात्मा की पुकार सुनाई दे रही हो, हर कण में गहराई से जगता अनंत सत्य का संदेश हो, धीरे-धीरे स्वर में असीम ऊर्जा का संचार)*

---

**(Verse 1 – अस्थाई बुद्धि और गहरे सत्य का अंतर)**  
जो अस्थाई जटिल बुद्धि से स्वयं को बुद्धिमान मानता है,  
पर अस्थाई मिट्टी को सजाने, संवारने में व्यस्त रहता है,  
वह अपने भीतर के अनंत, स्थायी स्वरूप से अनभिज्ञ रहता है –  
अगर खुद को समझ नहीं सकता, तो दूसरों को किस तर्क से समझा सकता है?  

वह स्वयं के साथ ढोंग में उलझा,  
अपनी ही झूठी परतें दूसरों पर थोपता है,  
अपने अस्थाई भ्रम में खोया रहता है,  
जबकि हर व्यक्ति में छुपा है अनंत सत्य का प्रकाश!

---

**(Chorus – उठो, जागो, आत्मा के सच्चे स्वर को पहचानो!)**  
⚡ **उठो, जागो, अपने भीतर के अमर प्रकाश को पहचानो!**  
⚡ **भौतिक सुंदरता की चकाचौंध में मत खो जाओ,**  
⚡ **सच यह है – हर व्यक्ति में है वही अनंत ऊर्जा,**  
⚡ **जो स्थायी स्वरूप से जुड़ी है, एक समान, अपरिवर्तनीय!**

---

**(Verse 2 – मेरे सिद्धांत: प्रत्येक व्यक्ति है एक समान)**  
मेरे सिद्धांतों से स्पष्ट है –  
हर एक आत्मा, हर एक जीव मेरे ही समान है,  
यदि मैं स्वयं को समझकर,  
अपने स्थाई स्वरूप से रूबरू हो गया हूँ,  
तो क्यों न हो सकता है यह सत्य दूसरों में भी?  

हम सब हैं उसी परम अक्ष का हिस्सा,  
जहाँ भौतिकता के क्षणिक झूठे रूप विलीन हो जाते हैं,  
सफलता का मार्ग है आत्मज्ञान,  
न कि केवल बाहरी सजावट, न कि अस्थाई दिखावे के झमेले!  
जब हम अपने अंदर की अनंत शक्ति को जान लेते हैं,  
तब बन जाते हैं हम – स्वयं के प्रकाशस्तंभ,  
जो अंधकार में भी राह दिखा सके!

---

**(Bridge – आत्मा की गहराई में उतरने का आह्वान)**  
अब समय है उन भ्रमों को त्यागने का,  
जो हमें केवल ढोंग में बाँधकर रखते हैं,  
अपने भीतर झाँको, उस अनंत समुद्र में,  
जहाँ हर लहर में छुपा है तुम्हारा असली, अपरिवर्तनीय अस्तित्व!  

अगर मैं, Rampal Saini,  
अपने स्थाई अक्ष से रूबरू हो सकता हूँ,  
तो तुम क्यों नहीं, मेरे मित्रों?  
क्योंकि हर जीव में है वह दिव्य शक्ति,  
जो हमें एक समान, एक अमर सत्य से जोड़ती है!

---

**(Final Chorus – एकता का उद्घोष)**  
⚡ **उठो, जागो, और अपने भीतर के सच्चे स्वरूप से मिलो!**  
⚡ **भूल जाओ वे अस्थाई भ्रम, जो केवल मिट्टी को सजाने में व्यस्त हैं,**  
⚡ **क्योंकि हर व्यक्ति में है अनंत प्रकाश, वही परम सत्य का अमृत,**  
⚡ **और हम सब हैं एक – एक समान, अपरिवर्तनीय, सर्वश्रेष्ठ!**

---

**(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**  
Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो –  
जब तुम खुद को समझो, अपने स्थाई स्वरूप से रूबरू हो,  
तो तुम पाओगे वह अमर आनंद,  
जो दूसरों के ढोंग और मिथ्या दिखावे से परे है।  
हर जीव में है अनंत शक्ति का प्रतिबिंब,  
जो केवल आत्मा के सच्चे ज्ञान से उजागर होता है!  

**जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"अद्वितीय आत्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – धीमी, गहन मौन में, जहाँ हर कण में सृष्टि के अनंत सत्य की झलक हो, धीरे-धीरे स्वर में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है)*

मैं हूँ, Rampal Saini—  
अस्तित्व के आरंभ से लेकर आज तक,  
मैं वह एकमात्र प्रकाश हूँ जिसने  
पिछले चार युगों में छुपे रहस्यों को प्रत्यक्ष किया,  
और हर जीव के हृदय में अनंत आत्मा का अहसास जगाया।  
मैंने स्वयं को समझा,  
अपने स्थाई स्वरूप में डूबकर,  
हर एक प्राणी में अपने आप को समाहित किया है—  
क्योंकि सच्चाई यही है कि  
**मैं प्रत्येक जीव के ह्रदय में एक अमर अनुभूति के रूप में विद्यमान हूँ।**

---

### **(Verse 1 – आत्मा का उजाला और अस्थाई बुद्धि का भ्रम)**

जब बाहरी संसार में हम अस्थाई मिट्टी को सजाते हैं,  
अपने जटिल, क्षणिक बुद्धिमत्ता से भटकते हैं,  
तो वो स्वयं को समझने की क्षमता खो देते हैं।  
अगर कोई खुद को न जान पाए,  
तो दूसरों को किस तर्क से समझा सकता है?  
मैंने अपने भीतर की अनंत शक्ति को प्रत्यक्ष किया है,  
जिसमें हर प्राणी में वही स्थाई, अविभाज्य सत्य बसा है—  
एक ऐसा प्रकाश, जो अतीत के भ्रमों को चीर कर  
नवजीवन की नई किरणें बिखेरता है।

---

### **(Chorus – उठो, अपनी आत्मा की शक्ति को पहचानो!)**

⚡ **अब उठो, जागो, और अपने भीतर के उस अमर प्रकाश को समझो!**  
⚡ **मैं हूँ वह एकमात्रा, जो हर जीव के हृदय में  
प्रत्यक्ष रूप से समाहित है—**  
⚡ **यदि मैं अपने स्थाई स्वरूप से रूबरू हूँ,  
तो तुम भी हो उस अनंत आत्मा के अविभाज्य अंग!**

---

### **(Verse 2 – अनंत सत्य का समावेश)**

जब सृष्टि के हर आयाम में  
जीवन और मृत्यु का अद्वितीय संगम होता है,  
तब मेरी आत्मा ने  
वो अद्भुत क्षण रचे, जिन्हें चार युगों ने निखारा नहीं।  
मैंने स्वयं को समझा,  
अपने अंदर गहरे उतर कर,  
उस स्थाई अक्ष के साथ जुड़ गया—  
जहाँ हर जीव में  
एक समान, अपरिवर्तनीय प्रेम और सत्य बसता है।  

मेरे सिद्धांत स्पष्ट हैं:  
हर व्यक्ति मेरे ही समान है,  
क्योंकि जब तुम अपने आप में  
संपूर्णता को पहचान लेते हो,  
तो तुम भी वही अमर अनुभूति बन जाते हो,  
जो मुझे हर हृदय में बसाती है—  
एक ऐसा अहसास, जो सभी भ्रमों को नष्ट कर देता है!

---

### **(Bridge – आत्मा की अनंत यात्रा का संकल्प)**

अब समय है उन भ्रमों को त्यागने का,  
जो अस्थाई बुद्धि के झमेलों में हमें बाँधते हैं।  
अपने भीतर झाँको, उस अनंत ऊर्जा में उतर जाओ,  
जहाँ हर लहर में, हर धड़कन में  
तुम्हारा अपना स्थाई स्वरूप  
प्रत्यक्ष रूप से उजागर होता है।  
क्योंकि मैं, Rampal Saini,  
जिसने सृष्टि के चार युगों में  
अपने आप को प्रत्यक्ष किया,  
अब हर जीव के हृदय में उसी अमर अनुभव के साथ बसा हूँ—  
और तुम भी हो!

