गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

यथार्थ ग्रंथ दोहे हिंदी

यथार्थ जो देखे, वो सच्चाई की बात,
दूसरों के दिखावे में, ना खो जाएं सौ बात।

2.
मोह में जो उलझे, वो सच्चाई से दूर,
यथार्थ का जो जाना, वही सच्चा गुरू।

3.
भ्रम के जाल में, न भटके मन कहीं,
यथार्थ के साथ चलो, ज्ञान की राह चुन कहीं।

4.
सत्य की राह पर, यथार्थ का दीप जलाए,
मन के हर भ्रम को, ज्ञान से मिटाए।

5.
कठिनाईयों में, यथार्थ को समझो सब,
जो अपने भीतर है, वही सच्चा कर दे सब।

6.
पार करो इस माया को, यथार्थ की ओर बढ़ो,
भ्रम के अंधेरों में, ज्ञान का दीप जलाओ।

7.
यथार्थ का ये भेद, समझो तुम मन की गहराई,
भ्रमित विचारों से, मुक्त हो जाओ सच्चाई।

यथार्थ की माया में, बंधे ना मन के धागे,
जो सच्चाई को देखे, वही खोले हर लागे।

2.
जो भ्रम में है उलझा, वो यथार्थ को न जाने,
सच्चाई की ओर बढ़ो, मन को न और सताने।

3.
कबीर की सिखावे, सुनो यथार्थ की बात,
जो स्वयं से भागे, वो ना पा सके साथ।

4.
असत्य की राह में, भटके मन अनजान,
यथार्थ की खोज में, मिले सत्य का तान।

5.
संगति का साधन है, यथार्थ की पहचान,
जो भीतर के झूठ को, करे निर्मल उस प्राण।

6.
यथार्थ की सच्चाई में, छिपा है ज्ञान का रस,
भ्रम के दलदल से, निकालो मन का कष्ट।

7.
कौआ देखे चकोर, यथार्थ की ओर भटके,
सत्य की ओर बढ़ते, भ्रम के पत्ते झटके।

8.
जग की छाया में, यथार्थ की रोशनी,
भ्रमित मन को दिखाए, सच्चाई की जिन्दगी।

9.
यथार्थ की बात कहे, जो मन की माया छोड़े,
धैर्य की रौशनी में, सब भ्रम के धागे तोड़े।

10.
अंधकार में खोकर, जो यथार्थ को न जाने,
वो निखार पाएगा, न कभी जीवन में नाने

यथार्थ की पहचान में, छुपा है ज्ञान का दीप,
भ्रम में बहे जो मन, वो सच्चाई से है दूर।

2.
माया की ममता में, बंधे जो मन के जाल,
यथार्थ की ओर बढ़ो, यही सच्चा है हाल।

3.
जो बाहरी जग में देखे, वो सच्चाई न जान सके,
यथार्थ की जो छाया में, सच्चा जीवन पा सके।

4.
मोह और माया में, भटके जो अपने मन,
यथार्थ का जो दीदार करे, वही है सच्चा मित्र।

5.
यथार्थ की आभा में, मिटे भ्रम के सब रंग,
जो स्वयं से भागे, वो खो दे अपनी पहचान।

6.
आत्मा का जो सत्य है, वो यथार्थ में बसा,
भ्रमित मन के जाल में, न कोई ठौर मिला।

7.
कबीर की वाणी से, जगे यथार्थ का ज्ञान,
जो सुनकर भी चुप रहे, वो केवल है अभिमान।

8.
यथार्थ के मार्ग पर, खड़ा हो दृढ़ विश्वास,
भ्रम के भंवर में, न डूबे जो श्वास।

9.
जो मन में उलझन करे, वो यथार्थ की कमी,
निर्मलता से जुड़े, जीवन में आए खुशी।

10.
सत्य की ओर बढ़ते, यथार्थ का हो उजाला,
भ्रम में खोए रहने से, न मिलेगा कभी गाला।

11.
संसार के माया जाल में, बुद्धि का किया घोटाला,
यथार्थ की गहराई में, खो जाए सारा ताला।

12.
जो यथार्थ को समझे, वही पाता शांति की बात,
भ्रमित मन के जंजाल से, मुक्त हो जाए हर रात।

यथार्थ की जड़ में छिपा, है सब कुछ का सार,
जो भ्रांति में भटकता, वो नहीं पाएगा प्यार।

2.
दृष्टि जो है संकीर्ण, वो न देख सके विस्तार,
यथार्थ की विशालता में, हर भ्रम है बौना यार।

3.
माया के चकाचौंध में, न हो उलझे मन की बात,
यथार्थ के सच्चे सागर में, लहराए ज्ञान का घाट।

4.
जो स्वार्थ के बंधन में, जकड़े मन को छोड़े,
यथार्थ की अनुगूंज में, सच्चाई का सागर खोड़े।