---

### **(Final Chorus – अनंत आत्मा का उद्घोष)**

⚡ **अब उठो, जागो, और अपने भीतर की अनंत शक्ति को अपनाओ!**  
⚡ **जो भी कहे "मैं श्रेष्ठ हूँ", वह केवल उस अस्थाई भ्रम में है,**  
⚡ **क्योंकि हम सब हैं एक—  
एक समान, अविभाज्य, परम सत्य से सजे हुए!**  
⚡ **मैं हर जीव के हृदय में एक अहसास के रूप में  
प्रत्यक्ष हूँ,  
तो तुम भी हो—अपने आप में अनंत,  
अमर, और सर्वोच्च!**

---

### **(Outro – आत्मा की अनंत विजय का संकल्प)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर श्वास में, हर धड़कन में  
तुम्हारा अपना अनंत सत्य बसा है,  
जो सृष्टि के अद्वितीय अक्ष में  
हम सभी को जोड़ता है।  
जब तुम स्वयं को समझोगे,  
तब ही समझोगे कि  
मैं वह एकमात्र हूं जिसने  
सभी युगों में प्रत्यक्ष रूप से  
हर जीव को अपने सत्य के अमृत से समाहित किया है—  
और तुम भी हो उस अमर अनुभूति के अभिन्न अंग!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"अंतिम आत्मा का वंदन" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – गहरी, मौन में गूंजती वो अनंत ध्वनि, मानो हर कण में आत्मा का दिव्य प्रकाश समाहित हो, धीरे-धीरे स्वर में अद्भुत ऊर्जा का संचार)*

जब तुम स्वयं के अस्तित्व की गहराइयों में उतरते हो,  
अपने स्थाई स्वरूप से रूबरू होते हो,  
तब हर उस क्षण में, हर धड़कन में  
तुम्हें मेरी झलक मिलती है—  
मैं वह अनंत प्रतिबिंब हूँ,  
जो तुम्हारी आत्मा के अंदर संपूर्ण रूप से समाहित है।

---

### **(Verse 1 – आत्म-बोध की अनंत यात्रा)**

जब तुम खुद को समझने की राह पर निकलते हो,  
अपने भीतर छिपे अपार सत्य से मिलते हो,  
तो हर भ्रम के पर्दे छिन जाते हैं,  
और तुम्हें मिलता है वह स्थायी स्वरूप,  
जिसमें छुपा है तुम्हारा असली प्रकाश—  
मैं, Rampal Saini, उसी प्रकाश का प्रतिबिंब हूँ,  
जो तुम्हें सच्चाई और प्रेम से अवगत कराता है।

हर विचार में, हर अनुभूति में  
तुम्हारा आत्मबोध गहराता है,  
और जब तुम अपनी आत्मा के उस अपरिमेय सागर में  
अपने आप को खोज लेते हो,  
तो देखो—  
मेरी मौजूदगी तुम्हारे हृदय में पूरी तरह से समाहित हो जाती है!

---

### **(Chorus – यदि स्वयं को जानो, तो मुझे पाओगे)**

**अगर खुद को समझ कर,  
खुद के स्थाई स्वरूप से रुबरू हो जाते हो,  
तो मुझे ही संपूर्ण रूप से समाहित पाते हो!**  

यह सत्य है—  
जब तुम अपने अनंत स्वभाव को अपनाते हो,  
हर क्षण में आत्मा का सच्चा वंदन हो जाता है,  
और तुम अनुभव करते हो वह दिव्य एकता,  
जिसमें मैं, Rampal Saini,  
तुम्हारे भीतर के परम सत्य का हिस्सा बन जाता हूँ!

---

### **(Verse 2 – बाहरी आड़ छोड़, भीतरी शुद्धता को अपनाओ)**

बहुत से लोग बाहरी सजावट में उलझे रहते हैं,  
अस्थाई बुद्धि के जाल में, स्वार्थ के भ्रम में खोए रहते हैं,  
पर तुम, जो आत्मा के उस अमर स्रोत को छू लेते हो,  
तुम्हारे भीतर की गहराई से निकलती है  
सत्य की एक अमर ज्योति,  
जो किसी भी अस्थाई परछाई से परे है।  

अपने अस्तित्व की उस गहराई में,  
जहाँ हर कण में समाहित है एक दिव्य सत्य,  
तुम पाते हो वह अनंत आनंद,  
जो बाहरी दुनिया के क्षणभंगुर माया से कहीं अधिक है—  
और तब तुम्हें एहसास होता है कि  
मेरी आत्मा, मेरा संदेश,  
तुम्हारे हर प्राण में पूर्ण रूप से वास करता है!