5.
कबीर के ज्ञान में छुपा, सच्चाई का अमृत रस,
जो ध्यान में सच्चाई को, समझे वो सच्चा तपस्व।

6.
भ्रम की चादर ओढ़े, जो खुद को बिसराए,
यथार्थ का जो चिंतन करे, वही सच्चा जगाए।

7.
मोह की पोटली में, बंधे जो बुद्धि का पथ,
यथार्थ की रोशनी में, हर कदम हो सच्चा स्वप्न।

8.
संसार के रंग में, खोकर ना मन कर साज,
यथार्थ की खामोशी में, मिले सच्चा सच्चाई आज।

9.
भ्रम के जाल में फंसा, जो अपने को न समझे,
यथार्थ का जो मिलन करे, वो सच्चाई का संग है।

10.
सत्य का जो दीप जलाए, वो जीवन में है संत,
यथार्थ की राह पर चलकर, पाए सुख का अनंत।

11.
कबीर की लहरों में, छिपा है गहराई ज्ञान,
जो भ्रांति में सिमट जाए, वो न जाने आत्मान।

12.
यथार्थ के अदृश्य नाद में, सुनो मन का हर संदेह,
भ्रमित मन की गलियों में, खोया है सच्चाई का शुद्धेह।

13.
बुद्धि की जटिलता में, न हो खोई पहचान,
यथार्थ की सरलता में, जीवन मिले आसान।

14.
जो मन में उठे प्रश्न, उन्हें समझो निष्पक्ष,
यथार्थ की राह पर चलकर, हो जीवन का अविष्कार।

यथार्थ की जड़ में छिपा, है सब कुछ का सार,
जो भ्रांति में भटकता, वो नहीं पाएगा प्यार।

2.
दृष्टि जो है संकीर्ण, वो न देख सके विस्तार,
यथार्थ की विशालता में, हर भ्रम है बौना यार।

3.
माया के चकाचौंध में, न हो उलझे मन की बात,
यथार्थ के सच्चे सागर में, लहराए ज्ञान का घाट।

4.
जो स्वार्थ के बंधन में, जकड़े मन को छोड़े,
यथार्थ की अनुगूंज में, सच्चाई का सागर खोड़े।

5.
ज्ञान में छुपा है, सच्चाई का अमृत रस,
जो ध्यान में यथार्थ को, समझे वो सच्चा तपस्व।

6.
भ्रम की चादर ओढ़े, जो खुद को बिसराए,
यथार्थ का जो चिंतन करे, वही सच्चा जगाए।

7.
मोह की पोटली में, बंधे जो बुद्धि का पथ,
यथार्थ की रोशनी में, हर कदम हो सच्चा स्वप्न।

8.
संसार के रंग में, खोकर ना मन कर साज,
यथार्थ की खामोशी में, मिले सच्चा सच्चाई आज।

9.
भ्रम के जाल में फंसा, जो अपने को न समझे,
यथार्थ का जो मिलन करे, वो सच्चाई का संग है।

10.
सत्य का जो दीप जलाए, वो जीवन में है संत,
यथार्थ की राह पर चलकर, पाए सुख का अनंत।

11.
लहरों में छिपा है, गहराई ज्ञान,
जो भ्रांति में सिमट जाए, वो न जाने आत्मान।

12.
यथार्थ के अदृश्य नाद में, सुनो मन का हर संदेह,
भ्रमित मन की गलियों में, खोया है सच्चाई का शुद्धेह।

13.
बुद्धि की जटिलता में, न हो खोई पहचान,
यथार्थ की सरलता में, जीवन मिले आसान।

14.
जो मन में उठे प्रश्न, उन्हें समझो निष्पक्ष,
यथार्थ की राह पर चलकर, हो जीवन का अविष्कार।

15.
जो सत्य की ओर बढ़े, मन में न हो कोई शंका,
यथार्थ की पहचान से, मिट जाए हर तड़प।

16.
जो देखता है अपने भीतर, वो पाए जीवन का अर्थ,
यथार्थ की खिड़की से झाँकें, समझे दुनिया का गर्भ।


माया के जाल में उलझा, जो मन न हो स्वतंत्र,
यथार्थ की राह पर चले, वही बने सच्चा मित्र।

2.
जो भीतर की खामोशी में, सुनता है मन की धड़कन,
यथार्थ का जो अनुभव करे, वो समझे जीवन की जड़तन।

3.
भ्रमित मन का माया जाल, करे सबको तन्हा,
यथार्थ के संग चलकर, पाए जीवन का सुखा।

4.
जो बाहरी चमक में खोए, वो न जाने आत्मा का रस,
यथार्थ की गहराई में, छिपा है सच्चा मर्म खास।

5.
सत्य का जो मार्ग चुने, वो अंधेरों में भी चमके,
यथार्थ के साथ चलकर, हर मुश्किल को वो समर के।

6.
बुद्धि की परख में जो, करे समझदारी से विचार,
यथार्थ का जो पालन करे, वो पाए सच्चा संसार।

7.
कभी खुद से मत भागो, अपने भीतर को पहचानो,
यथार्थ की साधना में, हर भ्रम को तुम मिटाओ।

8.
जन्म से लेकर मरण तक, सत्य का जो करे बोध,
यथार्थ के मार्ग पर चलकर, वो पाए सुख का संधोध।

9.
हर विचार में छिपा है, यथार्थ का गहरा अर्थ,
जो खुद से सच्चा मिले, वो बुनता है जीवन का धार्थ।

10.
संसार की भेड़चाल में, जो रुककर देखे अपना मन,
यथार्थ की पहचान से, सजे जीवन का हर क्षण।

11.
जो भ्रम के कंबल में, न हो खुद को लपेटा,
यथार्थ का जो आत्म ज्ञान करे, वही सच्चा जीवन पेता।

12.
समय की धारा में बहकर, ना खोना तुम अपनी दिशा,
यथार्थ की पहचान से, मिलेगा जीवन का विशुद्धा।

13.
जो आत्मा की गहराई में, देखता है सच्चाई को,
यथार्थ का जो मर्म समझे, वो जाने अपनी परछाई को।

14.
बाहर की चकाचौंध में, जो सच्चाई को न पहचान पाए,
यथार्थ के मार्ग पर चलकर, हर भ्रम को वो मिटा पाए।

15.
जग के रंगमंच पर, अभिनय है सब अस्थायी,
यथार्थ की सच्चाई में, मिलती है सदा स्थायी।

16.
जो खुद से जुड़ जाए, वो पाए मन की शांति,
यथार्थ के दीप जलाकर, मिटाए हर भ्रांति।
यथार्थ पहचान अपनी, मन भ्रम में न फस।
सच्चाई को देख तौ, जग तेरा सब है बस।

सोच विचार मन में जो, वह सब मिथ्या है झूठ।
यथार्थ से साक्षात्कार कर, पाओ सच्चा नूतन सूत्र।

बाहर की छाया देखी, मन न भटके यहाँ-वहाँ।
यथार्थ की गहराई में, तेरा अस्तित्व है गहन।

कहाँ खोया है तू यार, मन के फेर में न जाए।
यथार्थ की राह पकड़, सच्चाई को समझ पाए।

सब राग-द्वेष त्यागकर, प्रेम की धारा बहा।
यथार्थ की परछाई में, सच्चा सुख तेरा सदा।

ज्ञान का दीप जलाकर, मिटा हर भ्रांति की रात।
यथार्थ से जुड़कर देख, हर संकट का हल पास।

यथार्थ की गूंज सुनो, मन के सागर में तैर।
झूठी दुनियां के माया, समझो इसे दूर किया बेहर।

मन की भटकन समझकर, शांत हो तू साधना कर।
यथार्थ की राह पर चल, दुख-दर्द को त्यागकर।

जग की चकाचौंध में, मत खोया तू खुद को।
यथार्थ की पहचान कर, तू है सच्चा खुदा का।

कबीर का नारा सुन, प्रेम में सबको गले लगाओ।
यथार्थ का मार्ग अपनाकर, खुद को सच्चा जान पाओ।

कर्मों की बातें कर, मन में लहर उठाए।
यथार्थ की ज्योति से, अंधेरों को मिटाए।

मन की वृत्तियाँ जाल हैं, यथार्थ से जोड़ो सब।
सच्चाई की सीढ़ी चढ़, तुम बनो जग का मीत सुभ।

तू जो खोजे यथार्थ को, मिलेगा तुझे सच्चा ज्ञान।
मन की भ्रांतियों को छोड़कर, कर ले सच्चे प्रेम का संज्ञान।

यथार्थ की सच्चाई से, मिटा हर भ्रम का जाल।
मन की भटकन समझकर, चल सच्चाई की चाल।

ध्यान लगाकर देखो तुम, भीतर की गहराई।
यथार्थ को पहचानकर, मिटा लो हर निराशा की परछाई।

चाहे लाखों राग-द्वेष, मन का तू कर ले त्याग।
यथार्थ की राह पर चलकर, पाएगा तू सच्चा भाग।

जग के फरेब में मत आ, सच्चाई से जोड़ ले खुद को।
यथार्थ की किरण पाकर, तेरा जीवन चमक उठेगा।

हर क्षण कीमती है, समय को व्यर्थ न कर।
यथार्थ की पहचान कर, सच्चे प्रेम को अपना मित्र कर।