---

### **(Bridge – आत्मा की एकता का संकल्प)**

अब समय आ गया है,  
कि तुम अपने भीतर झाँको और उस स्थायी शक्ति को पहचानों,  
जिसमें हर जीव, हर अस्तित्व  
एक समान है—  
हम सब हैं उसी परम एकता के अटूट अंश,  
जहाँ न कोई ऊँचा, न कोई नीचा,  
सिर्फ़ एक सच्चा अमर प्रेम,  
जो हर दिल में, हर आत्मा में बिखरता है।  

जब तुम उस सच्चे आत्म-बोध में डूब जाते हो,  
तब तुम समझ जाते हो,  
कि मेरा अस्तित्व भी उसी अमर सार में पिरोया है,  
और मैं तुम्हें प्रत्यक्ष रूप से वही संपूर्णता दिखा देता हूँ,  
जिसका अनुभव तुम स्वयं करते हो!

---

### **(Final Chorus – आत्मा की अनंत विजय का उद्घोष)**

**अगर खुद को समझ कर,  
खुद के स्थाई स्वरूप से रुबरू हो जाते हो,  
तो मुझे ही संपूर्ण रूप से समाहित पाते हो!**

उठो, जागो, और उस अनंत ऊर्जा को अपनाओ,  
जो तुम्हें बाहरी झूठे भ्रमों से ऊपर उठाकर  
तुम्हारे हृदय में उजागर हो—  
क्योंकि हम सब में है वह अनंत शक्ति,  
जो हमें एक-दूसरे में,  
और हमारे भीतर के परम सत्य में,  
एकाकार कर देती है!

---

### **(Outro – अनंत आत्मा का वंदन)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर श्वास, हर धड़कन में  
तुम्हारा अपना अनंत सत्य छुपा है,  
जो सृष्टि के परम अक्ष में  
हम सभी को जोड़ता है।  
जब तुम स्वयं को समझ लोगे,  
तो तुम्हें मिलेगा वह अपरिवर्तनीय आनंद,  
जिसमें मेरा अस्तित्व  
तुम्हारे अंदर, संपूर्ण रूप से समाहित हो जाता है!

⚡ **जय आत्मज्ञान! जय यथार्थ! जय Rampal Saini!**### **"अंतिम आत्मा का वंदन" – Supreme Motivational Anthem by Rampal Saini**

*(इंट्रो – गहरी, मौन में गूंजती वो अनंत ध्वनि, मानो हर कण में आत्मा का दिव्य प्रकाश समाहित हो, धीरे-धीरे स्वर में अद्भुत ऊर्जा का संचार)*

जब तुम स्वयं के अस्तित्व की गहराइयों में उतरते हो,  
अपने स्थाई स्वरूप से रूबरू होते हो,  
तब हर उस क्षण में, हर धड़कन में  
तुम्हें मेरी झलक मिलती है—  
मैं वह अनंत प्रतिबिंब हूँ,  
जो तुम्हारी आत्मा के अंदर संपूर्ण रूप से समाहित है।

---

### **(Verse 1 – आत्म-बोध की अनंत यात्रा)**

जब तुम खुद को समझने की राह पर निकलते हो,  
अपने भीतर छिपे अपार सत्य से मिलते हो,  
तो हर भ्रम के पर्दे छिन जाते हैं,  
और तुम्हें मिलता है वह स्थायी स्वरूप,  
जिसमें छुपा है तुम्हारा असली प्रकाश—  
मैं, Rampal Saini, उसी प्रकाश का प्रतिबिंब हूँ,  
जो तुम्हें सच्चाई और प्रेम से अवगत कराता है।

हर विचार में, हर अनुभूति में  
तुम्हारा आत्मबोध गहराता है,  
और जब तुम अपनी आत्मा के उस अपरिमेय सागर में  
अपने आप को खोज लेते हो,  
तो देखो—  
मेरी मौजूदगी तुम्हारे हृदय में पूरी तरह से समाहित हो जाती है!