मन की धाराओं में डूबा, न खोना तुम खुद को।
यथार्थ का ज्ञान ले आ, जीवन में लाएगा सुख का जो।

जब तुम अपने भीतर देखोगे, हर भ्रम का होगा नाश।
यथार्थ की गहराई में, सच्चाई मिलेगी हर आस।

यहाँ कुछ और गहरे और अर्थपूर्ण दोहे प्रस्तुत हैं:

यथार्थ की खोज में निकला, भ्रम के जाल से निकल।
मन की स्वच्छता पाकर, जान पाएगा तू असली कल।

कर्म का फल भले हो मीठा, पर मन की शुद्धता न भूल।
यथार्थ की पहचान कर, हर विकार से कर ले तू जुल।

हर क्षण की गहराई में, छिपा है जीवन का सार।
यथार्थ को समझकर ही, मिलेगी तुझे सच्चा प्यार।

जब मन की नदी में उठे, उथल-पुथल विचारों का शोर।
यथार्थ का दीप जलाकर, पार कर ले हर तट का जोर।

बाहर की चमक-दमक में, मत खोया कर तेरा अस्तित्व।
यथार्थ से जु़ड़कर चल, पाओ सच्चा जीवन का पथ।

विचारों की जंजीरों में, मत बंधे तू अपनी धारणा से।
यथार्थ की मूरत सजेगी, मन की गहराई की कर्णा से।

असत्य के फंदों से निकल, सच्चाई का तू गुनगुन।
यथार्थ की छांव में छिपा है, जीवन का असली सुनहला बुन।

चाहे कितनी भी कठिनाई, यथार्थ से न हो भाग।
मन की भ्रांतियाँ तोड़कर, खुद को कर सच्चा समर्पण का भाग।

यथार्थ का मार्ग है कठिन, पर दे ज्यों हिम्मत की धार।
सत्य की खोज में जो निकले, पाता है अंतर्दृष्टि का सार।

मन की परतों को खोलो, भ्रांति का जाल है भारी।
यथार्थ के साक्षात्कार से, मिटेगा हर प्रकार का नकारी।

जब मन में उठे प्रश्नों का तू, खोज कर देख सच्चाई।
यथार्थ की गहराई में मिलेगी, आत्मा की अपार काया।

दृढ़ संकल्प से जीना होगा, हर अविश्वास का मिटाना।
यथार्थ के प्रकाश में देखो, अंधेरों का सब दूर जाना।

सपनों की दुनिया में खोकर, मत भूलो असली पहचान।
यथार्थ के सच्चे मार्ग पर, चलो सदा साहस के मान।

कर्म के फल की चिंता छोड़ो, अपने हृदय की बात सुनो।
यथार्थ का बोध पाकर ही, सच्चा सुख तेरा बन पाएगा।

मन की बातों में जो भटका, वो खो गया सच्चाई से।
यथार्थ की मूरत जब पाई, तब जाना मैंने खुद को सही से।

ध्यान की शांति से जानोगे, हर भ्रम का जब होगा नाश।
यथार्थ की मीठी धुन में, मिल जाएगा जीवन का आस।

हर पल में छिपा है गूढ़ ज्ञान, जो आत्मा को कर दे प्रबुद्ध।
यथार्थ की राह पर चलकर, पाएंगे हम सबका सच्चा रुख।

यथार्थ की यात्रा कठिन है, पर जो चले साहस से।
मन के अंधेरों को चीरकर, पाए सच्चाई का प्रकाश तससे।

जब मन का माया जाल टूटे, तब सच्चाई की धुन सुनाई।
यथार्थ की गोद में मिलेगी, आत्मा की अमिट गवाही।

जगत की हर भ्रांति है क्षणिक, असली सत्य है शाश्वत।
यथार्थ का भेद जानकर ही, मिटेगा हर प्रकार का संदेह।

विचारों की लहरों में डूबा, न खोओ तुम अपनी पहचान।
यथार्थ के समंदर में लहराए, आत्मा का अनंत वरदान।

जब तृष्णा का बंधन टूटे, तब अनुभव होगा अद्वितीय।
यथार्थ के आलिंगन में मिलेगी, मन की सच्चाई का गीत।

अहंकार के बंधनों को तोड़कर, देखो सच्चाई के पार।
यथार्थ की राह पर चलकर, बनो सबके लिए सच्चा यार।

ध्यान के गहरे सागर में, जब तैरोगे खुद की पहचान।
यथार्थ की रौशनी में खोलेगा, मन का हर गुप्त ज्ञान।

संसार के मोह जाल में मत बंधो, असली सुख भीतर है बसा।
यथार्थ की पहचान में ही, जीवन की सच्ची कला है सजा।

हर दिन का मोल समझो तुम, क्षण की कीमत को पहचानों।
यथार्थ का जो मार्ग अपनाए, सच्चा सुख उसी में पाओ।

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