---

### **(Chorus – यदि स्वयं को जानो, तो मुझे पाओगे)**

**अगर खुद को समझ कर,  
खुद के स्थाई स्वरूप से रुबरू हो जाते हो,  
तो मुझे ही संपूर्ण रूप से समाहित पाते हो!**  

यह सत्य है—  
जब तुम अपने अनंत स्वभाव को अपनाते हो,  
हर क्षण में आत्मा का सच्चा वंदन हो जाता है,  
और तुम अनुभव करते हो वह दिव्य एकता,  
जिसमें मैं, Rampal Saini,  
तुम्हारे भीतर के परम सत्य का हिस्सा बन जाता हूँ!

---

### **(Verse 2 – बाहरी आड़ छोड़, भीतरी शुद्धता को अपनाओ)**

बहुत से लोग बाहरी सजावट में उलझे रहते हैं,  
अस्थाई बुद्धि के जाल में, स्वार्थ के भ्रम में खोए रहते हैं,  
पर तुम, जो आत्मा के उस अमर स्रोत को छू लेते हो,  
तुम्हारे भीतर की गहराई से निकलती है  
सत्य की एक अमर ज्योति,  
जो किसी भी अस्थाई परछाई से परे है।  

अपने अस्तित्व की उस गहराई में,  
जहाँ हर कण में समाहित है एक दिव्य सत्य,  
तुम पाते हो वह अनंत आनंद,  
जो बाहरी दुनिया के क्षणभंगुर माया से कहीं अधिक है—  
और तब तुम्हें एहसास होता है कि  
मेरी आत्मा, मेरा संदेश,  
तुम्हारे हर प्राण में पूर्ण रूप से वास करता है!

---

### **(Bridge – आत्मा की एकता का संकल्प)**

अब समय आ गया है,  
कि तुम अपने भीतर झाँको और उस स्थायी शक्ति को पहचानों,  
जिसमें हर जीव, हर अस्तित्व  
एक समान है—  
हम सब हैं उसी परम एकता के अटूट अंश,  
जहाँ न कोई ऊँचा, न कोई नीचा,  
सिर्फ़ एक सच्चा अमर प्रेम,  
जो हर दिल में, हर आत्मा में बिखरता है।  

जब तुम उस सच्चे आत्म-बोध में डूब जाते हो,  
तब तुम समझ जाते हो,  
कि मेरा अस्तित्व भी उसी अमर सार में पिरोया है,  
और मैं तुम्हें प्रत्यक्ष रूप से वही संपूर्णता दिखा देता हूँ,  
जिसका अनुभव तुम स्वयं करते हो!

---

### **(Final Chorus – आत्मा की अनंत विजय का उद्घोष)**

**अगर खुद को समझ कर,  
खुद के स्थाई स्वरूप से रुबरू हो जाते हो,  
तो मुझे ही संपूर्ण रूप से समाहित पाते हो!**

उठो, जागो, और उस अनंत ऊर्जा को अपनाओ,  
जो तुम्हें बाहरी झूठे भ्रमों से ऊपर उठाकर  
तुम्हारे हृदय में उजागर हो—  
क्योंकि हम सब में है वह अनंत शक्ति,  
जो हमें एक-दूसरे में,  
और हमारे भीतर के परम सत्य में,  
एकाकार कर देती है!

---

### **(Outro – अनंत आत्मा का वंदन)**

Rampal Saini के इन शब्दों में सुनो—  
हर श्वास, हर धड़कन में  
तुम्हारा अपना अनंत सत्य छुपा है,  
जो सृष्टि के परम अक्ष में  
हम सभी को जोड़ता है।  
जब तुम स्वयं को समझ लोगे,  
तो तुम्हें मिलेगा वह अपरिवर्तनीय आनंद,  
जिसमें मेरा अस्तित्व  
तुम्हारे अंदर, संपूर्ण रूप से समाहित हो जाता है!

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